शान्तनु त्रिपाठी
भारत के युवाओं में खासकर खेल प्रेमियों में पिछले डेढ़ दशक में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। क्रिकेट के पीछे भागने वाले भारतीय युवाओं के हाथ में अब सिर्फ बैट एवं गेंद ही नहीं, बल्कि बास्केटबॉल, फुटबॉल और हॉकी भी दिख रही है। यही नहीं एक समय तक ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित रहने वाली कबड्डी भी अब शहरों में बने उच्च गुणवत्ता के मैदानों में खेली जा रही है। यह बदलाव इस बात का सूचक है कि भारत अब मल्टी-स्पोर्ट देश बनने की तरफ अग्रसर हो चुका है।
समय के साथ हो रहे इस सुखद परिवर्तन को जब हम देख रहे हैं, तो मस्तिष्क में एक प्रश्न भी कौंधता है कि भारत में हुए इस बदलाव का कारण क्या हैं? सामान्य तौर पर इंटरनेट और मोबाइल को हम इसकी वजह मान सकते हैं, लेकिन जब हम अपने अध्ययन को विस्तार देते हैं, तो इसमें बड़ा योगदान फैंटेसी स्पोर्ट्स का भी मिलता है। फैंटेसी स्पोर्ट्स ने भारतीय युवाओं की अन्य खेलों में रुचि जगाई है एवं भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी सहयोग किया है। कम कीमत पर मोबाइल और डेटा का मिलना एवं अच्छी इंटरनेट की कनेक्टिविटी के कारण फैंटेसी स्पोर्ट्स पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकास कर रहा है।
फैंटेसी स्पोर्ट्स क्या है?
सही मायने में कहा जाए तो फैंटेसी स्पोर्ट्स विशेषज्ञता का खेल है, जिसमें आपका हुनर आपकी जीत तय करता है। इसमें म्यूचुअल फंड में निवेश करने से ज्यादा कौशल की आवश्यकता होती है। यह बात एमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) और कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा ‘इज़ इट लक और स्किल?’ शीर्षक से प्रकाशित रिसर्च से साबित होती है। इस रिसर्च में कहा गया है कि म्यूचुअल फंड प्रबंधन से ज्यादा कौशल की आवश्यकता फैंटेसी स्पोर्ट्स की टीम के चयन में होती है। फैंटेसी स्पोर्ट्स का आधार वास्तविक और सजीव प्रसारित होने वाले खेल हैं। इसमें प्रतिभाग करने वाले लोग दोनों टीमों के खिलाड़ियों के साथ अपनी टीम बनाते हैं। मैच शुरू होने के बाद टीम में बदलाव की अनुमति नहीं होती है। वास्तविक मैच में खिलाड़ियों द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर प्रतिभागी को एप में प्वाइंट मिलते हैं और इसके बाद नतीजे आते हैं। फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐसे खेल होते हैं, जिनमें खेल प्रशंसक अपने हुनर और ज्ञान का बेहतर इस्तेमाल करके अपनी वर्चुअल टीम से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इसे लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ खेलते हैं। वास्तव में फैंटेसी स्पोर्ट्स खेल प्रशंसकों की खेल में रुचि बनाए रखने का मंच है, जिसके माध्यम से खेल प्रशंसक एक दूसरे के समक्ष अपने कौशल का प्रदर्शन कर पाते हैं। आज कल सब कुछ डिजिटल हो गया है जैसे चैटिंग, पेमेंट, ओटीटी प्लेटफॉर्मस इसी तरह से फैंटेसी स्पोर्ट्स भी खेल प्रशंसकों के लिए डिजिटल माध्यम की तरह काम आता है।
सट्टा या जुआ नहीं है फैंटेसी स्पोर्ट्स
फैंटेसी स्पोर्ट्स के विरोधी इसके बारे में जाने बगैर ही इसे सट्टे की कतार में खड़ा कर देते हैं। इसको हम इस तरह से समझ सकते हैं कि पे-टू-प्ले फैंटेसी स्पोर्ट्स को खेलने के लिए बालिग होना अनिवार्य है। जीतने पर विजेता को सरकारी आईडी प्रूफ देना पड़ता है। ऑनलाइन खेले जाने वाले इस खेल के 80 प्रतिशत उपयोगकर्ता बिना किसी उत्साह के इसमें भाग लेते हैं। वहीं जो लोग पूरे जुनून के साथ इस स्पोर्ट्स में हिस्सा लेते हैं उनमें से ज्यादातर लोग औसतन 35 रुपये में भाग लेते हैं। 