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भारत की छुद्र राष्ट्रीय राजनीति ! कुछ यक्षप्रश्न

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-निर्मल कुमार शर्मा,

 यह ऐतिहासिक तथ्य है कि इस्लाम का प्रचार-प्रसार तलवार के बल पर हुआ,अन्य धर्मों की भाँति वैचारिकी के आधार पर नहीं हुआ । आज सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम के समर्थक अन्य धर्मों के साथ-साथ अपने इस्लाम धर्म के ही अन्य उप धर्मावलम्बियों के साथ भयंकर मार-काट मचाये हुए हैं ! पाकिस्तान, इरान,इराक,सीरिया, अफगानिस्तान,जोर्डन आदि देशों में बसे शिया-सुन्नी-अहमदिया-मुजाहिर आदि-आदि एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं । इन देशों में जबरदस्त कत्लेआम और खूनखराबा मचा हुआ है ! वे एक-दूसरे के खुदा के पवित्रतम पूजा स्थलों मतलब अपने मस्जिदों में भी एक-दूसरे की सामूहिक हत्या करने से भी नहीं हिचक रहे हैं ।

प्रायः आये दिन इरान,इराक,अफगानिस्तान आदि देशों से इस तरह की सामूहिक हत्याकांडों के समाचार अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं। अत्यन्त दुःखद है कि अपने देश में भी जो सदियों से धार्मिक सहिष्णुता का दुनिया में अब तक एक अनूठा मिशाल बना हुआ था,जिसके विशाल आँगन को विभिन्न धर्मों और समुदायों के विभिन्न लोग अपने विविधतापूर्ण सुन्दर रंगों,दर्शनों, साहित्य,कलाओं रूपी इन्द्रधनुषी रंगों से अलंकृत कर सजा रखा था उस इन्द्रधनुषी विविधता वाली संस्कृति को वर्तमान समय में सत्ता के कुछ सत्तालोलुप शक्तियां तार-तार करने पर उतारू हैं। वे बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक,धार्मिक,सांस्कृतिक और जातिगत् संकीर्णताओं के नाम पर हजारों साल से विकसित इस गंगा-जमुनी साझी सरगमी इन्द्रधनुषी विरासत को छिन्न-भिन्न करने पर उतारू हैं। ये पाशविक शक्तियाँ देश की बहुसंख्यक अशिक्षित और धार्मिककूपमंडूकता से ग्रस्त गरीब जनता में अपनी पैठ बनाती जा रहीं हैं । चूँकि इस देश में जानबूझकर भयंकर गरीबी, अशिक्षा,बेरोजगारी और भूखमरी पैदा करके रखी गई है जिससे लोगों को अपने जीवन जीने के लिए ही जबर्दस्त संघर्ष करना पड़ रहा है । जिससे इन कुत्सित धार्मिक विचारधारा वालों की चाल को समझने की मानसिक क्षमता ही कुंद कर दी गई है !     

          आज हम आपसी भाई-चारे,मैत्रीभाव से अलग हटकर जो हमारी राष्ट्रीय पहचान है अपने-अपने धर्मों की श्रेष्ठता की आत्ममुग्धता में लीन होकर एक-दूसरे के धार्मिक प्रतीकों मन्दिरों, मस्जिदों,गिरिजाघरों आदि को नष्ट करने और एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं को तिरस्कृत करने की राजनीति करने की प्रवृत्ति निश्चित रूप से अपने इस राष्ट्र को इसकी एकता को विध्वंस करने जैसा कुकृत्य कर रहे हैं ! भविष्य में जब भी कभी इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा तब भारतीय समाज और इस राष्ट्र राज्य की शांति, सुकून,सांझी विरासत और सामाजिक सौहार्द को नष्ट करने वाली इन नराधम शक्तियों के इस जघन्यतम् अपराध करने के अक्षम्य अपराधी के तौर पर दर्ज होगा । आज अगर कोई राजनैतिक दल इस गलतफहमी में हो कि वह अपना राजनैतिक वर्चस्व धार्मिक और जातीय वैमनष्यता फैलाकर पूरे देश पर अपनी सत्ता की पकड़ सदा के लिए मजबूत कर लेगा,यह उसकी बहुत बड़ी नादानी और नासमझी है । इस देश की बहुसंख्यक जनता गरी़ब और अशिक्षित जरूर है, परन्तु इतनी नासमझ नहीं है कि वह इन शातिर, धूर्त और राषद्रोहियों की इन निकृष्टतम् चालों को नहीं समझ पा रही हो ! आज के वैज्ञानिक और सूचना के आधुनिकतम् युग में प्राचीनकाल के दकियानूसी विचारधारा को आज के आधुनिक समाज पर थोप देना एक कोरा दिवास्वप्न मात्र ही  होगा। आज देश की ज्वलंत समस्याओं यथा गरी़बी,भूखमरी,भ्रष्टाचार,बेरोजगारी,अशिक्षा, आदि को दरकिनार कर,ये मन्दिर-मस्जिद,हिन्दू-मुस्लिम आदि की ओछी और निकृष्ट राजनीति बहुत दिन नहीं चलने वाली है। पहली बात ये संकीर्ण सांस्कृतिक सोच वाले कुछ ही दिनों में बेनकाब हो जायेंगे परन्तु अगर ये सफल भी हो जायें तो इतिहास में इनका नाम एक राष्ट्र हन्ता के रूप में सदा के लिए अंकित होगा।

-निर्मल कुमार शर्मा,प्रताप विहार ,गाजियाबाद

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