भोपाल। लघु उद्योग निगम के जरिए कृषि विभाग में कृषि उपकरणों की सप्लाई करने वाली तीन सप्लायर्स कंपनियों पर अब ईओडब्ल्यू ने शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है। अब इन कंपनियों से संबंधित समूचे दस्तावेज तलब किए गए हैं। खास बात यह है कि इन कंपनियों द्वारा कई उपकरण अपने बता कर चीनी कंपनियों के सप्लाई कर दिए गए हैं तो कुछ मामलों में तो दस्तावेज ही फर्जी लगाए गए हैं।
इस मामले में शिकायत मिलने के बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जांच शुरू होते ही खुलासा हुआ है कि कृषि उपकरणों की सप्लाई करने वाली कंपनियों ने चीनी उत्पादों को अपना उत्पाद बताकर कृषि विभाग को सप्लाई कर डाली। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने लघु उद्योग निगम से प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे हैं। दरअसल कृषि विभाग द्वारा प्रदेश में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है। इन प्रयोगशालाओं में मिट्टी परीक्षण के लिए उपकरणों की खरीदी मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से की गई है। इसके लिए बीते साल 23 जुलाई 2021 को टेंडर जारी किए गए थे। टेंडर की शर्त के मुताबिक लघु उद्योग निगम द्वारा सप्लायर्स कंपनियों से हलफनामा के माध्यम से दस्तावेजों की सत्यापित प्रति यानी मूल कैटलॉग और एनएबीएल प्रमाण पत्र मांगा गश था। शिकायत में बताया गया है कि इंदौर की मेसर्स आदित्य ट्रेडिंग कंपनी द्वारा गलत कैडलॉक और एनएबीएल लगाया गया है। यही नहीं कंपनी ने ऐसे दस्तावेजों को भी लगाया है जो, चीनी निमार्ताओं से संबंधित हैं। इसी तरह की शिकायत भोपाल की कंपनी मेसर्स विजय सेल्स की मिली है। इसमें कहा गया है कि कंपनी ने स्पेक्ट्रोफोटोमीटर की लघु उद्योग निगम में जमा की है, वे किसी दूसरी कंपनी से संबधित हैं। हद तो यह हो गई की अंबाला की कंपनी हंसराज साइंटिफिक वर्क्स ने भी कूटरचित कैटलॉग देने के साथ ही एक दस्तावेज तो चेन्नई की एक कंपनी के कॉपीराइट वाला दिया गया है। शिकायत में इन तीनों कंपनियों का यह काम सीधे तौर पर धोखाधड़ी की श्रेणी वाला बताया गया है। आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेजों के आधर पर ईओडब्ल्यू ने शिकायत दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। ईओडब्ल्यू ने लघु उद्योग निगम के एमडी विशेष गढ़पाले को पत्र लिखकर इनसे संबधित दस्तावेज देने का कहा है। इस पत्र में कहा गया है कि मैसर्स आदित्य ट्रेडिंग इंदौर, विजय सेल्स भोपाल, मेसर्स हंसराज साइंटफिक वर्क्स अंबाला द्वारा कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग किया गया है। यह दस्तावेज परीक्षण के बाद प्रथम दृष्ट्या कूटरचित पाए गए हैं। दस्तावेजों की जांच से पन्ता चल रहा है कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले निविदाकर्ताओं (कंपनियों) ने चीन के यंत्रों को भारत में उत्पादित यंत्र के रूप में पेश कर अपने कैडलॉक में प्रदर्शित कर राज्य शासन को आर्थिक हानि पहुंचाने का काम किया है। यह दस्तावेज लघु उद्योग निगम से उपलब्ध कराने को कहा गया है।