विगत दिनों से RE2 रोड के प्रभावित बस्ती के मजदूर अपने आशियाना बचाने के लिए लड़ रहे हैं, और इस पर प्रशासन भी कई बार आश्वासन दे चुका है कि यहां के मकान नहीं उजाड़े जाएंगे। परंतु अभी हाल ही में अखबारों के सूत्रों से पता चला कि इंदौर के प्रशासन द्वारा मीटिंग कर यह तय कर लिया गया है कि बस्ती को हटाया जाएगा। असल में यह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है।
कल रात को शिव नगर-शिवदर्शन नगर, कांकड़ के तमाम मजदूर, बस्ती बासियों ने मीटिंग करके संयुक्त रूप से यह बयान जारी किया कि” हम लोग पिछले 30 से 35 साल से यहां पर रहते हुए आए और सरकार ने ही हमको यहां पर आकर बसाया था। अचानक से आज सरकार का एक फरमान आता है यहां से रोड निकाला जाना है। हम इससे नाखुश हैं। हम बस्तियों को उझड़ने के पक्ष में नही है। हमारा कहना है की आज प्रशासन 2 लाख रुपए मांग रही है । हम मजदूरों को खाने के लाले हे 2 लाख रुपए कहाँ से लाए ।अन्य बिंदू यह है।जब बस्ती के पास से खाली पड़ी जगह है। जहां से रोड निकाला जा सकता है तो फिर बस्ती के अंदर से ही क्यों रोड निकाला जा रहा है। दूसरा बस्ती के ऊपर से ब्रिज बनाकर रोड को निकाला जा सकता है। सरकार विकल्पों पर बात ना करके सीधा बस्ती हटाने की ओर पूरी ताकत लगा रही है। हमारा कहना है कि यदि यह बस्ती के लोग यहां से हटते हैं तो इनका जीवन यापन रोजगार का क्या होगा। स्थिति भूखों मरने पर आ जाएगी क्योंकि इनकी आजीविका का यही आस पास झाड़ू, पौछा, बर्तन कर मजदूरी कर संचालित होती है। प्रशासन का यह रवैया पूरी तरीके से मजदूरों, बस्ती वालों और इंदौर के नागरिकों के लिए तबाही बाला है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि विकल्पों पर बात की जाए या तो खाली जगह से रोड निकाला जाए या ओवरब्रिज बनाकर रोड निकाला जाए या फिर रोड निकालना जरूरी है तो बस्ती के लोगों को यहीं पर घर बनाकर या प्लॉट उपलब्ध कराकर यही बसाया जाए। सभी मजदूरों ने एक साथ सरकार से गुहार लगाई है कि इस प्रोजेक्ट को रद्द करें और इंदौर की जनता से अपील की है ।आप सभी इंदौर के निवासी शिव नगर, शिव दर्शन नगर,पीपलीहाना काकड़ एवं तमाम विस्थापित बस्तियों के हित में हमारा साथ दे।