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किसान नेता को भारत रत्न देने वाली सरकार द्वारा किसान आंदोलन का भयंकर दमन

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मुनेश त्यागी

       भारत की केंद्र सरकार ने पिछले दिनों किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह और महान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर अपने समर्थकों की वाहवाही लूटी थी। मगर हम देख रहे हैं कि सरकार की यह सारी कवायद सिर्फ और सिर्फ 2024 का चुनावी प्रोपेगेंडा थी। इसके अलावा उसका और कोई मकसद नहीं था।

     असलियत यह है कि सरकार का किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह और कृषि क्रांति के सबसे बड़े नायक डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन के विचारों को हकीकत में बदलने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वह भारत रत्न देकर उनके विचारों की और उनकी सोच की सबसे बड़ी हत्या कर रही है। उनके विचारों को धरती पर उतारकर किसानों और खेत मजदूर का भला करने की उसकी कोई नीति नहीं है।

       हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत देश के कुछ किसान 13 फरवरी को दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले हैं। इन किसानों की मांगे वही हैं जिसके लिए चौधरी चरण सिंह और डॉक्टर स्वामीनाथन अपनी सारी जिंदगी संघर्ष करते रहे। केंद्र सरकार किसानों के इस आंदोलन से इस कदर डर गई है और इस कदर खौफजदा हो गई है कि वह बर्बरता की सारी हदें पार करने पर उतर आई है।

     इस किसान आंदोलन को रोकने के लिए सरकार ने पैरा मिलिट्री फोर्स की 64 कंपनियों को हरियाणा भेज दिया है, जिनमें बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान शामिल हैं। हरियाणा के 22 में से 15 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। अंबाला, बिहार, कुरुक्षेत्र, जींद, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में 13 फरवरी तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पंजाब से आने वाले किसानों को रोकने के लिए सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं। सड़कों पर कंक्रीट के साथ लोहे की कीलें या कटीले तारों की बाढ़ लगा दी गई है। सड़कों पर 10 से 15 फीट चौड़ी खाईयां खोद दी गई हैं। दिल्ली के कई बॉर्डर सील कर दिए गए हैं। कुछ शहरों की हवाई सेवाएं बंद कर दी गई है। डीजल की बिक्री को 10 लीटर की राशनिंग लगा दी गई है।

      यहीं पर यह मुख्य सवाल उठता है कि आखिर इन लाखों किसानों की मांगें क्या हैं? उनकी मांगे सिर्फ और सिर्फ ये हैं कि ,,,,फसलों का वाजिब दाम दो, ,,,,एसपी को सी2 प्लस के साथ निर्धारित करो ,,,,बिजली के दाम कम करो ,,,,,किसानों के कर्ज माफ करो, ,,,,,,खेतिहर मजदूरों को पेंशन दो,,,,,खाद बिजली पानी की दरें कम करो और ,,,,,महंगाई पर रोक लगाओ।

      यहीं पर यह बात भी ध्यान देने लायक है कि केंद्रीय सरकार ने चौधरी चरण सिंह और डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर 2024 के चुनाव साधने की हिप्पोक्राइसी की है। ऐसा करके सरकार अपने 10 साल से किसान-विरोधी, कृषि-विरोधी और कॉर्पोरेट-परस्त नीतियों को छिपा रही है।

    किसान विरोधी काले कानून को वापस करने के आंदोलन में अपने 10750 किसानों को शहीद होने को किसान नहीं भूले हैं। किसान अपने चार किसानों और एक पत्रकार की केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी द्वारा की गई हत्या को भी नहीं भूल पाए हैं। सरकार के दस साल के शासन में एक लाख किसान और खेतिहर मजदूर कर्जमंदी के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। 

     नरेंद्र मोदी अपनी 400 रेलियों में किसानों को कारगर मदद देने का आश्वासन दिल चुके हैं, मगर यह सारे आश्वासन आज भी अधूरे हैं। 15 फरवरी 2015 को सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए अपने शपथ पत्र में सरकार ऐसा करने से साफ साफ मना कर चुकी है। 2014 के संसदीय चुनाव में अपने भाषणों में नरेन्द्र मोदी किसान कर्ज माफी की घोषणा करते रहे हैं मगर अभी तक उनकी सरकार ने किसानों का एक रुपया भी माफ नहीं किया है जबकि अपने पूंजीपति मित्रों के 15 लाख करोड रुपए माफ कर चुकी है।

