-मुस्ताअली बोहरा
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के आम चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकीं हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने ज्यादातर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। निर्वाचन आयोग भी लोकसभा चुनाव कराने को लेकर तैयार है। निर्वाचन आयोग की तरफ से शनिवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। चुनाव आयोग आम चुनाव के कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देगा। माना जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव 6 से 7 चरणों में कराए जा सकते हैं। चुनाव की घोषणा होते ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। इधर, राजनीतिक दलों ने भी बैठकों का दौर तेज कर दिया है। ज्यादातर सीटों पर भाजपानीत गठबंधन और कांग्रेसनीत गठबंधन ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार आत्मविश्वास से लबरेज है और उसे लोकसभा चुनाव 2024 में भी जीत की उम्मीद है। यदि एनडीए को इस बार भी जीत हासिल होती है, तो यह पहला मौका होगा, जब कोई गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होगा। पिछले लोकसभा चुनाव की ही तरह ही इस बार भी भाजपा और भाजपा गठबंधन का मुख्य चेहरा पीएम नरेन्द्र मोदी ही हैं। मोदी के खिलाफ विपक्ष के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं हैं जो टक्कर दे सके। इस लिहाज से माना जा सकता है कि मोदी वर्सेस विपक्ष का मुकाबला आम चुनाव में होगा। मोदी भी ये कह चुके हैं कि इस बार जनता भाजपा को 370 और एनडीए को 400 सीटें जिताएगी। एनडीए के साथ बिहार में जेडीयू, लोकजनशक्ति पार्टी और हम है, जबकि यूपी में सुभासपा, आरएलडी और अपना दल (सोनेलाल) के साथ बीजेपी ने गठबंधन किया है। उधर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ बहुजन समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, एनसीपी शरद पवार, डीएमके, सीपीआई, शिवसेना उद्धव गुट जैसी अन्य छोटी-बड़ी विपक्षी पार्टियों ने भाजपानीत गठबंधन को हराने के लिए जी जान झोंक दी है। कांग्रेस की अगुआई में बने इंडिया गठबंधन ने भी सीटों का बटवारा करते हुए प्रत्याशी घोषित करना शुरू कर दिए हैं। शुरूआती दौर में तो इंडिया गठबंधन के घटक दलों में आपस में ही नाइत्तेफाकी रही लेकिन कांग्रेस के नरम रूख अपनाने के बाद सीटों के बटवारे को लेकर सकारात्मक रिजल्ट आने लगे। बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने हस्तक्षेप किया और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात के लिए राजी किया कि घटक दलों के साथ थोड़ा समझौता कर लिया जाए। इसके बाद धीरे धीरे कर यूपी सहित अन्य राज्यों में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी तय होने लगे। जहां तक परिवारवाद का सवाल है तो दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने दिग्गज नेताओं के बेटों या रिश्तेदारों को टिकट दी है।
देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने ऐसे उम्मीदवारों को तरजीह दी है जिनके पास पार्टी के अलावा अपना खुद का भी वोट बैंक हैं। जो सांसद बयानों अथवा अन्य किन्हीं कारणों से विवादों में रहे या जिनके कारण पार्टी को सफाई देनी पड़ी, उन्हें भी टिकट नहीं दिया गया है। 195 उम्मीदवारों की पहली सूची में 30 मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया था, इसके बाद 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में 33 मौजूदा सांसदों का टिकट काटकर भाजपा ने साफ कर दिया कि वो किसी भी तरह से रिस्क लेने के मूंड में नहीं है। दिल्ली में सात में छह उम्मीदवार बदल दिए गए, हरियाणा में जिन छह उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, उनमें तीन नए हैं। महाराष्ट्र में 20 उम्मीदवारों में से 14 को दोबारा टिकट मिला है, जबकि पांच का टिकट काटा गया है। तेलंगाना में 17 में से जिन 15 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है, उनमें से 10 बीआरएस व अन्य पार्टियों से पिछले पांच सालों के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में काफी सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा गया था, उनकी जगह नए चेहरों को उतारा गया है।
