बुंदेलखंड की राजनीतिक बिसात पर नई नई बाजियां जारी हैं। 23 दिसंबर को जब सागर में गौरव दिवस मनाया जा रहा था तब राजनीति वर्चस्व और अस्तित्व का नया अध्याय लिखा जा रहा था। राजनीति के सागर में खेवनहार के लिए पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का बेटा भी अब मैदान में हैं।
बुंदेलखंड बीजेपी में सत्ता और शक्ति का संघर्ष हर समय शह मात का नया अध्याय रच रहा है। सागर जिले की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार तथा मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को मिल रही तवज्जो और अपनी उपेक्षा के चलते पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह कई सार्वजनिक मंचों पर एक साथ दिखाई दिए है। जबकि दोनों नेता पूर्व एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में तवज्जो न मिलने के कारण ही दोनों नेता एक साथ एक ही गाड़ी में आधे कार्यक्रम से चले गए थे। मगर विरोध के इस मोर्चे को बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव की जगह पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ज्यादा आक्रामकता के साथ संभाले हुए हैं। भूपेंद्र सिंह ने ही कार्यकर्ताओं की भरी बैठक में कहा था कि वे कांग्रेस से आए लोगों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं, पार्टी भले ही स्वीकार करे। विधानसभा में भी भूपेंद्र सिंह ने कई बार सरकार और पार्टी को असहज कर देने वाले सवाल और टिप्पणियां की।
सोमवार को भी यही हुआ। गौरव दिवस के लिए सागर में लगाए गए बैनर-पोस्टर से पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के फोटो नदारद थे। इनके अलावा अन्य विधायकों के नाम भी बोलने वालों की सूची में नहीं थे। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि फोटो लगाने से यदि कोई नेता बन जाता, तो जय प्रकाश नारायण की फोटो कभी नहीं लगी थी, लेकिन वे लोकनायक कहे जाते हैं। फोटो लगाने से कुछ नहीं होता है। आदमी को उनके कामों से याद किया जाता है।
भूपेंद्र सिंह की प्रतिक्रिया अधिक आक्रामक थी। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के आतिथ्य वाले सागर नगर निगम के आयोजन के समानांतर क्षत्रिय महासभा का युवा सम्मेलन आयोजित करवा दिया। इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर मुख्य अतिथि थे। खास बात यह रही कि इस आयोजन के सूत्रधार पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह जरूर थे लेकिन आयोजन का चेहरा उनका पुत्र अविराज सिंह था। राजनीतिक रूप से लांच करने के लिए भूपेंद्र सिंह ने पिछले महीने बेटे के जन्मदिन पर भजन संध्या आयोजित की थी। इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव मुख्य अतिथि बनाए गए थे। भजन संध्या भी एक तरह का शक्ति प्रदर्शन था और सोमवार को आयोजित राजपूत युवा सम्मेलन भी।
इस आयोजन के जरिए भूपेंद्र सिंह ने अहसास करवाया कि वे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ किसी भी स्थिति में समझौता करने को तैयार नहीं हैं, पार्टी नेतृत्व के कहने के बाद भी नहीं। यूं तो गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी राजनीतिक मामलों पर सधी भाषा में प्रतिक्रिया देते रहे हैं लेकिन भूपेंद्र सिंह ने वास्तव में बेटे अविराज की सक्रियता के जरिए उस जातीय राजनीति की बाजी में मजबूत चाल चली है जहां मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का बेटा भी सक्रिय दावेदार है।
मोदी के लाड़ले मुख्यमंत्री के घर में भ्रष्टाचार का झोल
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के पैमाने टूट रहे हैं। ऐसे में सरकार के काम पर सवाल उठने तो लाजमी हैं। जब यह आरोप मुख्यमंत्री के क्षेत्र से जुड़ा हो और बीजेपी के विधायक ही लगाएं तो मामला गंभीर हो जाता है। बीते सप्ताह ऐसा ही हुआ। एक तरफ तो जयपुर में आयोजित पार्वती-कालीसिंध- चंबल प्रोजेक्ट कार्यक्रमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को ‘लाडला’ कहा दूसरी तरफ विधानसभा में बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के क्षेत्र और उनके स्वप्न आयोजन सिंहस्थ की तैयारियों में भ्रष्ट आचरण के आरोप लगा दिए।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उज्जैन के घटिया से बीजेपी विधायक सतीश मालवीय ने उज्जैन मास्टर प्लान में अनियमितता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पता चला है कि यातायात नगर की 1.64 हेक्टेयर जमीन निजी हाथों में दी जा रही है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आरोपों को नकारते हुए कह दिया कि मास्टर प्लान से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इस पर विधायक सतीश मालवीय रूके नहीं। बीजेपी विधायक सतीश मालवीय ने वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से कहा कि आप जैसे वरिष्ठ को भी अफसरों ने भ्रमित किया है।