डॉ. नेहा, दिल्ली
आपने पसीना बहाने वाले किसान- मजदूर या ढंग से फिजिकल श्रम करने वाले किसी भी इंसान को मोटा, तोंदू या थुलथुला देखा है? नहीं.
शहरी समाज के गैर गरीबों द्वारा दिन की शुरूआत व्यायाम से की जाती है। वॉर्मअप सेशन के बाद जिम में घंटों एक्सरसाइज करके खूब पसीना बहाया जाता है। सीढ़ियां चढ़कर जिम हॉल में जाने के बजाए लिफ्ट से जाना. वहां मशीनों से नौटंकी. यह आर्टिफिशल मेथड कोई स्थाई परिणाम नहीं देता. अब ए.सी जिम प्रचलन में हैं. योगासनों का निर्माण गहन खोज के बाद शरीर-मन के हर पहलू को ध्यान में रखकर किया गया है. वो हमें रास नहीं आता है.
कुछ लोगों ऐसा मानने लगते हैं कि आर्टिफिशल, मेकेनिकल तरीके से पसीना बहाने से शरीर में जमा कैलोरीज़ को बर्न होती है। कुछ हद तक उनका यह मानना सही भी है. बस कुछ हद तक. इसलिये कि पसीना शरीर के तापमान को रेगुलेट करने का प्राकृतिक तरीका है.
*पसीना क्या है?*
दरअसल, पसीना शरीर का एक फंक्शन है, जो तनाव, गर्मी और थकान के कारण स्वैट ग्लैंड प्रोडयूस करते है। ये पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स और सीमित मात्रा में यूरिया से बनता है।
स्वैटिंग एक ऐसा मकैनिज्म है, जिससे शरीर का अंदरूनी तापमान रेगुलेट होता है। पसीने से शरीर पानी और नमक को रिलीज़ करता है, जिससे शरीर को ठंडक प्राप्त होती है। इससे शरीर का वॉटर वेट रिडयूज़ होता है।
बढ़ती उम्र, फिटनेस गोल्स, वज़न और अनुवांशिकता के कारण स्वैटिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसा मानना की पसीना आने से ही फैट बर्न होता है, ये पूरी तरह से गलत है। वसा हानि यानि वेटलॉस उस स्थिति में होता है जब शरीर ऊर्जा के लिए एंकत्रित किए गए फैट्स को बर्न करता है।
*संपंन फीमेल्स हेतु पसीने का निःशुल्क और मज़ेदार ऑप्सन :*
ऐसी महिला प्रोडक्टिव शारीरिक श्रम नहीं कर सकती. जिम कोई प्रभावी विकल्प नहीं. समय और पैसे की बर्बादी अलग. हमारी जैसी फीमेल्स के लिए सेक्स सबसे उम्दा, निःशुल्क, कारगर और मज़ेदार ऑप्सन है. बस आपको मुर्दा नहीं बनी रहना है. पार्टनर के साथ जीभ-जाँघ और प्राइवेट पार्ट्स के युद्ध में बराबर की भागीदार बनना है.
सेक्स से बड़ी न कोई दवा है और न ही एक्सरसाइज. बस आपके पार्टनर में इतनी मर्दानगी होनी चाहिए की वह आपके वेग को इतना बढ़ा दे की आप खुद कमान संभाल लें. आप खुद उसके साथ इतना करें की पसीने से लथपथ हो जाएं. सेक्स आपको पूरी तरह गरम कर के, निचोड़ कर के बेसुध कर दे.
मुझे नहीं पड़ती दवा, योगासन या जिम की ज़रूरत. मैं पूज्यवर डॉ. मानवश्री से अगर चाहूं तो हर रात एक-एक घंटे का पांच राउंड भी ले सकती हूँ. आपका पार्टनर योग्य नहीं है तो उसे उनसे आप योग्य बनवा सकती हैं. वह इसके लिए रेडी नहीं होता है तो सीधी सी बात है : उसको आपकी खुशी से मतलब नहीं है. वह आपसे प्रेम ही नहीं करता है, क्योंकि उसे सिर्फ़ अपनी हवस से मतलब है.
गैर मर्द को ट्राई करना इसलिए असंतोषजनक है, क्योंकि आजकल 99% नामर्द हैं. कितनों को ट्राई करेंगी आप? योनि का सत्यानाश तो होगा ही, लाइलाज रोग भी संभव. बेहतर होगा कि आप माह में एक रात मानवश्री की सेवा ले लिया करें. इस एक रात उनके साथ जगकर आप बाकी 29 रात सुकून से सो सकेंगी. वे आपसे कुछ लेंगे नहीं, दुराचार भी नहीं करेंगे. थेरेपी स्प्रिचुअल प्रयोग करेंगे, फिजिकल नहीं. आप अपने बेडरूम तक में उनको लेती रह सकती हैं.
*वेटलॉस के लिए टिप्स :*
अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्टस मेडिसिन के अनुसार शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए 30 मिनट की मॉडरेट इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ कारगर साबित होती है। सप्ताह में 5 दिन इस एक्सरसाइज़ को करने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ के स्टोरेज को रोका जा सकता है।
*1, स्वस्थ आहार लें :*
बैलेंस्ड डाइट लेने से कैलोरी की मात्रा कम होने लगती है, जिससे शरीर में जमा होने वाले फैट्स की रोकथाम में मदद मिलती है। इसके लिए आहार में मौसमी फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करना ज़रूरी है।
*2. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग ज़रूरी :*
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से वेटलॉस करने के अलावा मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद मिलती है। इसके लिए रूटीन में स्क्वेट, प्लैंक, लंजेज और पुश अप्स को शामिल करें। इससे मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ने लगती है और स्टेमिना बूस्ट होता है।
*3. कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज़ :*
रनिंग, स्वीमिंग और साइकलिंग को अपने रूटीन में शामिल करो। सप्ताह में 150 मिनट इस एक्सरसाइज़ को करने से फैट्स की मात्रा को कम किया जा सकता है। मॉडरेट ढ़ग से कार्डियो एक्सरसाइज़ करने से शरीर एक्टिव बना रहता है।
*4. तनाव मुक्त रहें :*
तनाव के चलते शरीर में कार्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इससे नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो मोटापे का कारण बन जाता है। रूटीन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए मेडिटेशन करें, योग की मदद लें और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को दिनचर्या में शामिल करें। इससे शरीर में हार्मोन का संतुलन बना रहता है।