लोकसभा चुनाव के लिए जारी की गई बीजेपी की दूसरी लिस्ट में अंदरूनी फूट भी सामने आई है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में बिना सीट शेयरिंग फाइनल हुए ही बीस सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। महाराष्ट्र में एनडीए के सहयोगी दलों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। यही वजह है बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। हालांकि, जिन सहयोगी दलों के साथ भाजपा का तालमेल है और जिन सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है उसे भाजपा जल्द हल कर लेगी।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस के आगे और भी चुनौतियां हैं। इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग के साथ ही पीएम फेस को लेकर भी उलझनें हैं। यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटें जीतना आसान नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी के लिए 2024 का चुनाव अस्तित्व की लड़ाई जैसी है। राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, शरद पवार जैसे नेताओं की किस्मत भी इसी नतीजे से तय होंगे। अभी तक पश्चिम बंगाल में टीएमसी और पंजाब में आम आदमी पार्टी दो ऐसी पार्टियां सामने आई हैं, जो अपने-अपने राज्यों में बीजेपी का कड़ा मुकाबला कर रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में बंटवारे के बाद विपक्ष की स्थिति कमजोर हो चुकी है। कांग्रेस ने वोटरों को रिझाने के लिए कई घोषणाएं भी की हैं। नारी न्याय गारंटी योजना से कांग्रेस को काफी उम्मीदें हैं। गरीब परिवारों की महिलाओं को हर साल एक लाख रूपए देने, सरकारी भर्तियों में महिलाओं का पचास फीसद आरक्षण, आंगनबाड़ी, आशा और मध्यान्ह भोजन कार्यकर्ताओं की मासिक आय में केन्द्र सरकार का योगदान दोगुना करने, हर पंचायत में न्याय मित्र की भर्ती आदि की घोषणा की है। इसके साथ ही युवाओं को रिझाने के लिए भी युवाओं को स्नातक होते ही एक लाख रूपये देने, तीस लाख रिक्त पदों पर युवाओं की भर्ती सहित अन्य घोषणाएं की हैं। हालांकि ये सभी घोषणाएं इंडिया गठबंधन के मंच से होती तो इसका प्रतिसाद ज्यादा अच्छा मिल सकता था।
—– एनडीए में शामिल हैं ये दल ——
एनडीए में तीन दर्जन से ज्यादा छोटे-बड़े दल शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी, नेशनल पीपल्स पार्टी, ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन, ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस, अपना दल-सोनेलाल, असम गण परिषद, बीजू जनता दल, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, जनता दल (सेक्युलर), जनता दल युनाइटेड, जननायक जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), महाराष्ट्रवादी गोमांत पार्टी, नागा पीपल्स फ्रंट, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजीत गुट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिव सेना-एकनाथ शिंदे, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, टिपरा मोथा पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल, भारत धर्म जन सेना, गोरखा नेशनल लिब्रेशन फ्रंट, हरियाणा लोकहित पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, जन सुराज्य शक्ति, जन सेना पार्टी, केरल कामराज कांग्रेस, निषाद पार्टी, प्रहार जनशक्ति पार्टी, पुथिया निधि काची, राष्ट्रीय लोकदल, राष्ट्रीय लोक मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया- अठावले, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, तमिल मनीला कांग्रेस-एम, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम।
शिरोमणि अकाली दल- सयुंक्त।
——- ये है इंडिया गठबंधन ———–
दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों ने आम चुनाव में भाजपानीत गठबंधन को चुनौती देने के लिए एक गठबंधन बनाया था। इस गठबंधन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ-साथ तमाम क्षेत्रीय दल शामिल हैं। इसका नाम ‘इंडिया’ गठबंधन रखा गया जिसका पूरा नाम ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव एलायंस’ है। लेकिन शुरूआत में सीट बटवारे को लेकर खींचतान चलती रही। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। नीतीश कुमार ने करीब डेढ़ माह पहले ही अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए से किनारा किया था। अब बीजेपी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर बिहार की सभी लोकसभा सीटों को जीतने की कोशिश करेगी। गठबंधन से जुड़े दो अन्य दलों आम आदमी पार्टी और टीएमसी के नेता अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने भी इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया है। बहरहाल विपक्षी गठबंधन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, 3. द्रविड़ मुनेत्र कषगम, आम आदमी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, अपना दल (कमेरावादी), जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, विदुथलाई चिरुथैगल काची, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), मणिथनेय मक्कल काची (एमएमके), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (एम) और केरल कांग्रेस (जोसेफ) शामिल हैं।
