अग्नि आलोक
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EVM में धांधली नहीं हो सकती..

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संजय कनौजिया की कलम”✍️

आज सबसे पहले यह समझने की जरुरत है कि EVM प्रणाली भारत में क्यों आई, जाहिर है कि इस प्रणाली को लाने के लिए संसद में प्रस्ताव भी पारित हुआ होगा, पक्ष-विपक्ष ने प्रस्ताव को पास करने हेतू हाँथ उठाकर प्रस्ताव पर समर्थन भी दिया होगा..EVM यूँ ही तो थोपी नहीं गई..???
चुनाव के बाद गिनती में अत्यधिक समय लगना, 4-4 दिन की गिनती के बाद सम्पूर्ण परिणाम से बचने तथा दबंग लोगों द्वारा बैलेट पेपर फाड़ना, बैलेट बॉक्स लूटकर ले जाना, बैलेट बॉक्स में पानी व स्याही डाल देना, गाँव-गाँव में शोषित, उपेक्षित, वंचित, गरीबों को वोट ना डालने देना और दबंग लोगों द्वारा इन वर्गों के लोगों का नाजायज़ वोट डाल देना..15 बनाम 85 के संघर्ष तथा अपने अमूल्य वोट की कीमत को समझने की जागरूकता ने भी..15% लोगों के जहन में चिंता का बोध कराया कि यदि दलित-पिछड़े भी अपनी-अपनी दबंगई से वोटों में छेड़छाड़ करने लगे तो देश की तस्वीर उनके अनुकूल नहीं रहेगी..बस इन्ही सब समस्याओं से निजात पाने का माध्यम बना EVM..ताकि राजनैतिक दलों के वैचारिक जुड़ाव एवं मुद्दों के आधार पर जनता निष्पक्ष वोट कर सके !
वर्ष 2004 में शाइनिंग इंडिया जैसे लोकलुभावन नारे के बावजूद अटल सरकार का गिरना..EVM से धांधली पर शक पैदा हुआ और जिसपर सबसे पहले अपनी लिखी एक किताब के माध्यम से श्री लालकृष्ण आडवाणी जी, ने शंका जतलाई और कुछ समय बाद नेता सुब्रहमणियम स्वामी व अन्य कुछ विद्वानों ने आवाज़ उठाई..तब श्री मनमोहन सिंह जी, कि सरकार ने चुनाव आयोग से गड़बड़ी होने के कारण जाने तो चुनाव आयोग द्वारा EVM में किसी भी तरह की गड़बड़ी हो सकने से इंकार किया..श्री मनमोहन सरकार ने EVM प्रणाली को और सरल तथा पारदर्शी करने के आदेश दिए..चुनाव आयोग के गहन चिंतन ने, वी.वी पैट पर्ची लाने का फैसला किया, जिससे मतदाता द्वारा डाला गया वोट मतदाता को दिखाई दे..इसका पहला पायलेट-प्रोजेक्ट वर्ष 2013 के दिल्ली विधान सभा चुनाव में कुछ सीमित पोलिंग बूथ पर ट्रायल के लिए रखा गया..चूँकि जातिगत आधार पर में उस चुनाव में श्रीमती शीला दीक्षित जी, के समर्थन में था, अतः शीला जी ने, नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग बूथ नंबर 167 जो संचार भवन में स्थित था, मुझे वी. वी पैट के प्रयोग का सुपरविजन दिया गया..मैंने पाया कि चुनाव आयोग का यह प्रयोग सफलता पूर्वक कार्य कर रहा था !
2017 के उत्तर प्रदेश के चुनाव हारने के बाद नेत्री मायावती जी, ने सार्वजनिक EVM में गड़बड़ी करने की बात कही..बस तबसे ही EVM विवादों के घेरे में आज तक चला आ रहा है और लोग अपने अपने ढंग से लड़ाई लड़ रहे हैं, हमने भी लड़ी, जिसका एक चित्र लेख के साथ सलंग्न है..लेकिन EVM में गड़बड़ी का कोई ठोस आधार साक्ष्य सहित, चुनाव आयोग एवं देश-राज्यों कि सम्मानित अदालतों में कोई भी प्रस्तुत नहीं कर सका..!