50 प्रतिशत से अधिक उपयोगकर्ता जीतते हैं। फैंटेसी स्पोर्ट्स विशेषज्ञता का खेल है। आईआईएम बेंगलुरु, एमआईटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी का गहन अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं। साल 2017 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा था कि ऑनलाइन खेलों की प्रतियोगिता में भागीदारी जरूरी होती है, जिसमें कौशल, निर्णय और विवेक का समावेश हो, उन्हें ‘स्किल का खेल’ माना जाना चाहिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि जिन प्रतियोगिताओं में पर्याप्त कौशल शामिल है, वह जुआ नहीं होता है। ऐसी प्रतियोगिताएं व्यावसायिक गतिविधियां हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (छ) का हिस्सा हैं। बॉम्बे और राजस्थान हाईकोर्ट भी कुछ इसी तरह के आदेश दे चुके हैं। इस संबंध में हाईकोर्ट की टिप्पणियां बिल्कुल सही हैं, क्योंकि फैंटेसी खेलों में आपकी स्किल, आपकी चतुराई और आपकी कुशलता के बाद ही सफलता मिलती है। यानि ऐसे खेलों में आपकी मौजूदगी होती है, आप शामिल होते हैं या आप इसका हिस्सा होते हैं। हां जरूरत इस बात की है कि केंद्र सरकार को इसके लिए पूरे देश में एक गाइड लाइन बनानी चाहिए। जिससे हर राज्य में इन खेलों के लिए एक नियम हों। इससे राज्यों को, केंद्र को, फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स को और स्पोर्ट्स फैन्स को भी फायदा होगा।
पूरी तरह से पारदर्शी खेल
फैंटेसी स्पोर्ट्स कंपनियों ने हाल के दिनों में अपने प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता रखने के लिए काफी काम किया है। साथ ही पेड कॉन्टेस्ट में भी सभी जरूरी नियमों का पालन होता है। पेमेंट गेटवे को लेकर सभी कानूनी प्रक्रियाओं का ध्यान रखा जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें प्रतिभागी जो टीम बनाता है वो सबको दिखती है और दूसरों की टीम भी प्रतिभागी को दिखती है। इससे पारदर्शिता और ज्यादा बढ़ जाती है। इतना ही नहीं जो भी प्रतिभागी इस खेल में प्राइस मनी जीतता है, उसकी जानकारी सभी को मिलती है। इसलिए इसमें टैक्स चोरी जैसी आशंका है ही नहीं। यही नहीं स्व-नियामक के रूप में फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (एफआईएफएस) उपयोगकर्ताओं और ऑपरेटरों के हितों की रक्षा करती है। एफआईएफएस स्व-नियमन और परिचालन की दक्षता के उच्च मानकों को स्थापित कर रहा है।
क्रिकेट के अलावा 11 अन्य खेलों का संवर रहा है भविष्य
यह सही है कि भारतीय फैंटेसी स्पोर्ट्स में क्रिकेट का वर्चस्व कायम है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हॉकी, कबड्डी, फुटबॉल और वॉलीबॉल में भी भारतीयों की रुचि बढ़ी है। इसका कारण फैंटेसी स्पोर्ट्स हैं। क्रिकेट के अलावा 11 अन्य खेलों के भविष्य को संवारने का काम फैंटेसी स्पोर्ट्स कर रहे हैं। इतना ही नहीं ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को साकार करने में भी फैंटेसी स्पोर्ट्स बड़ा मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि फैंटेसी स्पोर्ट्स खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। जिससे भारत में बाजार का विस्तार भी हो रहा है और रोजगार का भी। खास बात ये है कि अमेरिका में फैंटेसी स्पोर्ट्स 50 सालों से खेले जा रहे हैं लेकिन भारत में कुछ ही समय पहले शुरू हुए इन खेलों ने अमेरिकी बाजार को भी मात दे दी है।
फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की बढ़ रही है तादाद
