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90 वर्षीय पूर्व पीएम मनमोहन सिंह व्हीलचेयर पर वोट डालने आए

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एस पी मित्तल, अजमेर 

7 अगस्त को कांग्रेस ने पूरी कोशिश की कि मोदी सरकार द्वारा रखा गया दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा में गिर जाए। इसके लिए असम से राज्यसभा सदस्य और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को 90 वर्ष की उम्र में व्हीलचेयर पर बैठाकर राज्यसभा में लाया गया। विधेयक पर मतदान तो रात दस बजे हुआ, लेकिन बीमार और परेशान डॉ. सिंह 9 बजे ही सदन में आ गए। 90 वर्षीय बीमार व्यक्ति को एक घंटे तक व्हीलचेयर पर बैठना पड़े, इससे ज्यादा कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं हो सकती। कांग्रेस चाहती तो डॉ. सिंह को वोटिंग से छूट दे सकती थी, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मित्रता करने के चक्कर में कांग्रेस काटर राहुल गांधी डॉ. सिंह की उम्र और परेशानी को भी भूल गए। हालांकि डॉ. सिंह के वोट के बाद भी दिल्ली सेवा विधेयक के विरोध में 102 वोट पड़े जबकि पक्ष में 131 वोट मिले। डॉ. सिंह को यह भी पीड़ा रही होगी तो 2009 से 2014 तक अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा आरोप मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह पर ही लगाए। जिन डॉ. सिंह की सरकार को केजरीवाल ने रजिस्टर्ड भ्रष्टाचारी घोषित कर दिया, उन्हीं डॉ. सिंह को 90 वर्ष की उम्र में आधी रात को केजरीवाल सरकार के समर्थन में वोट डालने आना पड़ा। 2015 में दिल्ली प्रदेश में सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने जब सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को चोर और भ्रष्टाचारी बताया था, तब राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने संसद में कहा था कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत जेल में डाल  देना चाहिए, लेकिन यह बात अलग है कि 7 अगस्त को राजद के सांसदों ने भी केजरीवाल के समर्थन में अपना वोट डाला। सवाल उठता है कि 7 अगस्त को राज्यसभा में जिस प्रकार कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया, उसके बाद क्या अब भी राजस्थान में केजरीवाल कांग्रेस को हराने का काम करेंगे? केजरीवाल ने राजस्थान में सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। केजरीवाल खुद भी रैलियां, सभाएं आदि करने लगे हैं। यदि केजरीवाल पूरे दम से चुनाव लड़ते हैं तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होना मुश्किल है। पड़ोसी राज्य गुजरात में भी कांग्रेस ने हार के लिए केजरीवाल को ही जिम्मेदार माना था। आम आदमी पार्टी ने जिन भी राज्यों में चुनाव लड़ा वहां कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। गुजरात में हार का कारण बने तो पंजाब और दिल्ली में तो केजरीवाल ने कांग्रेस से सत्ता ही छीन ली। केजरीवाल भी इंडिया के उस 26 दलों के गठबंधन में शामिल हैं जो 2024 में मोदी को हराने के लिए बने हैं। लेकिन 2023 में जब केजरीवाल राजस्थान में कांग्रेस को हरा देंगे, तब मई 2024 तक कांग्रेस के साथ दोस्ती कैसे रहेगी? अलबत्ता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी चाहते हैं कि केजरीवाल से राजनीतिक समझौता हो जाए।

आप का फर्जीवाड़ा:

7 अगस्त को जब दिल्ली सेवा विधेयक पर मत विभाजन हो रहा था, तब पांच सांसदों ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने उनकी सहमति के बिना ही नाम सेलेक्ट कमेटी में भेज दिए हैं। इन सांसदों का कहना रहा कि यह गैर संसदीय कृत्य है। इस पर अमित शाह ने सभापति से मांग की कि इस फर्जीवाड़े की जांच करवाई जाए। संसदीय कार्यों के जानकारों का मानना है कि राज्यसभा के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब किसी राजनीतिक दल के सांसद ने ऐसा कार्य किया है। गंभीर बात तो यह है कि जिन पांच सांसदों के नाम राघव चड्ढा ने दिए उनमें दो भाजपा के सांसद भी हैं। माना जा रहा है कि राघव चड्ढा के कृत्य से उनकी सांसदी पर तलवार लटक सकती है।

अमित शाह की प्रशंसा:

दिल्ली सेवा विधेयक पर सरकार की ओर से गृह मंत्री अमितशाह ने जो जवाब दिया उसकी प्रशंसा राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी की। खडग़े ने माना कि अमित शाह ने हिन्दी में प्रभावी भाषण दिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कुछ सांसद अच्छी बोलते हैं वैसे भी अमित शाह भी हिन्दी के अच्छे जानकार हैं। 

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