वाशिंगटन संयुक्त राज्य अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कार्टर सेंटर ने रविवार को एक बयान में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कार्टर अपने अंतिम क्षणों में जॉर्जिया के प्लेन्स में अपने घर पर थे। अमेरिकी इतिहास में कार्टर में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले पहले राष्ट्रपति थे। उनकी विरासत मानवाधिकार और मानवता की सेवा से भरी हुई है। लेकिन जब वह राष्ट्रपति थे तो उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बता दें कि जिमी कार्टर मेलानोमा नामक स्किन कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे।
अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे थे जिमी कार्टर
कार्टर का जन्म एक अक्तूबर 1924 में जॉर्जिया में हुआ था। उनके पिता किसान थे। जिमी कार्टर 1976 से 1980 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में कार्यरत रहे, जॉर्जिया में सेनेटर रहे और जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद वे मानव अधिकार संस्थाओं एवं परोपकारी संस्थाओं के साथ जुड़े रहे।
इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी निभाई भूमिका
राष्ट्रपति का पद छोड़ने के एक साल बाद उन्होंने ‘कार्टर सेंटर’ नाम के एक चैरिटी की स्थापना की थी। इस चैरिटी ने चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों का समर्थन करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजूबत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिमी कार्टर की चैरिटी ने दुनियाभर में गिमी कृमि (एक प्रकार परजीवी कीड़ा) को खत्म करने में मदद की है। इसका मतलब है कि उनके प्रयासों से इस बीमारी के मामलों में बहुत कमी आई है। इसके अलावा, कार्टर 90 साल की उम्र में ‘हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी’ नाम के संगठन के साथ जुड़े रहे, जो लोगों के लिए घर बनाने का काम करता है।
नोबेल पुरस्कार से हुए सम्मानित
उन्हें साल 2002 में शांति वार्ताओं, मानवाधिकारों के लिए अभियान चलाने और समाज कल्याण के लिए काम करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद कार्टर ने मानव अधिकार सम्बंधित अनेक संस्थाओं, एवं अनेक परोपकारी संस्थाओं के साथ काम किया है। 1982 में कार्टर ने अटलांटा, जॉर्जिया स्थित एमरी विश्वविद्यालय में कार्टर प्रेसिडेंशियल सेंटर की स्थापना की जो लोकतंत्र और मानव अधिकार सम्बंधित कार्य करता है।
ऐतिहासिक कैंप डेविड समझौते की मध्यस्थता
जिमी कार्टर अमेरिका में शांति और मानवीय कार्यों के लिए बहुत प्रयास किए। साथ ही 1978 में उन्होंने ऐतिहासिक कैंप डेविड समझौते की मध्यस्थता की। इससे जिससे मध्य पूर्व में शांति की एक रूपरेखा तैयार हुई। उनके इस योगदान के कारण ही उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बाइडन-ट्रंप ने ऐसे दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को एक बयान में कार्टर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपने बयान में कार्टर को “प्रिय मित्र” और “असाधारण नेता” के रूप में याद किया। वहीं, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिकियों पर पूर्व राष्ट्रपति की “कृतज्ञता का ऋण” है। बता दें कि राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है।
लीवर और दिमाग तक फैल गया कैंसर
कैंसर उनके लीवर और दिमाग तक फैल गया है. अस्पताल में कुछ समय बिताने के बाद 98 साल की कार्टर ने सरकारी मदद लेने से इनकार दिया, वाकई यह एक बड़ी बात है. शनिवार को कार्टर के पोते और जॉर्जिया के पूर्व सीनेटर जेसन कार्टर ने अपने दादा-दादी से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘वे (दादा-दादी) शांति में हैं और हमेशा की तरह उनका घर प्यार से भरा हुआ है.’
