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पूर्व आईएफएस बेलवाल के खिलाफ नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत ईओडब्ल्यू में, दर्ज की एफआईआर

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राज्य आजीविका मिशन में की नियम विरुद्ध नियुक्तियां
-सुषमा शुक्ला को एमबीएम की फर्जी डिग्री पद दी नियुक्ति
भोपाल। आजीविका मिशन में अवैधानिक नियुक्तियों के आरोप में पूर्व आईएफएस अधिकारी एवं तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल सहित विकास अवस्थी और सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। खिलाफ ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर ली है। ललित मोहन बेलवाल पर आरोप है, कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में बिना अधिकार अवैधानिक नियुक्तियां की हैं। जानकारी के अनुसार फरवरी 2024 को आरके मिश्रा ने ईओडब्ल्यू से आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधन ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत ईओडब्ल्यू में की थी।

लेकिन, कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया। सीजेएम कोर्ट ने ईओडब्ल्यू से 28 मार्च तक इस मामले की जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। ईओडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया था, कि जांच में पता चला है, कि अफसरों द्वारा किए गए विवादित कार्य या आदेश शासकीय पद पर रहते हुए जारी किए गए हैं। मामले में आगे की गई जांच में सामने आया की तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल ने प्रतिनियुक्ति के समय वर्ष 2015 से 2023 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते हुये राज्य परियोजना प्रबंधक के पदों पर सलाहकारों की अवैध नियुक्तियां की गई। बेलवाल द्वारा सचिव मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के निर्देशों को दर किनार करते हुए एवं संबंधित नस्तियों में छेड़छाड़ करते हुए तत्कालीन विभागीय मंत्री की आपत्तियों को भी नजरअंदाज करते हुए यह नियुक्तियां की गई। जांच पूरी होने पर सामने आई रिपोर्ट में पाया गया कि जिस मानव संसाधन मार्गदर्शिका के नियमों के आधार पर स्वीकृत पदों के विरुद्ध बेलवाल द्वारा नियुक्तियां की गई है। वह मानव संसाधन मार्गदर्शिका तब अस्तित्व में नहीं थी। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अवैधानिक नियुक्तियों के साथ-साथ अन्य संवर्गों में लागू जीवन यापन लागत सूचकांक को बेलवाल द्वारा नजरअंदाज करते हुये इन अवैध नियुक्तियों के मानदेयों में 40 प्रतिशत तक की असम्यक बढ़ोतरी की गई।
*फर्जी निकली सुषमा शुक्ला की एमबीए की डिग्री और अनुभव प्रमाण पत्र
ईओडब्ल्यू द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बेलवाल द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुये बिना योग्यता के सुषमा रानी शुक्ला को उस पद पर नियुक्त किया गया जिस पर उन्हें नियुक्ति नहीं दी जानी थी। इस पद के लिए न्यूनतम 15 वर्ष का प्रबंधकीय अनुभव अपेक्षित था, जबकि उन्हें यह अनुभव था हीं नहीं। इसके बाद भी उन्हें नियुक्त करने के मात्र चार माह के अंदर ही अवैध तरीके से 70 हजार प्रतिमाह का मानदेय स्वीकृत किया गया। इस पद के लिये एमबीए या स्नातकोत्तर डिग्री आवश्यक होती है, साथ ही 15 साल का प्रासंगिक प्रबंधकीय अनुभव भी होना चाहिये। सुषमा शुक्ला द्वारा दी गई एमबीए की डिग्री और अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये। सुषमा शुक्ला ने अपने प्रतिवेदन में 15 मई 2016 में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी) हैदराबाद का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया था। जांच में यह प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया इसे एनआईआरडी द्वारा जारी नहीं किया गया था। वहीं सुषमा शुक्ला ने सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्रस्तुत की थी, उसमें तीसरे और चौथे सेमेस्टर दोनों की मार्कशीट पर परीक्षा की एक ही तारीख (25.10.2010) अंकित थी। चैक करने पर विश्वविद्यालय ने साफ किया की दोनों सेमेस्टर की परीक्षाओं के बीच 6 महीने का अंतराल था। नौकरी देने के लिये साक्षात्कार पैनल का गठन भी बेलवाल द्वारा स्वयं किया गया, जिसमें बाहरी विशेषज्ञों का चयन भी पूर्व नियोजित प्रतीत हुआ इतना ही नहीं अंतिम चयन सूची पर शासन से आवश्यक अनुमोदन नहीं लिया गया, फिर भी उन्हें नियुक्त कर दिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि सुषमा शुक्ला पूर्व में आजीविका मिशन में जिला प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) के पद पर कार्यरत थीं। उन्होंने इस पद से विधिवत त्यागपत्र दिए बिना ही स्वयं को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी) हैदराबाद में प्रतिनियुक्त करवा लिया। जॉच के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पूर्व आईएफएस अधिकारी एवं तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल सहित विकास अवस्थी और सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ धारा 420, 468, 471, 120-बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के अंतर्गत मामला दर्ज किया है। अफसरों का कहना है की राज्य आजीविका मिशन में की गई अन्य अवैध गतिविधियों की जांच अभी जारी है। जिसमें आने वाले समय में और भी कई गड़बड़ियों के खुलासे की संभावना है।

ramswaroop mantri

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