——- महज कांग्रेस-भाजपा में ही नहीं है परिवारवाद ———-
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। कांग्रेस ने टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी पर परिवारवाद को लेकर पलटवार करते हुए हमला बोला है। कांग्रेस ने चुनावी बांड की बिक्री में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा चुनावी बांड की प्रमुख लाभार्थी रही है। एसबीआई ने चुनावी बांड का पूरा डेटा प्रस्तुत नहीं किया है क्योंकि ऐसे बांड की एक बड़ी किश्त 2018 में खरीदी गई थी, लेकिन बैंक ने केवल 2019 से डेटा प्रदान किया है। 2018 में 2500 करोड़ रुपये के बांड बेचे गए थे। उस डेटा को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि पता लग सके कि लाभार्थी कौन था। कांग्रेस का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का एसबीआई को दानदाताओं का प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल से मिलान करने के लिए पहचान संख्या प्रस्तुत करने को कहने का आदेश एक स्वागत योग्य कदम है। भाजपा ने 2014 में 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार के झूठे आरोपों को लेकर पिछली यूपीए सरकार पर निशाना साधा था, लेकिन बाद में अदालतों को उन आरोपों में कुछ भी नहीं मिला। जहां तक परिवारवाद का सवाल है तो भाजपा ने कई वरिष्ठ नेताओं के बेटे और बेटियों को टिकट दिया है। सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी को दिल्ली से टिकट दिया गया है। बीजेपी ने अकोला से मौजूदा सांसद संजय धोत्रे की जगह उनके बेटे अनूप धोत्रे को उम्मीदवार बनाया है। दिवंगत वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की बड़ी बेटी पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस ने कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ, अशोक गहलोत के बेटे वैभव को टिकट दिया है। बहरहाल, क्या महज गांधी-नेहरू परिवार या फिर लालू यादव, मुलायम यादव, करूणानिधि परिवार ही राजनीति में है, ऐसा नहीं है। भाजपा ने प्रेम धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर, बीएस येदियुरप्पा के पुत्र राघवेंद्र, रवि सुब्रमण्य के भतीजे तेजस्वी सूर्या, वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, एकनाथ खडसे की पुत्रवधू रक्षा खडसे, गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे, बालासाहेब विखे पाटील के पौत्र और राधाकृष्ण विखे के पुत्र सुजय को टिकट दिया है। किशोर देब बर्मन की बेटी कृति, संजय धोत्रे के बेटे अनूप धोत्रे, तुकाराम श्रंगारे के बेटे सुधाकर, अर्जुन तुलसीराम पवार की पुत्रवधू भारती पवार, विजय गावित की बेटी हिना गावित, मोहन देलकर की पत्नी कलाबेन देलकर और रतन कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को भी प्रत्याशी बनाया गया है। कांग्रेस के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों को टिकट दी गई है। तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई, अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत, कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ को प्रत्याशी बनाया गया है। माना जाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी में परिवारवाद नहीं है, पर वायनाड से राहुल गांधी के मुकाबले कम्युनिस्ट पार्टी की उम्मीदवार एनी राजा पार्टी के नेता जी राजा की पत्नी हैं। कांग्रेस के परिवार के अलावा शिरोमणि अकाली दल का बादल परिवार, शिवसेना का ठाकरे परिवार, समाजवादी पार्टी का मुलायम-अखिलेश परिवार, राष्ट्रीय जनता दल का लालू-तेजस्वी परिवार, जनता दल सेक्युलर का देवेगौडा परिवार, झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू-हेमंत सोरेन परिवार, डीएमके का करुणानिधि-स्टालिन परिवार, बीआरएस का केसीआर परिवार, केरल कांग्रेस के परिवार, एएमआईएम का ओवैसी परिवार, एनसीपी का शरद पवार परिवार, नेशनल कांफ्रेंस का फारुक और उमर अब्दुल्ला परिवार, पीडीपी का मुफ्ती परिवार, बीजद, तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस तक की पार्टियां किसी नेता के इर्दगिर्द हैं। कुल मिलाकर, सिर्फ कांग्रेस में ही परिवारवाद नहीं है बल्कि भाजपा, सपा, सहित अन्य दल भी हैं जो परिवारवाद की छत्र छाया में पनप रहे हैं या पनपे हुए हैं।
(अधिवक्ता एवं लेखक)