कांग्रेस से बगावत कर नई पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। इसके अलावा आजाद ने जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद जैसे कांग्रेस के सीनियर नेताओं पर राजनैतिक और वैचारिक टकराव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बुधवार को गुलाम नबी की ऑटोबायोग्राफी ‘आजाद’ लॉन्च होने वाली है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह इसकी लॉन्चिंग करेंगे। आजाद ने इसमें अपने 55 साल के राजनीतिक अनुभवों का जिक्र किया है। बुक लॉन्च से पहले आजाद का बयान आया है।
मोदी ने बदले की भावना से काम नहीं किया
आजाद ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा- मैंने प्रधानमंत्री के साथ जो किया, और उन्होंने जो व्यवहार मेरे साथ किया। इसका मोदी को श्रेय देना चाहिए। वह बहुत उदार हैं। विपक्ष के नेता के तौर पर मैंने उन्हें किसी भी मुद्दे पर नहीं बख्शा, चाहे वह धारा 370 हो, CAA हो या फिर हिजाब का मुद्दा। इसके बावजूद मोदी ने कभी बदले की भावना से काम नहीं किया। वो हमेशा एक नर्म दिल वाले राजनेता की तरह पेश आए।
यह तस्वीर 9 फरवरी 2021 की है, जब गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा से कार्यकाल खत्म हो रहा था। उनके विदाई भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भावुक हो गए थे।
जयराम रमेश विपक्ष के धरने में शामिल नहीं हुए थे
आत्मकथा में आजाद ने खुलासा किया है कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का ऐलान किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। इसके खिलाफ विपक्ष के नेताओं ने धरना दिया। इसमें कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज जयराम रमेश नहीं आए। तब वो राज्यसभा में पार्टी के चीफ व्हिप थे।
किताब के 251वें पेज पर आजाद लिखते हैं- अमित शाह ने जिस वक्त 370 हटाने का ऐलान किया, मैंने अपना ईयर फोन फेंका और विरोध के लिए वेल में जाकर धरने पर बैठ गया। विपक्ष के नेताओं को भी मैंने वहां बुलाया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जयराम रमेश अकेले अपनी सीट पर बैठे रहे और धरने में शामिल ही नहीं हुए।
सलमान खुर्शीद सिर्फ ट्विटर मौजूदगी दर्ज कराते हैं
सिर्फ जयराम रमेश ही अकेले नहीं हैं जो आजाद की नाराजगी का शिकार हुए हों, इनमें सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं। सलमान ने G-23 में आजाद के रोल पर सवाल उठाए थे। एक चैप्टर जिसका टाइटल है- द ग्रैंड ओल्ड पार्टी : ब्लूपर्स एंड बॉम्बसेट, में आजाद ने बताया है कि अगस्त 2020 में उन्होंने और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने लीडरशिप पर सवाल क्यों उठाए थे।
आजाद के मुताबिक, उस वक्त खुर्शीद और कुछ दूसरे नेताओं ने उन्हें एक मकसद के लिए एकजुट हुए बागी करार दिया था। जी-23 के नेताओं को बागी के अलावा धोखेबाज और भगोड़ा तक कहा गया था। आजाद के मुताबिक आज मैं उन नेताओं से कहना चाहता हूं कि हमने इस पार्टी को जितना दिया है, उतना कभी हमें वापस नहीं मिला।
कुछ लोग तो कांग्रेस में ऐसे हैं जिन्होंने अपने पद का नाजायज फायदा उठाया और बदले में पार्टी को कुछ नहीं दिया। ये लोग अपनी मौजूदगी सिर्फ ट्विटर पर दर्ज कराते रहे।
कांग्रेस के खिलाफ जी-23 भाजपा का मुखौटा बताने वाले मूर्ख
कांग्रेस के खिलाफ जी-23 भाजपा का मुखौटा था। ऐसे आरोप लगाने वालों को आजाद ने मूर्ख बताया। आजाद ने कहा- अगर G23 भाजपा का प्रवक्ता था तो उसे कांग्रेस ने सांसद क्यों बनाया? उन्हें सांसद, महासचिव और पदाधिकारी क्यों बनाया है? मैं अकेला हूं, जिसने पार्टी बनाई है। बाकी लोग तो अब भी वहीं हैं। भाजपा के प्रवक्ता होने के आरोप बचकाना और बेबुनियाद हैं। इनका मकसद सिर्फ नफरत पैदा करना है।