रामकिशोर मेहता
तुम आओ
एक नहीं
दो नहीं
दस नहीं
सौ नहीं
हजार नहीं
लाख लाख आओ।
मेरे पीछे नहीं,
मै
तुम्हारा नेतृत्व नहीं कर रहा,
मेरे आगे भी नही
मैं
तुम्हें धकेल कर खतरों में
बच कल भागना नहीं चाहता।
मेरे साथ आओ।
ओ! मुझ जैसे बूढ़े लोगो
मत सोचो
कि तुम बुढ़ा गए हो,
हो गई है
तुम्हारे कर्मों की इतिश्री।
नहीं।
यही सबसे उपयुक्त समय है
पहली पंक्ति में खड़े हों जाओ
साहस
और
अधिकार के साथ कहो
उन सामने खड़े
नौ जवान बंदूक धारियों से
कि बेटो !
चलाओ
हमारी सीने पर गोलियां
तब तक
जब तक
समाप्त न हो जायें तुम्हारा अस्लाह,
तब तक
जब तक
तुम समझने न लग जाओ
अपने नेतृत्व के छल भरे
वास्तविक मन्तव्य को,
उन खेलों को
जो वे खेलते है
धर्म के नाम पर
राष्ट्र के नाम पर
जाति के नाम पर,
उस खेल को
खेलते रहो
तुम भी
तब तक
जब तक
तुम्हारी अंतरात्मा
धिक्कारने न लगे तुम्हें
और
मजबूर न हो जाओ तुम
हमारे
पक्ष में खड़े होने के लिए,
और
तब तक
जब तक
वे लोग
जो तुम्हें आगे कर
तुम्हारी आड़ में
खेलते रहें हैं
देश भक्ति
देश भक्ति
का खेल
समझने न लगें
कि क्या होती है देश भक्ति ,
क्या होता है
देश पर कुर्बान हो जाने का अर्थ,
और
तब तक
जब तक
वे छद्म देश भक्त
दुम दबा कर
भागने न लगे।
हम चाहते हैं
कि तुम में
हमारी पीढ़ियाँ
सुरक्षित रहें
भविष्य के लिए।