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म्यूचुअल फंड में निवेश पर इन तरीकों से पाए ज्यादा रिटर्न

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म्यूचुअल फंड पिछले कुछ वर्षों में तेजी से निवेश के पसंदीदा विकल्पों के रुप में उभर के सामने आया है. इस निवेश में लोगों को बैंक एफडी से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. लेकिन साथ में ही बाजार का रिस्क भी जुड़ा हुआ है. म्यूचुअल फंड में निवेश की सबसे बेहतरीन बात फंड मैनेजर्स की सर्विस है. म्यूचुअल फंड कंपनियां इंडेक्स की तुलना में अधिक रिटर्न पाने के लिए प्रोफेशनल को हायर करती हैं.

हालांकि किसी निवेशक का सिर्फ फंड मैनेजर पर ही निर्भर रहना कभी-कभी बैकफायर कर सकता है. म्यूचुअल फंड निवेश से अधिक रिटर्न पाने के लिए सिर्फ बेस्ट परफॉर्मिंग फंड चुनना ही काफी नहीं है बल्कि इसके परफॉरमेंस का समय-समय पर रिव्यू करना जरूरी है. इसके लिए निवेशक पांच तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके जरिए रिटर्न को 1.5 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है.

डायरेक्ट फंड चुनें
अपनी पूंजी को डायरेक्ट प्लान में निवेश करने पर निवेशक 1-1.5 फीसदी तक अधिक रिटर्न पा सकते हैं. डायरेक्ट प्लान रेगुलर म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट की तुलना में अधिक बेहतर होता है क्योंकि इसमें निवेशकों को फंड हाउस को ब्रोकरेज नहीं चुकाना पड़ता है जोकि निवेश के मुताबिक 1-1.5 फीसदी तक हो सकता है.
म्यूचुअल फंड लोड वह फीस होती है जिसे फंड में शेयर खरीदने के लिए चुकाना होता है. इस फंड मैनेजर्स की सलाह या सेवाओं के तौर पर चुकाया जाता है. यानी कि अगर 10 हजार रुपये का निवेश कर रहे हैं तो निवेशकों को फंड खरीदने के लिए 1 फीसदी(100 रुपये) चार्ज देना होगा. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ 9900 रुपये ही निवेश होंगे. इसके विपरीत डायरेक्ट प्लान में 10 हजार रुपये निवेश होंगे क्योंकि उसमें यह लोड नहीं चुकाना होता है.

एकमुश्त की बजाय एसआईपी चुनें
अपनी पूंजी को एकमुश्त निवेश करने की बजाय सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए निवेश करें. इससे नियमित तौर पर छोटी-छोटी राशि को निवेश कर अधिक यूनिट जुटाई जा सकती है. एकमुश्त निवेश के विपरीत एसआईपी के लिए बेहतर समय के बारे में सोचने की चिंता नहीं करनी पड़ती है.
एकमुश्त निवेश में निवेशकों को अगर अधिक रिटर्न पाना है तो मार्केट के ढहने का इंतजार करना पड़ता है लेकिन इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव है.

इंडेक्स फंड में करें निवेश
डायरेक्ट प्लान की तरह इंडेक्स फंड में निवेश पर कम लागत चुकानी होता है. हालांकि इंडेक्स फंड में निवेश का मुख्य फायदा यह है कि इसे मार्केट इंडेक्स के परफॉरमेंस के मुताबिक डिजाइन किया गया है. इसके जरिए रिस्क को कम करने में मदद मिलती है.

अपने निवेश को डाइवर्सिफाई करें
अपनी पूंजी को सिर्फ एक ही एसेट क्लास में न निवेश करें. इसकी बजाय निवेशकों को अपने रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर कई एसेट क्लास में निवेश करना सही फैसला है. निवेशक स्माल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. जो अधिक रिस्क ले सकते हैं, उन्हें स्माल-कैप फंड में अधिक पूंजी निवेश करनी चाहिए. स्माल-कैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है.

डेट बनाम इक्विटी निवेश
डेट फंड रिस्क-फ्री होते हैं और इसमें रिटर्न का अनुमान लगाया जा सकता है. इसके विपरीत इक्विटी फंड के जरिए कंपनी के शेयरों में निवेश किया जाता है और इसमें मार्केट रिस्क जुड़ा होता है. म्यूचुअल फंड के जरिए डेट और इक्विटी फंड दोनों में निवेश किया जा सकता है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ निवेशकों के रिस्क लेने की क्षमता कम होती जाती है तो ऐसे निवेशकों को डेट में अधिक पूंजी लगानी चाहिए. इसका थंब रूल ये हैं कि अपनी उम्र को 100 से घटा लें और जो नंबर आए, उतना हिस्सा इक्विटी में निवेश करें. अगर किसी निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता अधिक है तो वह बताई गई सीमा से 10-15 फीसदी अधिक निवेश इक्विटी में कर सकता है.

परफॉरमेंस रिव्यू करते रहें
निवेशकों को समय-समय पर अपने निवेश का परफॉरमेंस चेक करते रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर अपने पूंजी को सही फंड में निवेश करना चाहिए. निवेशकों के मुताबिक वर्ष में कम से कम एक या दो बार पोर्टफोलियो को रिव्यू करना चाहिए. अगर फंड का परफॉरमेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं है तो एग्जिट करने से पहले इंडस्ट्री का परफॉरमेंस जरूर देख लेना चाहिए.

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