किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
मैंने अपना अंदेशा बताया था कि 17 मई के बाद कोरोना का ट्रिपल म्युटेंट अपने पीक पर होगा और अब तो इस पर डॉ. भ्रमर मुखर्जी ने भी इस पर मुहर लगा दी है. (डॉ. भ्रमर मुखर्जी दुनिया की जानी-मानी महिला वैज्ञानिक हैं और अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की महामारी विज्ञानी भी है और भारत में कोरोना की हालत पर गहराई से अध्ययन कर रही हैं). उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि मई के दूसरे सप्ताह बाद भारत में प्रतिदिन कोरोना के आठ-नौ लाख मामले आ सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि भारत में स्वास्थ्य विज्ञान का बुनियादी ढांचा वास्तव में इतना ज्यादा ख़राब है कि महामारी का सही डेटा हासिल करना बहुत कठिन है. पहली और दूसरी लहर का भी संक्रमित लोगों की उम्र और लिंग के संदर्भ में वर्गीकृत डेटा उपलब्ध नहीं है.
भारत में पिछले महीनों में सिर्फ सरकारी आंकड़ों में ही दो लाख से ज्यादा लोग कोरोना से मारे जा चुके हैं. लोग भयभीत और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं लेकिन सरकार अब भी नागरिकों को सांत्वना देने के बजाय अपने चुनावी समीकरणों में व्यस्त है. ऐसे में शासन-प्रशासन भारत में 17 मई के बाद आने वाली तीसरी लहर के लिये कितना तैयार है, कहना बहुत मुश्किल है. सरकार तो पिछले साल से ही ताली-थाली बजवाकर कोरोना पर जीत दावा करती रही है लेकिन जीत की बात तो छोड़िये, अब तो भारत कोरोना के चंगुल में इतनी बुरी तरह फंस गया है कि अगर 17 मई के बाद कम्युनिटी स्प्रेड संभावित हुआ तो भारत की आधी से ज्यादा आबादी समाप्त हो जायेगी.
कोरोना का आंध्रप्रदेश वाला वैरियंट तो इतना खतरनाक है कि दूसरी लहर से हजार गुणा ज्यादा तेजी से फैल रहा है. सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि जब म्यूटेशन हो रहा था तब प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों में क्यों व्यस्त थे ? (कोई भी वायरस का वैरियंट बनने से पहले उसमें अलग-अलग कई म्यूटेशन होते हैं और इसमें कम से कम 3 महीने का समय लगता है. और जब कोई वायरस म्यूटेशन कर वैरियंट बनता है तो उस वायरस की बीमारी/महामारी के लक्षण भी बदल जाते हैं, जिससे उसके फैलने की रफ्तार और असर भी बदल जाते हैं).
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार दुनिया में कोरोना वायरस के सैकड़ों वैरियंट हैं लेकिन इसमें सात ही ऐसे वैरियंट हैं जिन पर नजर रखनी होगी. इन सात में एक इंडियन वैरियंट सबसे खतरनाक है और तीन अन्य वैरियंट (दक्षिण अफ्रीकन, ब्राजीलियन और ब्रितानी वैरियंट) गंभीर है. इसके अलावा एक इंडियन प्रादेशिक म्यूटेंट्स में 23 म्यूटेशन हो चुका पंजाब-ब्रितानी वैरियंट पंजाब में भी सक्रिय है जो खतरनाक साबित हो सकता है.
एक और अन्य इंडियन प्रादेशिक महाराष्ट्रियन वैरियंट बहुत तेजी से म्यूटेशन कर रहा है और अब तक उसमें 15 म्यूटेशन हो चुके हैं और इसे ही डबल म्युटेंट कहा गया. और यही वैरियंट अब आंध्रप्रदेश, कर्णाटक और तेलांगना में भी तेजी से फ़ैल रहा है और लगातार नये म्यूटेशन भी कर रहा है. इसे N440K वैज्ञानिक नाम दिया गया है.
इसको डबल म्युटेंट इसलिये कहा गया क्योंकि इसमें दो म्यूटेशन L452R और E484Q का संयोजन है और इसका इन्क्यूबेशन पीरियड का टाइम भी अब तीन दिन हो गया है, जिससे मृत्युदर में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. कफ (फंगस) की अधिकता के कारण शरीर में कृत्रिम तरीके से ऑक्सीजन लेने की जरूरत भी काफी ज्यादा बढ़ी लेकिन सरकार जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर पा रही है .
ध्यान रखिये किसी भी महामारी में किसी भी दवा से वायरस का प्राकृतिक म्यूटेशन रोका नहीं जा सकता, सिर्फ मानव में हो रहे संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन दवा तो अभी कोई बनी ही नहीं है और ट्रिपल म्युटेंट में वैक्सीन भी काम नहीं करेगी क्योंकि ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ता ही नहीं बल्कि उसके साथ संयोजन करने की कोशिश करता है इसलिये एंटीबॉडी से इसका संघर्ष होता ही नहीं. इसे प्रतिरक्षा प्रणाली को धोखा देना कहा जाता है, इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस अटैक के बारे में पता ही नहीं चलता.
