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डोल रही ठाकरे की गद्दी? कांग्रेस की नाराजगी के बीच शरद पवार से मिले गुलाम नबी आजाद

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महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस की नाराजगी के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की है। दोनों नेताओं की मुलाकात ऐसे वक्त हुई है, जब एनसीपी के अंदर शरद पवार को यूपीए का अध्यक्ष बनने की मांग उठ रही है। वहीं, आजाद कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं, जो पार्टी में समावेशी और सामूहिक नेतृत्व की मांग कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में डोल रही ठाकरे की गद्दी? कांग्रेस की नाराजगी के बीच शरद पवार से मिले गुलाम नबी आजाद

कांग्रेस के असंतुष्ट नेता भाजपा से मुकाबले के लिए बड़ी विपक्षी एकता की भी हिमायत करते रहे हैं। हालांकि, बुधवार शाम हुई इस मुलाकात को एनसीपी ने इसे सामान्य मुलाकात बताया है। एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संसद सत्र के दौरान पार्टी अध्यक्ष जब भी राजधानी दिल्ली में रहते हैं, जो गुलाम नबी आजाद अमूमन उनसे मुलाकात करते हैं। इसलिए इसे ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए।

दरअसल, कांग्रेस के कई विधायक महाराष्ट्र में महा आघाड़ी गठबंधन सरकार से नाराज हैं। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांगा है। इन विधायकों की शिकायत है कि मंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। विधायकों की सबसे ज्यादा नाराजगी बिजली मंत्री नितिन राउत से है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की स्थिति बहुत खराब है। चुनाव में इसका नुकसान हो सकता है।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के कम से कम 25 कांग्रेस विधायकों ने महा विकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कांग्रेस के मंत्रियों के खिलाफ ही शिकायत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है। उनका आरोप है कि उनकी ही पार्टी के मंत्री उनकी चिंताओं का जवाब नहीं दे रहे हैं। विधायकों ने एक पत्र में सोनिया गांधी से ‘चीजों को ठीक करने’ के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

पार्टी में समन्वय की कमी का संकेत देते हुए विधायकों ने कहा कि उन्हें पिछले सप्ताह ही पता चला कि कांग्रेस के प्रत्येक मंत्री को उनके मुद्दों को उचित रूप से संबोधित करने के लिए पार्टी के तीन विधायकों को सौंपा गया था। एक अन्य कांग्रेस विधायक ने कहा, “हमें तब पता चला जब एचके पाटिल ने हाल ही में एक बैठक की थी कि कांग्रेस मंत्रियों को तीन-तीन विधायक आवंटित किए गए थे। यह स्पष्ट रूप से एमवीए सरकार बनने के कुछ महीने बाद किया गया था, लेकिन हमें इसके बारे में केवल 2.5 साल पहले ही पता चला। अब भी कोई नहीं जानता कि कौन सा मंत्री हमसे जुड़ा हुआ है।”

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