1977 में बने अमेरिका के राष्ट्रपति
कार्टर 1977 में आर फोर्ड को हराकर राष्ट्रपति बने. इस दौरान उन्होंने अमेरिका के मिडिल ईस्ट रिश्तों की नींव रखी. 2015 में उन्होंने बीमारी की घोषणा की. प्रेसिडेंसी के दौरान कार्टर ने मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय पर एक प्रतिबद्धता रखी. कैंप डेविड से समझौता करके मिडिल ईस्ट से अमेरिका के रिश्तों की नींव रखी थी. राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी वह काफी एक्टिव रहे. उन्होंने विश्व कूटनीति के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए 1982 में कार्टर सेंटर की स्थापना की. 2002 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था.
US के चार राष्ट्रपतियों में शुमार है जिमी कार्टर का नाम, जिन्हें मिला नोबेल
कैंसर की बड़ी बीमारी से पीड़ित अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। तो आईए उनके जीवन के कुछ अनसुने-अनकहे किस्से पर एक नजर डालते है।
मुखर विचार के माने जाने वाले कार्टर ने 1977 के अमेरिकी चुनाव में आर फोर्ड जैसे बड़ी शख्सियत को मात देकर राष्ट्रपति पद संभाला था। व्हाइट हाउस में वह लिंडन बी. जॉनसन और बिल क्लिंटन के कार्यकाल के बीच एकमात्र डेमोक्रेट राष्ट्रपति थे। बता दें कि राष्ट्रपति बनने से पहले 1971 से 1975 तक वे जॉर्जिया के गवर्नर थे। जिमी कार्टर का जन्म 1 अक्तूबर 1924 में हुआ था और उन्होंने इसी साल 1 अक्बतूर को अपना 100वां जन्मदिन मनाया था।
इस वजह से मिला था नोबेल शांति पुरस्कार
जिमी कार्टर अमेरिका में शांति और मानवीय कार्यों के लिए बहुत प्रयास किए। साथ ही 1978 में उन्होंने ऐतिहासिक कैंप डेविड समझौते की मध्यस्थता की। इससे जिससे मध्य पूर्व में शांति की एक रूपरेखा तैयार हुई। उनके इस योगदान के कारण ही उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पिता करते थे मूंगफली की खेती
जिमी कार्टर के पिता अर्ल कार्टर मूंगफली की खेती करते थे जबकि उनकी मां लिलियन गॉर्डी कार्टर एक नर्स थीं। कार्टर ने एनापोलिस में प्रसिद्ध अमेरिकी नौसेना एकेडमी में जाने से पहले जॉर्जिया साउथवेस्टर्न कॉलेज और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ाई की।
जनता पार्टी के सरकार के दौरान आए थे भारत
जिमी कार्टर साल 1978 में भारत का दौरा भी कर चुके है। जब भारत में जनता पार्टी की सरकार थी। वे उस समय भारत आने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थे। बता दें कि जिमी कार्टर का भारत दौरा इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की जीत के बाद हुआ था, जिसके बाद मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने थे।
पद से बाहर रहते हुए भी किए कई काम
पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने अपने कार्यकाल में अमेरिका के हित में कई सारे निर्णय लिए थे, जिसमें अमेरिका के मिडल ईस्ट संबंधों की नींव भी शामिल है। रोचक बात तो ये है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी कार्टर ने कई सारे ऐसे काम किए, जिसमें कार्टर सेंटर नाम से एक चैरिटी संस्था की स्थापना भी शामिल है।
कार्टर सेंटर की स्थापना
1980 में कार्टर सेंटर की स्थापना से अमेरिका में कई सारे बदलाव देखने को मिले। इसमें चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों का समर्थन करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। कार्टर के ऐसे कई फैसले है जिससे अमेरिकी नागरिक उन्हें कभी भुला नहीं पाएंगे।
2023 में 96 वर्ष की उम्र में पत्नी रोजलिन का हुआ था निधन
जिमी कार्टर जिस प्रकार से 100 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उसी तरह उनकी पत्नी रोजलिन ने भी 96 वर्ष की उम्र में 19 नवंबर 2023 को आखिरी सांस ली। जिमी कार्टर के परिवार में उनके चार बच्चे जैक, चिप, जेफ और एमी के अलावा 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोती हैं।
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