ट्रिपल म्युटेंट तो एक मीटर की दूरी से भी हवा के जरिये ट्रांसमिशन कर रहा है. कोई भी वायरस तब तक म्यूटेशन नहीं करता जब तक उसे बाहरी आवृति न मिले. अर्थात पहला व्यक्ति ये ध्यान रखे कि किसी और को उसके द्वारा संक्रमण न फैले और दूसरा व्यक्ति भी अगर कोरोना गाइडलाइन का पालन करे तो संक्रमण पहले व्यक्ति तक ही रहेगा और वायरस को कोई भी बाहरी आवृति नहीं मिलेगी जिससे उसका म्यूटेशन रुक जायेगा. और इसीलिये मैंने 45 दिन के संपूर्ण लॉक-डाउन के लिये लिखा था क्योंकि किसी भी वायरस का म्यूटेशन चक्र 5 हफ्ते तक का होता है और इसकी चेन को तोड़ने के लिये और इसका म्यूटेशन चक्र पूर्ण होने से रोकने के लिये 45 दिन संपूर्ण लॉक-डाउन बहुत जरूरी था लेकिन सरकार से संपूर्ण लॉक-डाउन तो लगाया ही नहीं और ट्रिपल म्यूटेशन का ऊष्मायन काल 17 मई को पूरा हो जायेगा.
मैं पहले ही लिख चुका हूं कि कोई भी वैक्सीन स्ट्रेन-3 पर या ट्रिपल म्युटेंट पर असर नहीं करेगी और अब ये बात वैज्ञानिक भी मान रहे हैं. (न्यूज में आप सब ने देख/सुन ही लिया होगा इसीलिये इसके बारे में विस्तार नहीं करूंगा) और इसे लगातार बाहरी आवृतिया भले ही न मिली हो मगर मिली जरूर है.
लोगों की लापरवाही के विषय में तो मैंने पिछले आलेख के सिक़्वल में लिखा ही था, कल शाम का एक वाकया भी इस संदर्भ में अच्छे से समझ लीजिये. यथा – कल शाम को बिना किसी अपॉइंटमेंट के और बिना पूर्व इत्तिला दिये मेरे पास एक मुस्लिम जोड़ा आया और मना करने पर बाहर खड़े-खड़े ही बार-बार मिन्नते करने लगा कि पंडित जी प्लीज बहुत जरूरी है … अलां फलां. लेकिन मैंने सख्ती से मना कर दिया और थर्मल गन से दरवाज़े के भीतर से ही उसका टेंपरेचर चेक किया तो आदमी का तापमान 103.5 आया और थर्मल गन रेड लाइट के साथ बीप का साऊंड देने लगी, जो अलर्ट मोड का साऊंड है.
फिर मैंने उसे बहुत लताड़ा और अस्पताल जाकर चेक करवाने को बोला तो कहने लगा धुप में चलकर आये हैं इसीलिये शरीर गर्म है. मैंने उसे तुरंत चले जाने को बोला और कहा कि अगर तुरंत नहीं गये तो पुलिस और कोरोना ऑफिसर को फोन लगाकर आइसोलेट करवा दूंगा (और उसके साथ वाली महिला को भी समझाया कि इसे अस्पताल ले जाकर चेक करवा लो, वरना पूरा घर कोरोना से मरेगा). उसे बुरा तो लगा पर उसे समझ में आ गया शायद, वो उसे लेकर चुपचाप चली गयी (मगर उसने अस्पताल जाकर चेक करवाया या नहीं, ये मुझे नहीं पता) लेकिन लोगों की लापरवाही का ये उदाहरण स्पष्ट बताता है कि यही लापरवाही कोरोना विस्फोट करेगी.
बहरहाल, आगे के लिये मेरा अंदेशा है कि कोरोना के ट्रिपल म्युटेंट का विस्फोट 17 मई के बाद दिखना प्रारम्भ हो जायेगा और जून-जुलाई के दरम्यान भारत में कम से कम 20 से 30 करोड़ लोग इस ट्रिपल म्युटेंट के एक्टिवेट वायरस के संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. उसके बाद ये चौथा म्यूटेशन करेगा और इसका चौथा म्यूटेशन संक्रमण नहीं फैलायेगा बल्कि संक्रमित मनुष्य पैदा करेगा. क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि ये जिस तरह से अपने आपको अपग्रेड कर रहा है और हर एक म्यूटेशन में जिस तरह से मानव जीनोम कोड के साथ संयोजन कर रहा है, उससे इसका चौथा म्यूटेशन मानव शुक्राणु में स्थित प्रोटीन के साथ संयोजन करेगा और उसके बाद जो आगामी जनरेशन पैदा होगी, वो संक्रमित ही उत्पन्न होगी जो शायद दिखने में एलियन जैसे भी हो सकते हैं या फिर नार्मल भी हो सकते हैं.
इसके विषय में वैज्ञानिक शोध ज्यादा सटीक निष्कर्ष दे सकते हैं लेकिन ये हो सकता है कि उनकी कोशिकीय संरचना कवक की तरह विस्तार वाली हो, जो विज्ञान की इस सोच को सच साबित कर दे कि 22-23 सदी तक मानव ऐसी क्षमता विकसित कर लेगा, जिससे उसके कटे अंग स्वतः ही फिर से उग जायेंगे. अर्थात कवक जैसे विकसित होता है वैसे ही मानव अंग विकसित होंगे और इसी से मुझे ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस का चौथा म्यूटेशन मानव वीर्य में स्थित प्रोटीन के साथ होगा जिससे वो मानव शुक्राणु के साथ मिलकर एक नयी प्रजाति को विकसित करेगा.
वैसे ये तो स्पष्ट ही है कि अगर कोरोना की प्रतिलिपि मानव शुक्राणु के प्रोटीन में बनी तो वो मानव डीएनए के साथ मिलकर उसके डीएनए में मौजूद सारा पूर्व इतिहास (आरएनए खाकर) मिटाकर अपना नया जाइनोट (अपना आरएनए डालकर) बना लेगा और फिर एक ऐसी नयी मानव प्रजाति तैयार होगी जैसे परमाणु हमले के बाद जापान के हिरोशिमा नागासाकी में हुई थी. (शायद कोई दूसरे इफेक्ट भी हो लेकिन अभी इसके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये गहन शोध का विषय है जो सिर्फ जीवविज्ञानी ही अनुसंधान करके बता सकते हैं).