नीति आयोग के एक ड्राफ़्ट रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया था कि ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की तादाद भारत में बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। जून 2016 में जहां ये संख्या 20 लाख थी तो वहीं 2019 तक ये आंकड़ा करीब 9 करोड़ हो गया है। फैंटेसी गेमिंग कंपनियों के फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (एफआईएफएस) की 2020 की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 10 करोड़ स्पोर्ट्स प्रेमियों में एक करोड़ ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलते हैं। बात अगर जून 2016 से फरवरी 2019 के दौरान की कि जाए तो फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की संख्या 25 गुना तक बढ़ी है।
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे है फैंटेसी स्पोर्ट्स
फैंटेसी स्पोर्ट्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला सेक्टर है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) हो रहा है, अलबत्ता अभी तक देश में 3500 करोड़ रुपये का फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हो चुका है। इसके साथ ही अनुमान ये भी है कि साल 2023 तक इस क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रुपये का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होगा। पिछले तीन सालों में फैंटेसी स्पोर्ट्स के जरिए मिलने वाले टैक्स में 10 गुना इजाफा हुआ है और अनुमान है कि साल 2021 तक बतौर टैक्स के रूप में सरकार को 1500 करोड़ रुपये मिलेंगे। अनुमान यह भी है कि अगले 3 सालों में फैंटेसी स्पोर्ट्स से सरकार के खजाने में 13,500 करोड़ रुपये आएंगे। भारत में 150 से ज्यादा फैंटेसी स्पोर्ट्स कंपनियां हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 12 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही हैं। जब देश 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने का सपना देखता है तो फैंटेसी स्पोर्ट्स का इसमें बड़ा योगदान होना तय है।
नहीं लगती है लत
फैंटेसी स्पोर्ट्स अपने दोस्त या परिवार के किसी भी सदस्य के साथ समय बिताने का सबसे अच्छा साधन मुहैया करवाता है। जिसमें एक्साइटमेंट और एंटरटेनमेंट दोनों हैं। इस खेल की एक और खास बात भी है, वह ये कि मैच शुरू होने के बाद इसमें खिलाड़ियों और टीमों को बदला नहीं जा सकता। जिसकी वजह से स्पोर्ट्स फैन्स की कौशल की परीक्षा भी हो जाती है। इसके साथ ही फैंटेसी स्पोर्ट्स देश में खेलों के विकास के लिए भी काम कर रहा है। छोटे शहरों में स्टेडियम बनवाने से लेकर टूर्नामेंट करवाने तक या ये कहें कि जिन खेलों के प्रति भारतीय लोगों की रुचि कम हो रही है, उनको भी एक सूत्र में बांधे रखने का मोर्चा फैंटेसी स्पोर्ट्स ने संभाल रखा है। सब कुछ अच्छा रहा तो अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों की तरह एक दिन भारत भी मल्टी-स्पोर्ट देश बनेगा और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका फैंटेसी स्पोर्ट्स निभाएगा। फैंटेसी स्पोर्ट्स मनोरंजन के लिए है यह किसी को लती नहीं बनाता। यह बात इन तीन बिंदुओं से सिद्ध हो जाती है। 1- इस स्पोर्ट्स में तभी भाग लिया जा सकता है जब लाइव मैच शुरू हो चुका हो। 2- प्रतिभागी ऐप पर उतना ही समय व्यतीत करता है जितना कि टीम बनाने के लिए आवश्यक हो। 3- 80 प्रतिशत प्रतिभागी बिना कोई भुगतान किए इसका आनंद उठाते हैं।
सही मायने में भारतीय ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा कर रहा है। भारतीय ऑपरेटरों ने मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके फैंटेसी स्पोर्ट्स के लिए अत्यधिक परिष्कृत तकनीकों का निर्माण किया है। सभी लेनदेन 100 प्रतिशत डिजिटल होने की वजह से फैंटेसी स्पोर्ट्स डिजिटल इंडिया अभियान को भी मजबूती प्रदान कर रहा हैं। अगर सरकार द्वारा इस उद्योग को और प्रोत्साहन मिले तो भारत खेल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है।