“EVM में गड़बड़ी नहीं हो सकती”..लेकिन EVM द्वारा गड़बड़ी हो सकती है इसके संकेत जरूर प्राप्त हुए है..कल ही बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी जी, द्वारा यह कहना कि EVM की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए कि ये वही मशीनें है या बदली गईं हैं..मेरा मानना है कि EVM पर शक करने वाले सभी तबकों को, ममता जी की मांग का समर्थन करना चाहिए..में अभी UP चुनाव को आधार बनाकर अपनी बात रख रहा हूँ..क्यों अंतिम चरण में ही मशीने ट्रायल के बहाने चुनाव आयोग ने अपने ही प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर EVM मशीने ट्रायल के लिए निकाली ?..सभी दलों के नेता-कार्येकर्ता चुनाव के अन्य चरणों में व्यवस्थ थे तो क्या पहले-दूसरे चरण में हुए चुनावो की EVM “सरकारी प्रबंधकों” द्वारा बदली ना गईं हों ? यदि EVM में धांधली संभव होती तो फिर EVM को बदलने जैसे मामलों में शक पैदा ना होता..दूसरा चुनाव आयोग ने किसके इशारे पर भारी मात्रा में वोटर लिस्ट ने एक विशेष धर्म समुदाय तथा विशेष जाति के लोगों के वोट काटे ? यहाँ चुनाव आयोग घेरे में आता है..हर पोलिंग बूथ से 100-150 वोट काटकर पूरी विधानसभा से 15 से 20-25 हज़ार, के लगभग वोट काटे गए है.. बहुत से लोगो की उँगलियों पर भाजपा दबँगाईयों ने मासूम लोगो को जबरदस्ती, डराकर, और 500/- रुपए देकर स्याही लगाकर वोट देने से वंचित कर डाला..इसकी जवाब देही चुनाव आयोग की बनती है..वह सरकारी कर्मचारी जो अपनी ड्यूटी में व्यवस्थ होने के कारण अपने चुनावी क्षेत्र में उपेक्षित ना रहने के कारण पोस्टल बैलट को प्रयोग में लाते हैं..उसमे चुनाव आयोग ने नए संसोधन करे कि अब पोस्टल बैलेट का प्रयोग वृद्ध, बीमार, विकलांग आदि-इत्यादि वर्ग के लोग भी कर सकेंगे..सत्ता पक्ष के कार्येकर्ताओं ने सरकारी मुलाजिमों द्वारा ऐसे पोस्टल बैलेट पेपर पर, लोगो को भय दिखाकर, लोभ-लालच, बेबसी और नमक का हवाला देकर नंगा-नाच, नाचकर कमल पर मोहर लगवाई थी..जबकि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित करने से पूर्व इन नए नियमो को बनाने से पहले, आयोग के वरिष्ठ अफसरों की एक बैठक प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी, के साथ हुई थी जो सर्वविदित है..इसकी भी जवाब देही चुनाव आयोग की है..165 के लगभग सीट्स सपा गठबंधन मात्र 200 वोट से 5000 वोट से हारी है..जिसमे 68 सीट केवल 200 से 1000 वोट के अंतर से हारी है जिसमे इन्ही पोस्टल बैलेट पेपर की ही भूमिका रही है..ज्ञात रहे इसी तरह पोस्टल बैलेट के दुरूपयोग बिहार में श्री तेजश्वी जी, को भी हराया गया था..अतः ये सिद्ध होता है कि BJP को जनता नहीं बल्कि चुनाव आयोग द्वारा किया जाता छल जिताता है..आंदोलन होना चाहिए लेकिन चुनाव आयोग के खिलाफ..”EVM हटाओ बैलेट पेपर लाओ” की मांग व्यर्थ है यदि बैलेट पेपर प्रणाली को लागू कर भी दिया गया तो आज भाजपा के गुंडों कि दबंगई, सरकारी मशीनरी, पुलसिया तंत्र चुनाव आयोग का छल, भाजपा को जिताते ही जाएंगे..जरुरत है चुनाव आयोग के सुधार पर चिंतन करने की..!!
(लेखक, राजनैतिक-सामाजिक चिंतक है)

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