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शराब माफिया की शक्ल लेते आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा*

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नई शराब नीति 01 अप्रैल 2022 से होगी शूरू
मंत्री के कहने पर आबकारी विभाग की ठेकेदारों पर दादागिरी
मध्यप्रदेश में “छत्तीसगढ़ शराब मॉडल” अपनाना चाहते हैं देवड़ा
विजया पाठक
, एडिटर, जगत विजन
मध्यप्रदेश में 01 अप्रैल 2022 से नई शराब नीति‍ शुरू होने वाली है। इस शराब नीति से प्रदेश में शराब सस्ती होने वाली है। देसी, विदेशी सब शराब सस्ते में मिलेगी। साथ ही देशी शराब दुकानों पर विदेशी शराब भी मिलेगी। निश्चित ही इस नीति से प्रदेश में शराब की बिक्री तो ज्यादा होगी लेकिन शराब का सेवन करने वालों की भी संख्या बढ़ेगी। शराबियों की संख्या बढ़ेगी तो सार्वजनिक और घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़ेंगे। लेकिन मंत्रीजी को तो इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ने वाला है। उन्हें तो बस शराब के माध्यम से अपनी तिजोरी भरना है। वह चाहे किसी भी नीति से भराये। असलियत में मंत्री देवड़ा चाहते हैं कि मध्यप्रदेश में सरकार ही शराब बेचे। शराब सरकार बेचेगी तो अवैध शराब उगाही सीधे मंत्री तक आएगी।
हम कह सकते हैं कि आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा अब एक शराब माफिया की शक्ल ले चुके हैं। तमाम विरोधों और आपत्तियों के बावजूद वह प्रदेश में शराब को बढ़ावा देने की जुगत में लगे हैं। इसके अलावा मंत्री जी ने विभाग के आला अफसरों को भी शराब ठेकेदारों से अवैध वसूली के लिए लगा दिया है। जिसका नमूना हमने पिछले दिनों भोपाल में देखा। भोपाल के शराब ठेकेदारों का कहना है कि नई पॉलिसी के चलते ठेके नीलाम नहीं हो रहे हैं। इसके चलते विभाग ठेकेदारों पर दवाब बना रहा है। शाम को चेकिंग के बहाने अधिकारी शॉप पर पहुंच जाते हैं। ग्राहकों को भगा देते हैं। इसके चलते ही बिक्री पर असर पड़ रहा है।
विधायक बनते ही भ्रष्टाचार की चादर ओढ़ ली थी
मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा पिछले दिनों भोपाल के एक होटल में हुई अपने बेटे की आलीशान शादी को लेकर चर्चा में हैं। खबरों का बाजार इसलिए भी गर्म है क्योंकि जगदीश देवड़ा ने अपने बेटे की शादी में करोड़ों रुपए का घालमेल किया। यूं कहे कि प्रदेश की जनता के टैक्स से आए पैसे को अपने बेटे की शादी में उड़ाने का काम किया है। बताया जा रहा है कि जगदीश देवड़ा ने अपने बेटे की शादी के लिए लगभग तीन करोड़ रुपए की राशि तो शराब ठेकेदारों से वसूलने के लिए प्रदेश के आबकारी विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी थी। ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में पहले तो उन्होंने आबकारी विभाग के अधिकारियों को लताड़ लगाई उसके बाद एक-एक शराब ठेकेदारों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही की।
जगदीश देवड़ा और भ्रष्टाचार का तालमेल कोई आज का नहीं है। यह बहुत पुराना है। 