भोपाल। प्रदेश में शराब ठेकों की नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब 15 जिलों के जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) हटाए जा सकते हैं। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़़ा ने ऐसे जिलों की सूची मांगी थी, जहां डीईओ का प्रदर्शन खराब है। इनमें छिंदवाड़ा, विदिशा, बड़वानी और राजगढ़ के डीईओ का प्रदर्शन(परफारमेंस) खराब बताया जा रहा है। ये जिले राजस्व लक्ष्य में पिछड़ गए हैं। वहीं नर्मदापुरम, छतरपुर, झाबुआ, टीकमगढ़ और खंडवा जिले में एक ही जिला आबकारी अधिकारी के पदस्थ रहते तीन साल से अधिक हो गया है। वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव ने ऐसे जिलों की सूची तैयार कर ली है। जल्द ही इनके तबादले किए जा सकते हैं।
चार जिले प्रभारी के भरोसे, वरिष्ठ पदों पर कनिष्ठ पदस्थ
- विभाग में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां कनिष्ठ अधिकारी, जैसे कि सहायक जिला आबकारी अधिकारी (एडीईओ), जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
- इस स्थिति को देखते हुए आबकारी महकमे में बड़े फेरबदल की संभावना जताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश के कई जिलों के जिला आबकारी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
- इसमें शिवपुरी, नरसिंहपुर, आलीराजपुर, सहित कई जिले शामिल हैं, जहां नए अधिकारियों की नियुक्ति आवश्यक हो गई है।
- मंत्रियों को तबादले का अधिकार
प्रदेश सरकार ने भले ही मंत्रियों को तबादले के अधिकार दे दिए हों पर उन्हें भी फ्री-हैंड नहीं रहेगा। मंत्री केवल गंभीर बीमारी, शिकायत और कोर्ट के प्रकरण में ही तबादले कर सकेंगे।प्रशासनिक आधार पर तबादला किया जा सकेगा लेकिन इसमें यह अवश्य ध्यान रखना होगा कि जहां से तबादला किया जा रहा है, वहां रिक्तता की स्थिति न बने। तबादला नीति जारी नहीं होने के कारण प्रदेश में तबादले नहीं हो पा रहे थे।
विभागीय मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री समन्वय में प्रकरण भेजे जा रहे थे लेकिन ज्यादा अनुमति नहीं मिल रही थी। गंभीर बीमारी सहित अन्य श्रेणी के कई प्रकरण लंबित थे, जिसके कारण प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे थे।
विशेष प्रकरणों में तबादला
मंत्रियों की मांग पर मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव की अनुमति से विशेष प्रकरणों में तबादला करने का अधिकार मंत्रियों को तबादला नीति में संशोधन के माध्यम से दिया गया है। इसमें अब यह प्रविधान किया है कि कैंसर, लकवा, हृदयघात जैसी स्थिति में तबादले की अनुमति रहेगी।
साथ ही कोर्ट के आदेश का पालन में स्थानांतरित किया जाएगा लेकिन इसमें यह अवश्य देखा जाएगा कि कहीं अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित तो नहीं है। यदि ऐसा है तो फिर तबादला नहीं होगा।
अनियमितता, लापरवाही के ऐसे प्रकरण, जिनमें मध्य प्रदेश सिविल सेवा 1966 के नियम के अतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारंभ की जा चुकी है, में तबादला किया जा सकेगा।
लोकायुक्त संगठन, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो या पुलिस द्वारा शासकीय सेवक के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने अथवा अभियोजन की कार्यवाही प्रारंभ होने पर जांच प्रभावित न होने की दृष्टि से भी तबादला किया जा सकेगा।
प्रशासनिक आधार पर तबादला
निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति , पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी या फिर शासकीय सेवक के निधन से रिक्त स्थान की पूर्ति तबादला पर प्रतिबंध में अवधि में भी हो सकेगा। प्रशासनिक आधार पर तबादला करने से यदि संबंधित स्थान पर रिक्तता बनती है तो फिर वहां तबादला नहीं किया जा सकेगा।
अप्रैल-मई में तबादला नीति जारी करना संभव
मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता वाले तबादले विभागीय सचिव प्रशासकीय अनुमोदन लेकर कर सकेंगे। यदि किसी परियोजना की अवधि पूरी होने या पद अन्यत्र स्थानांतरित होने पर भी तबादला किया जा सकेगा। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सामान्य तबादलों पर से प्रतिबंध अप्रैल-मई में तबादला नीति जारी कर हटाया जाएगा।
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