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मोदी सरकार से जनकल्याणकारी नीतियों की उम्मीद बेमानी

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 मुनेश त्यागी

     केंद्र में मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आ चुकी है। इस बार यह गठबंधन की सरकार है जिसे चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की पार्टी का सहयोग प्राप्त है। बीजेपी और उसके गठबंधन के लोग मोदी सरकार के सत्ता में आने से खुश हैं। वहीं दूसरे लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या मोदी पहले की तरह काम करेगी और उनका जादू अभी भी बना हुआ है?

     बीजेपी को 2024 के संसदीय चुनाव में 37.37% मत प्राप्त हुए हैं, जबकि 2019 में उसे 37.34 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। 2019 में उसकी तीन 303 सीटें आई थीं और 2024 में उसे 240 सीट मिली हैं।यहीं पर मुख्य सवाल उठ रहा है कि जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है तो क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा? उसकी नीतियां बदलेंगी? यह बात सही है कि मोदी के कद को इंडिया गठबंधन और उसकी नीतियों ने ठेस पहुंचाई है। इसका सारा श्रेय इंडिया गठबंधन को जा रहा है।

    मगर इसी के साथ यह सवाल भी बना हुआ है कि क्या किसान मजदूर और आम जनता की जो खराब हालत बनी हुई है जिसमें किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है, मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है, कमरतोड़ महंगाई बनी हुई है, मोदी ने अपने वादे और नारे पूरे नहीं किए हैं, गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है, पिछले 40 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी उत्पन्न हो गई है, तमाम संस्कारी संस्थाओं को अपने चांद को जी पति मित्रों के हवाले किया जा रहा है, तो क्या इसके लिए ये तमाम लोग मोदी की नीतियों को जिम्मेदार मान रहे हैं?

      इसका सीधा-सीधा जवाब है कि मोदी के अधिकांश समर्थक मोदी की इन जन विरोधी नीतियों के लिए, मोदी सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं। वे आज भी मोदी सरकार के भक्त बने हुए हैं। उसकी नीतियों का समर्थन कर रहे हैं और वे आज भी उनकी आलोचना सुनने को तैयार नहीं है। उनके मतों की संख्या लगभग उतनी की उतनी ही बनी हुई है। पिछले चुनावों की तुलना में उसमें कोई कमी नहीं आई है।

     हालांकि आरएसएस, बीजेपी, मोदी, शाह जैसे तमाम नेता घायल होने का नाटक भी करते दिखाई दे रहे हैं, उनकी मनसा पूरी ने होने से वे आहत होने का ढोंग भी करते दिखाई दे रहे हैं। उनके फासीवादी इरादों और नीतियों को चोट लगी है। जनता में उनकी पोल भी खुल गई है। अब ये सभी लोग एकजुट होकर अपने तमाम विरोधियों, आंदोलनरत मजदूरों, किसानों, दलितों, मुसलमानों, अपने तमाम विरोधियों, मीडिया कर्मियों और युटयुबर्स पर हमला करेंगे। उन्हें सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभाग का दुरुपयोग करके फिर से परेशान किया जाएगा। इन सभी विरोधियों पर फिर से जोरदार हमले होंगे। 

      यह बात अपनी जगह बनी हुई है कि यह सरकार आज भी देशी विदेशी पूंजीपतियों, सामंतों और धन्ना सेठों की है। यह कोई किसानों की, मजदूरों की, सरकार नहीं है। इसकी पूंजीपतिपरस्त नीतियों में कोई तब्दीली नहीं होने जा रही है। कुछ लोग यह भी आशा कर रहे हैं कि समय आने पर कुछ लोग मोदी की इन जन विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे, क्योंकि मोदी एक बार फिर से जोरदार तरीके से अपनी पूंजिपतिपरस्त नीतियों को आगे बढ़ाएंगे।

     यहीं पर सवाल उठता है क्या नायडू, नीतीश, चिराग पासवान, एकनाथ शिंदे और जयंतसिंह मोदी की जन विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे? इसका सीधा जवाब है कि चुनाव से पहले भी इन लोगों ने मोदी सरकार के गठबंधन से सहयोग किया हुआ था। अब इन्हें सरकार में उन्हें पद, बढ़े हुए वेतन और प्रभुत्व हासिल हो चुके हैं। ये लोग सब कुछ जानते हुए, चुनाव से पहले बीजेपी के गठबंधन में गए थे। अब उनसे कोई आशा करना बेकार है। वे कुछ करने नहीं जा रहे हैं।

      अब यही सवाल उठता है कि ऐसे में क्या हो? इस सवाल का सबसे बड़ा जवाब इंडिया गठबंधन के पास है। एक बार फिर से इंडिया गठबंधन को जागरूक और सक्रिय होना पड़ेगा, क्योंकि अभी संविधान और जनतंत्र को बचाने की लड़ाई पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो पाई है। सरकार पूंजीपति विरोधी और जनसमर्थक नीतियों को लागू करने नहीं जा रही है। अब तमाम मेहनतकशों, मजदूरों, और किसानों को और जागरूक, संगठित और संघर्षरत होना पड़ेगा। मास मीडिया और युटयुबर्स चैन की नींद नहीं सो सकते। 

    इंडिया गठबंधन को अपनी कमजोरियों को दूर करके और अपने बिछड़े हुए समर्थकों को अपने साथ एकजुट करके, फिर से जनता के मुद्दों को लेकर जनतंत्र, संविधान, रोजी-रोटी और भाईचारे को बचाने के लिए मैदाने जंग में आना पड़ेगा। गठबंधन के तमाम दलों को अपने-अपने कार्यकर्ताओं को फिर से भरोसे में लेकर, उनको वर्तमान सवालों जवाबों से शिक्षित प्रशिक्षित करके गांवों, मोहल्लों, शहरों,  कस्बों में भेजना होगा। इस बार जनता की मुक्ति के अभियान के कार्यक्रमों में लिखित पर्चों का इस्तेमाल करना होगा। फेसबुक और व्हाट्सएप के ग्रुप बनाकर इनका और समुचित इस्तेमाल करने की जरूरत है।

      गांव, देहात, कस्बों और शहरों की जनता परेशान हैं। उनमें से बहुत सारे लोगों को अभी भी विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है। वे सूचनाओं और सही जानकारियों के अभाव में असलियत से दूर हैं। अब इंडिया गठबंधन के तमाम लोगों को एक बार फिर से एकजुट होकर जनता की समस्याओं को लेकर जनता के बीच जाना होगा। उन्हें उनकी समस्याओं के बारे में बताना होगा और उन तमाम लोगों को इंडिया गठबंधन के पाले में लाना होगा।

      हमारा मानना है कि अगर इंडिया गठबंधन के जागरूक कार्यकर्ता जनता के बुनियादी मुद्दों के सवाल जवाब लेकर जनता के बीच जाएं, उनसे बातचीत करें, उन्हें सही हालात और तथ्यों से अवगत करायें, तो वे इंडिया गठबंधन के लोगों के साथ आएंगे, उनकी बात सुनेंगे और ऐसा करके ही, एकजुट जनता ही अपनी समस्याओं को दूर करने वाली सरकार को सत्ता में बैठा सकती है, अपनी सरकार कायम कर सकती है। वर्तमान मोदी सरकार से जनता के मुद्दों का समाधान होने की कोई उम्मीद नहीं है। वह इन मुद्दों को अपनी जोड़-तोड़ करके और पेचीदा तो बना सकती है, मगर वह इनका समाधान नहीं कर सकती। मोदी सरकार से जनकल्याणकारी नीतियों की उम्मीद करना लगभग बेमानी साबित होगा।

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