1990 में पहली बार जब जगदीश देवड़ा विधायक बने तो उसके बाद से ही उन्होंने भ्रष्टाचार करना शुरू कर दिया था। यही नहीं जनता के सामने साफ सुथरी छवि की चादर ओढ़कर जगदीश देवड़ा ने अपने क्षेत्र में विधायक निधि से आने वाले पैसों से जो भ्रष्टाचार मचाया है। उसी का नतीजा है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जब जगदीश देवड़ा ने नामंकन दाखिल किया तो उन्होंने अपनी चल-अचल संपत्ति में खुद को करोड़पति बताया। मजे की बात यह है कि खुद को करोड़पति बताने वाले वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने पत्नी के नाम पर 27 लाख का कर्ज भी दिखा दिया जो उनकी पत्नी ने विधायक समर्थक संजय गुप्ता से लिया था। मंत्री जी यही नहीं रुके उन्होंने नामांकन में इस बात की भी जानकारी दी कि उनके पास 76 लाख रुपए की कृषि भूमि है। जरा सोचिए लाखों-करोड़ों रुपए का घालमेल करने वाले मंत्री जी को जब बेटे की शादी करने का समय आया तो उन्होंने आबकारी विभाग को इसका निशाना बनाया और आबकारी विभाग की मदद से 03 करोड़ रुपये की अवैध वसूली करने का मन बना लिया। लग्जरी कार, लग्जरी मकान और लग्जरी शौक रखने वाले जगदीश देवड़ा संभवतः मध्यप्रदेश के पहले वित्तमंत्री होंगे जिनके पास घोषित रुप से करोड़ों की संपत्ति है।
भोपाल में 32 दुकानों के ही ठेके हुए- भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। हालांकि, 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। यह घाटे का सौदा है। वहीं देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा। शराब नीति और दुकानें बंद कराने को लेकर शराब ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे थे और गुहार लगाई थी। भोपाल में आबकारी अमले ने शहर की आधा दर्जन से अधिक शराब दुकानों पर छापामार कार्रवाई की। इस दौरान स्टॉक रजिस्टर सहित दुकानों में उपलब्ध शराब की वैधता की जांच की गई। इस कार्रवाई के विरोध में सभी शराब दुकानदारों ने दुकानें बंद रखकर विरोध जताया था। जिसकी वजह से आबकारी विभाग को करीब 05 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। सवाल यह उठता है कि ऐसी शराब नीति बनी ही क्यों? आबकारी मंत्री वैसे भी भ्रष्ट मंत्रियों में गिने जाते हैं। वित्त विभाग की ट्रांसफर पोस्टिंग पूर्व में मंत्री अपने पीए विजयवर्गीय के माध्यम से कराते थे। मंत्री बंगले में अंदर के कमरे में किसके पास पैसे जाते हैं यह समूचे प्रदेश को मालूम है। उससे से भी पेट नहीं भरा तो पूरे समाज को ही शराबी बनाने का षडयंत्र रच दिया।
मंत्री देवड़ा के अपमान से आहत होकर पूर्व सीएम उमा भारती ने सरकार के खिलाफ उठाया पत्थर
मध्यप्रदेश को शराब मुक्त बनाने की जिम्मेदारी ले चुकी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब अपने रंग में आ चुकी हैं। उमा भारती ने पिछले दिनों भोपाल पहुंचकर शराबबंदी के खिलाफ मोर्चा खोला और एक दुकान में पहुंचकर शराब की बोतलों पर पत्थर फैंककर उन्हें चकनाचूर कर दिया। उमा भारती के इस रवैये से शिवराज सरकार पूरी तरह से खौफ में हैं। खासतौर पर वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा। क्योंकि जगदीश देवड़ा ने जिन आबकारी विभाग के अधिकारियों के बल पर शराब ठेकेदारों से बेटे की शादी के लिए अवैध वसूली की थी। अब उमा भारती के इस रवैये से वो सभी लामबंद हो सकते हैं। ऐसे में वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा की अवैध वसूली के किस्से दिल्ली तक पहुंच सकते हैं। इससे न सिर्फ जगदीश देवड़ा बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी पूछताछ हो सकती है। खैर उमा भारती का शराबबंदी का यह चुनौती पूर्ण कदम आगे कहा तक जाएगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि इस पूरे मसले का हल वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा कैसे निकालते हैं।

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