     मोदी सरकार ने छ: सालों में किसानों की आमदनी दुगनी करने की घोषणा की थी जबकि कई बजटों में कृषि बजट में भारी कटौती की गई है। मोदी सरकार पिछले दस वर्षों में किसानों मजदूरों के हित में कोई काम कर नहीं कर पाई है, उसने सिर्फ कॉर्पोरेट के हितों को आगे बढ़ाया गया है। अपनी कृषि विरोधी और किसान मजदूर विरोधी नीतियों को लागू करके उसने सिर्फ और सिर्फ भारतीय कृषि और भारतीय किसानों का सर्वनाश किया है।

       उपरोक्त तथ्यों के आलोक में हम यह भी कहेंगे कि जयंत चौधरी ने भाजपा के पाले में जाकर अच्छा नहीं किया है। उसने अपने दादा चौधरी चरण सिंह की किसानपरस्त लड़ाकू विरासत का परित्याग कर दिया है और वह किसान विरोधी और कृषि विरोधी सरकार की गोद में जा बैठे हैं। हो सकता है इससे उन्हें पारिवारिक सुख मिला हो, और सत्ता में कुछ पद हासिल हो जायें, मगर भारत के अधिकांश किसान उनके इस पाला बदलने से बिल्कुल भी खुश नहीं है।

     मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के पौत्र चौधरी चरण सिंह की विरासत को छोड़कर, किसान विरोधी और कृषि विरोधी बीजेपी के पाले में चले गए हैं। क्योंकि जब भी उनके पिताजी चौधरी अजीत सिंह हमारे गांव रासना में जाते थे तो वे हमारे स्वतंत्रता सेनानी ताऊजी प्रणाम सिंह त्यागी से जरूर मिलते थे। उनके बिना वह किसी मीटिंग को संबोधित नहीं करते थे। वे हमारे स्वतंत्रता सेनानी ताऊजी को ताऊ जी कहकर ही पुकारते थे। 

     यहीं पर यह बताना भी जरूरी है कि हमारे गांव के अधिकांश किसान चौधरी चरण सिंह की नीतियों में विश्वास करते थे और चुनाव आने पर उन्हें सामूहिक चंदा भी देते थे। चौधरी चरण सिंह और हमारे दादा महाशय सागर सिंह अपने दो पुत्रों ओमप्रकाश त्यागी उर्फ “कानूनी” और प्रणाम सिंह त्यागी के साथ 1942 के “अंग्रेजों भारत छोड़ो” आंदोलन में एकसाथ जेल में थे। हमारे घर वाले और हमारे गांव के अधिकांश किसान चौधरी चरण सिंह के समर्थक थे।

      एक बार ऐसा हुआ कि चौधरी अजीत सिंह को हमारे गांव से होकर दूसरे गांव में जाना था। मगर जब उन्हें उस रास्ते में हमारे ताऊजी नहीं मिले तो उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से पूछा कि “ताऊजी प्रणाम सिंह क्यों नहीं आए हैं? वे कहां हैं?” तो वे एकदम हमारे घर आए, हमारे स्वतंत्रता सेनानी ताऊजी से मिले और उनसे कारण पूछा और इसके बाद वे हमारे ताऊजी को लेकर ही दूसरे गांव में मीटिंग करने के लिए गए।

      इस प्रकार मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है की जयंत सिंह उस पार्टी में कैसे जा सकते हैं जिसने कभी भी उनके दादा चौधरी चरण सिंह की विरासत और किसान राजनीति की, कभी भी हिमायत नहीं की, उसका कभी भी समर्थन नहीं किया और वह आज भी चौधरी चरण सिंह की राजनीति और उनकी विरासत को रौंद रही है, उसकी नीतियों की रोज रोज हत्या कर रही है। क्या जयंत सिंह बीजेपी के किसान विरोधी पाले में जाकर चौधरी चरण सिंह की किसान समर्थक नीतियों और विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे? क्या वे इस सरकार की किसान विरोधी और कृषि विरोधी नीतियों को बदलवा पाएंगे? हमारा मानना है कि वे किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं कर सकते हैं और वे वहां जाकर सिर्फ और सिर्फ सरकार की कठपुतली और मोहरा बन गए हैं।

    अभी देखिए कि अपनी जायज मांगों के लिए प्रदर्शन करने वाले लाखों किसानों के साथ यह केंद्रीय सरकार कैसा दुष्मनवत  बर्ताव कर रही है? कैसे उन्हें अपना जायज का प्रदर्शन करने से रोक रही है? और वह किसानों के जायज आंदोलन की हत्या कर रही है और उनके जायज़ आंदोलन से किस कदर खौफजदा हो गई है और उनके भयंकर दमन पर उतर आई है,जो नाकाबिले बर्दाश्त हो गया है। सरकार ऐसा करके चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को दिए गए भारत रत्न का भी सरेआम अपमान कर रही है।

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