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने नियमों के तहत अनुमति देने की बात कही तो विधायक सतीश मालवीय ने दस्तावेज लहराते हुए कहा कि मेरे पास दस्तावेज हैं। वरिष्ठ अफसरों से जांच कराएं। बात को संभालते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि आप जांच चाहते हैं तो टीएंडसीपी के डायरेक्टर, ज्वॉइंट डायरेक्टर को भेज दूंगा। आप भी उसमें शामिल हों, जो आपके पास जानकारी हो, उपलब्ध करा दें।
बीजेपी विधायक आक्रामक, मंत्री जी कांग्रेस के बचाव में
राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है लेकिन जब दोस्त ही खुलेआम दुश्मन के बचाव में आ जाए तब क्या हो? ऐसी ही स्थिति से गुजरे बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कई बीजेपी विधायकों ने विपक्ष कांग्रेस के हमले का जवाब देने के लिए कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए। ऐसे में ही बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी ने प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस को घेरने के लिए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में पिछोर विधानसभा क्षेत्र में कई भर्तियों में फर्जीवाड़ा किया है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग में किसी ओर की भर्ती हुई और किसी और नाम से नौकरी की जा रही है। इसकी जांच होना चाहिए। अपने आरोप के पक्ष में विधायक प्रीतम लोधी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभा गने मेवाबाई को नौकरी दी लेकिन काम कमलेश नामक महिला कर रही है।
कांग्रेस विधायक तो इस आरोप का विरोध कर ही रहे थे तभी महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने अपने जवाब में कहा कि नहीं माननीय विधायक महोदय ऐसा नहीं है। जिसकी भर्ती हुई है वही महिला नौकरी भी कर रही है। मेवाबाई उनके घर का नाम है और कमलेश नाम कागजों में दर्ज है। अपनी ही पार्टी के विधायक के आरोपों को जैसे ही मंत्री ने खारिज किया कांग्रेस विधायकों ने मेज थपथपाकर मंत्री के जवाब का स्वागत किया। कांग्रेस विधायकों को कमलनाथ सरकार में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों पर जवाब देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। मंत्री ने ही उनका काम कर दिया। बीजेपी खेमे के आपसी मतभेद पर कांग्रेस विधायक देर तक मजे लेते रहे।
सड़क और सदन में कांग्रेस की संजीवनी
बतौर विपक्ष किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनौती होती है कि वह सड़क पर सत्ता के खिलाफ मुद्दों को गर्माए रखे और विधानसभा में सरकार को घेरे रखे। पिछला हफ्ता ऐसा मौका था जब कांग्रेस ने सड़क पर आंदोलन और सदन में विरोध प्रदर्शन कर अपनी शक्ति का अहसास करवाया। बीते कुछ सालों में सदन में कांग्रेस ने आक्रामक विरोध दिखाया है। सरकार की रूचि विपक्ष के आरोपों और मुद्दों पर बहस की जगह आवश्यक कार्य निपटाने में रहती है। इसी कारण कम दिनों के विधानसभा सत्र भी बीच में ही खत्म हुए हैं। बहुत दिनों बाद सदन की कार्यवाही पूरे समय चली। खास बात यह है कि 2021 के बाद ऐसा हुआ जब सत्र पूरा हुआ हो इससे पहले 8 सत्र हंगामें की भेंट चढ़ गए और उन्हें अवधि से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुए हैं।
इस बार 16 से 20 दिसंबर तक आयोजित पांच दिन शीतकालीन सत्र में सरकार ने कई अहम प्रस्ताव पास भी करवाए और विपक्ष ने कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष को संकट में भी डाला। कयास थे कि कार्यवाही सरकारी काम निपटाकर दो तीन दिनों में खत्म हो जाएगी। मगर विपक्ष ने संतुलन की रणनीति पर काम किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने रणनीति के साथ काम करते हुए हर दिन अलग-अलग मुद्दों को उठा कर सरकार को घेरा। खाद, बीज, बिजली और किसानों की विभिन्न समस्याओं, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और बढ़ते कर्ज के साथ ही बाबा साहब अंबेडकर पर बीजेपी को घेरा। पूरे समय कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन भी किया लेकिन हंगामा इतना अनियंत्रित भी नहीं हुआ कि सदन स्थगित करना पड़े। इस तरह, सत्र के पहले दिन सड़क पर प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में ताकत दिखाई गई तो सदन में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई गई।
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