बीते नौ दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर किसान हरियाणा की सीमाओं पर विरोध कर रहे हैं। 13 फरवरी से लेकर अभी तक किसान कई बार दिल्ली कूच करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया है। किसानों ने बुधवार सुबह भी दिल्ली कूच का प्रयास किया, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले बरसाए और रबड़ की गोलियां भी चलाईं।13 फरवरी से किसान दिल्ली कूच करने की कोशिश कर रहे हैं। किसान संगठनों का यह विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है। उधर, सरकार और किसान चार बार वार्ता भी कर चुके हैं, लेकिन हल नहीं निकल सका है।
कैसे शुरू हुआ किसान आंदोलन?
13 फरवरी से पंजाब के हजारों किसान विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य के किसान संगठनों ने दिल्ली चलो का आह्वान किया। यह विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है। किसान एमएसपी के साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, लखीमपुर खीरी हादसे पर सख्त कार्रवाई करने जैसी कई अन्य मांगों पर भी अड़े हैं।
इससे पहले 12 फरवरी की रात केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच एक बैठक हुई, जिसमें एमएसपी समेत कई मुद्दों पर बात हुई। हालांकि, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर बात अटक गई। इसके बाद सरकार और किसानों के बीच चार दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन समाधान नहीं निकला है।
पहला टकराव 13 फरवरी को
एक ओर जहां किसानों और सरकार बीच वार्ता होती रही, तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली कूच की कोशिश में तनाव भी देखने को मिला है। हरियाणा पुलिस का दावा है कि 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा पुलिस पर पथराव किया, जिसके जवाब में पुलिस ने वाटर कैनन और अश्रु गैस का इस्तेमाल करके स्थिति को काबू किया। दावा किया गया कि 24 पुलिसकर्मी घायल हो गए। उधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने दावा किया कि शंभू और खन्नौरी की सीमाओं पर 60 के करीब किसान घायल हो गए।
फिर 16 फरवरी को हुआ आमना-सामना
शंभू और दाता सिंह बॉर्डर पर 16 फरवरी को भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस का आमना-सामना हुआ। हरियाणा पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने जमकर उपद्रव फैलाया और बार-बार हरियाणा पुलिस को उकसाने का प्रयास किया।
16 फरवरी को ही हरियाणा पुलिस ने एक्स पोस्ट में जानकारी दी कि किसान आंदोलन के कारण शंभू बॉर्डर पर तैनात हरियाणा रेलवे पुलिस (GRP) के 52 वर्षीय सब-इंस्पेक्टर हीरालाल का अचानक निधन हो गया। सब-इंस्पेक्टर की ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हुई थी।
वहीं 20 फरवरी को हरियाणा पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि पुलिसकर्मी कौशल कुमार का निधन हो गया। किसान आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर तैनात एक ईएसआई कौशल की अचानक तबीयत खराब हुई थी। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने पुलिसकर्मी को मृत घोषित कर दिया।
तीसरी बार हिंसक हुआ तनाव
21 फरवरी को किसानों ने फिर दिल्ली कूच करने की कोशिश की। दातासिंह वाला बॉर्डर पर दोपहर करीब एक बजे आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया। जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार ने कहा कि पंजाब के किसान बुलडोजर के माध्यम से बॉर्डर पर लगे अवरोधक हटाने की कोशिश कर रहे थे। रोकने पर उन्होंने पराली में मिर्च डालकर उसमें आग लगा दी और उसका धुंआ बड़े पंखे की मदद से पुलिस की ओर कर दिया। इस पर पुलिस को भी आंसू गैस के गोले, वाटर कैनन और लाठीचार्ज का प्रयोग करना पड़ा। इसके अलावा कई किसानों ने तलवार व गंडासों से भी पुलिस पर हमला किया। अंबाला के शंभू बॉर्डर पर भी दिनभर घमासान चलता रहा। पुलिस की मोर्चेबंदी की बीच युवा किसानों ने शाम पांच बजे तक कई बार बैरिकेडिंग के समीप आकर तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार के कारण उन्हें पीछा हटना पड़ा।
हरियाणा पुलिस ने एक बयान में कहा कि दाता सिंह-खनोरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने पराली में मिर्च पाउडर डालकर पुलिस का चारो तरफ से घेराव किया। पथराव के साथ लाठी और गंडासे का इस्तेमाल करते हुए पुलिसकर्मियों पर हमला किया। इस दौरान लगभग 12 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।
पंजाब सरकार ने लगाए आरोप
उधर पंजाब सरकार ने कहा है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य से आने वाले किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि इस ओर ध्यान देना चाहिए कि किसान इस समय प्रदर्शन पर क्यों उतारू हो रखे हैं। शुभकरण की मौत का बहुत अफसोस है। सभी मांगे मानी जानी चाहिए। मांगों पर गौर किया जाना चाहिए और केंद्र सरकर को जिद्द छोड़नी चाहिए।
21 फरवरी को ही एक बयान में हरियाणा पुलिस ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार का निधन हो गया। विजय किसान आंदोलन के दौरान टोहाना बॉर्डर पर तैनात थे। ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हुई थी। पुलिस ने कहा कि आंदोलन में अब तक तीन पुलिस अधिकारियों की जान जा चुकी है।