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सड़कों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण की प्रतियोगिता,फाइलों में कैद रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट

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राजकुमार गुप्ता

सड़कें विकास की पहली सीढ़ी होती हैं, लेकिन आज के दौर में शासन और प्रशासन की उदासीनता के चलते विकास के इस प्रतीक की परिभाषा अतिक्रमण और अवैध कब्जों का शिकार हो चली है।

ग्रामीण एरिया हो या अर्बन एरिया हर जगह सड़कों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण की प्रतियोगिता सी चलती नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लगभग सभी प्रमुख सड़कों पर जारी अधिकतर निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश रोड साइड कंट्रोल एक्ट 1964 के विरुद्ध हैं, जिसके विपरीत लोक निर्माण विभाग ने किसी भी अवैध कब्जा धारक को किसी भी प्रकार का कोई प्रतिवेदन नहीं दिया हैं। अवैध कब्जा धारकों से स्वार्थपूर्ति कर आंखें बंद किए बैठे हैं। किसी भी मार्ग पर सड़क किनारे अवैध निर्माण देखे जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता कार्यालय ने उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के सभी प्रमुख अभियंताओं को कई बार सर्कुलर जारी किया है कि इस प्रकार के किसी भी अवैध निर्माण के लिए स्थानीय लोक निर्माण विभाग सीधे जिम्मेदार होगा। फिर भी अफसरों की इस उदासीनता के चलते सड़क की भूमि पर लगातार अवैध कब्जे अथवा अवैध निर्माण जारी है।

यह है अधिनियम

उत्तर प्रदेश रोड साइड कंट्रोल एक्ट 1964 में यह साफ अंकित है कि सड़क के मध्य रेखा से राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग में 75 फुट तथा मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड में 60 फुट एवं आर्डिनरी डिस्ट्रिक्ट रोड में 50 फुट अंतराल छोड़ना आवश्यक है। यह दूरी छोड़ने के पश्चात ही कोई खुला निर्माण या बाउंड्री आदि निर्माण कार्य कर सकते हैं। इस नियम में एक अहम बात और है कि सभी प्रमुख मार्गों की मध्य रेखा से 100 फुट की दूरी तक कोई छत युक्त निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता।

इसके बावजूद शहर के बाहर से गुजरी रिंगरोड हो, या ज़िले के भीतर से गुजरी फोरलेन हो, या बाईपास हो या लोक निर्माण विभाग की अन्य सड़कें। लोक निर्माण विभाग और जिला प्रशासन रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट का पालन नहीं करा पा रहे है। जिसका परिणाम है कि सड़कों के किनारे अतिक्रमण बढ़ा है और अव्यवस्थित निर्माण से कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। कोई भी निर्माण बिना अनुमति व एक्ट के नियमों के पालन के नहीं किया जा सकता। लोक निर्माण विभाग से एनओसी व जिला प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। एक्ट में स्पष्ट है कि बिना अनुमति निर्माण को प्रशासन ध्वस्त करा सकता है।

एक्ट का कई जगहों पर उल्लंघन

जनपद में इस एक्ट का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। शहर के बाहर रिंगरोड हो या भीतर फोरलेन किनारे व राजमार्ग 19 बाईपास पर कई जगह लोगों ने बिना अनुमति निर्माण करा लिया है। इसके अलावा राजातालाब रानी बाज़ार वाया लॉ कालेज रोड – पंचक्रोशी मार्ग, जंसा मार्ग, भदोही- चाँदपुर मार्ग, ग़ाज़ीपुर- आज़मगढ़ मार्ग, चुनार- मीरजापुर मार्ग आदि जगहों पर इस एक्ट का पालन नहीं हो रहा है। कई सरकारी विभाग ने अवैध रूप से निर्माण कराया है। जिसे हटाना लोक निर्माण विभाग के लिए चुनौती बना है।

डीएम, एसडीएम को एक्ट के उल्लंघन की जांच करना है

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने विनियमित क्षेत्र में उक्त एक्ट और मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ाकर बग़ैर अनुमति बिना नक़्शा पास भवनों के निर्माण कराए गए हैं उक्त निर्माण रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट का उल्लंघन करने की शिकायत कई बार सीएम योगी और डीएम से की है। उन्होंने कहा है कि संबंधित विभाग से लोक निर्माण विभाग की सड़कों के किनारे बिना नक्शे पास होम लोन लेकर भी निर्माण कराए गए हैं। उदाहरण के रूप में राजातालाब क्षेत्र में कचनार गाँव के लॉ कालेज रोड पर उक्त एक्ट और मास्टर प्लान में प्रस्तावित सड़क पर बिना नक्शा पास कराए बैंक ने होम लोन स्वीकृत कर दिया है। इतना ही नहीं भवन स्वामी आवासीय मकान में धड़ल्ले से व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं एसडीएम राजातालाब के निर्देश पर राजस्व विभाग की टीम गठित की गई है। उन्होंने प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई का निर्देश दिया है।

रोड साइड कंट्रोल एक्‍ट का उल्‍लंघन करने पर होगी कार्रवाई

किसी भी किस्म के निर्माण से पहले ज़िलाधिकारी, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई सहित वीडीए और ज़िला पंचायत से लेनी होगी इजाजत, यह आदेश सिर्फ नव-निर्माण पर नहीं, बल्कि पुराने निर्माण में तब्दीली कराने अथवा जीर्णोद्वार कराने पर भी लागू होगा। बगैर इजाजत निर्माण कराने पर उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही बिना अनुमति निर्माण की लागत का सौ गुना तक जुर्माना वसूला जाएगा। यूं तो यह आदेश पूरे प्रदेश में लागू हुआ है, लेकिन उपलब्ध जानकारी के आधार पर पीडब्ल्यूडी ने चितईपुर से राजातालाब रोड किनारे बिना अनुमति निर्माण करा चुके सैकड़ों भवन स्वामियों को नोटिस जारी किया है।

राजकुमार गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता हैं और बनारस में रहते हैं।

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