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हर वक्त जांघ पर ताल ठोकने और भाषण देने से विदेश नीति नहीं चलती

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अजीत साही

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने संडे को ज़ूम कॉल पर बांग्लादेश की नई सरकार को जमकर गालियां दीं और कहा कि नई सरकार पर उस देश में दंगा करवाने के इलज़ाम पर मुक़दमा चलना चाहिए.

हैरानी की बात है कि मोदी सरकार ने हसीना को — जो पिछले दो महीने से भारत की शरण में रह रही हैं — इस तरह की गैर-ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ी करने की खुली छूट दे रखी है. हसीना की इन बातों से भारत को बड़ा नुक़सान हो सकता है.

पहली बात तो ये कि मोदी सरकार को हसीना को भारत में शरण नहीं देनी चाहिए थी. अगर शरण दी भी, तो शर्त रखनी चाहिए थी कि वो राजनीति पर चुप रहें.

बांग्लादेश की नई सरकार पहले से ही भारत से नाराज़ है. वो लगातार मांग रख रही है कि भारत हसीना को वापस भेजे ताकि वहां के नागरिकों पर अत्याचार और गोलीबारी के आरोपों में हसीना पर बांग्लादेश में मुक़दमा चल सके.

बांग्लादेश हमारे लिए एक अहम पड़ोसी मुल्क है. वहां के लोगों ने दो महीने पहले सड़क पर उतरकर हसीना की सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसकी वजह से हसीना को 20 मिनट में देश छोड़कर भागना पड़ा.

अब भारत को बांग्लादेश की नई सरकार से जल्द अच्छे रिश्ते बनाने की ज़रूरत है. इसी मकसद से भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज ढाका में बांग्लादेश के विदेश मंत्री से मुलाकात भी की. लेकिन हसीना का बेहूदा बयान भारत और बांग्लादेश के रिश्ते सुधारने की इस कोशिश पर पानी फेर देता है.

मोदी सरकार की गैर-ज़िम्मेदारी यहीं ख़त्म नहीं होती. कल बीजेपी ने बहुत ही बेवक़ूफ़ी का बयान जारी कर दिया कि अमेरिका मोदी सरकार को निशाना बना रहा है. पार्टी ने लंबा-चौड़ा ट्वीट कर कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर मोदी सरकार को गिराने और कांग्रेस को सत्ता में लाने की साजिश कर रहा है. बीजेपी ने दावा किया कि गौतम अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप इसी साजिश का हिस्सा हैं.

ज़ाहिर है कोई भी सत्ताधारी पार्टी बिना सरकार की जानकारी के ऐसे सनसनीख़ेज़ बयान नहीं दे सकती. असल में नरेंद्र मोदी को विदेश नीति की समझ ही नहीं है. उनके दस साल के कार्यकाल में हमारे लगभग सभी पड़ोसी देश भारत से दूर हो गए हैं, और इसका फायदा सीधे-सीधे चीन को हुआ है. श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और म्यांमार सभी इस दौरान चीन के बेहद क़रीब आ गए हैं.

ऐसे में भारत के लिए और ज़रूरी हो जाता है कि वो बांग्लादेश की नई सरकार से दोस्ती बनाए. भारत को चाहिए कि हसीना को वापस बांग्लादेश भेज दे, भले ही ये शर्त लगा कर कि उन्हें जेल में नहीं बल्कि हाउस अरेस्ट में रखा जाए.

दुर्भाग्य ये है कि मोदी को विदेश नीति पहलवानी का अखाड़ा लगती है. हर वक्त जांघ पर ताल ठोकने और भाषण देने से विदेश नीति नहीं चलती. भारत का दुर्भाग्य है कि ऐसे अयोग्य और नाकाम इंसान को भारत का प्रधानमंत्री बना रखा है.

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