अग्नि आलोक
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गर्ल्स में अंकल की संकल बनने का शगल 

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            नेहा, नई दिल्ली 

    आगरा की सुस्मिता सहेली के पापा के साथ फिजिकल रिलेशनशिप में हैं. इनकी उम्र 17 वर्ष है और उनकी 58 वर्ष. हमने पूछा यंग पार्टनर क्यों नहीं सेलेक्ट की?

~ सालों के नखरे और उनकी धौन्स कौन झेलेगी. तू नहीं तो और सही : अंकल जी जैसे लोग कम से कम ऐसा तो नहीं कहते.

~और सेक्सुअल केपेसिटी का क्या?

~केपेसीटी? केपेसीटी जितनी ओल्ड-एज वाले मर्द में होती है, उसकी आधी भी किशोर- जवान नामर्द में नहीं होती. मूठ मारकर, सेक्स की दवाएं ठूसकर नामर्द बन रहे हैं ये. चार पल में पशु या मशीन बनकर झड़ जाते हैं.

~ और ये अंकल लोग?

~ इनके पास लम्बा अनुभव होता है. मेच्योरटी होती है. सहनशक्ति होती है. ये लोग कमसिन, जवान लड़की पाने पर खुद को धन्यभागी महसूस करते हैं. आदर सम्मान देते हैं. हमारी पूजा करते हैं. पलकों पर बिठाकर रखते हैं बॉडी पार्टनर गर्ल्स को.

~ चलते कितने मिनट हैं?

~ बोली ना, आज के लड़कों से ज्यादा. सेक्स ही सबकुछ नहीं होता. ये गर्ल को अपनापन, प्यार, इज्जत, सेवा देते हैं. सेक्स का क्या, पेनिस कमजोर पड़ता भी है तो हम गर्ल्स उसे ऐक्टिव करने की कला जानती हैं.

   यह आज की गर्ल्स का शगल है. ये  अंकल की संकल बनकर उनके साथ लिव इन रिलेसनशिप में रहने लगी हैं. लिव इन रिलेशनशिप मतलब आर्थिक और शारीरिक हवस. यूं तो हमारे मिशन के डायरेक्टर डॉ. मानवश्री के लिए भी गर्ल्स पगलाई रहती हैं, बारह से चौदह साल की गर्ल्स भी. लेकिन यहां स्वार्थी या हवसी रिलेसनशिप जैसा कुछ नहीं है. हलांकि वे इतना अधिक चरम आनंद देते हैं, जितना दुनिया का कोई सेक्स नहीं दे सकता. लेकिन यहां दुराचार जैसा कुछ है ही नहीं. मैडिटेशन और डिवाइन टचनेस बेस्ड स्प्रिचुअल सेक्सथेरेपी प्रयुक्त होती है. मुझ जैसी किरदार के लिए वे इंटरकोर्स के लेबल पर आते हैं, यह अलग बात है.

    आज के दौर में जो सतही शारीरिक संबंध बन रहे हैं इसमें दो विपरीत लिंग के मेल-बेमेल इसलिए साथ-साथ रहते हैं की उनकी शारीरिक भूख मिट सके. फीमेल के लिए कोठा खोल लेना और मेल के लिए किसी कोठे पर जाना महंगा है और सामाजिक दृष्टि से निम्न कार्य भी है. रोगों का खतरा भी ज्यादा है. रोगी तो लोग यहां भी बनते हैं. पहले मानसिक रोगी, फिर शारीरिक रोगी. हर घर में मिनी मेडिकल स्टोर है. बिना दवा जिंदगी नहीं चलती. अक्सर सड़कर और कभी अचानक ही खत्म हो जाती है.

      अगर कोई महिला 40 वर्ष के बाद यह कार्य करती हैं तो उससे मूर्ख कोई स्त्री इस धरती पर नहीं है, लेकिन आज 14 से 54 साल तक की फीमेल्स इसमें मशगूल हैं.

   आजकल स्त्री/पुरुष पति पत्नि बनकर ही मुश्किल से साथ टिक पाते हैं, तो ऐसे रिश्ते कितने दिन टिक सकते हैं.

   वैवाहिक रिश्तों में माता-पिता रिश्तेदारों और भाईयों का हस्तक्षेप और दबाव रहता है. फिर भी ये टूट जाते हैं.  इन बेहूदे रिश्तों की तो कोई गारण्टी वारंटी भी नहीं होती.

     बड़े- बड़े शहरों में अमीर महिलाएँ अपने शौक के लिए पालतू कुत्ता पालती रही हैं, सेक्सटॉय इस्तेमाल करती रही हैं. अब जिगोले भी पालती हैं. घर में नहीं, बाहर. किसी को ख़बर नहीं होती. 

   आजकल लड़कियां लिव इन रिलेशनशिप के नाम पर ओल्ड एज आदमी पालती है. कुत्ते साथ लेकर चलने के फैशन के साथ अब ऐसे मर्द साथ लेकर चलने का फैशन भी है.

     होड़ लगी है भैया. ना कोई बाप ना मइया. ज़िस्म और पैसा बोलता है साहब. 

    इधर सुन्दर महिला देखकर 16 साल से लेकर 80 साल के बूढ़ों तक की लार टपकने लगती है, उधर लड़कियां भी अपने से तिगुनी चौगुनी एज वालों को अपनाने लगी हैं.

    प्रेम व्रेम कुछ नहीं है. पुरुष स्त्री का माल हड़पने की फ़िराक़ में रहता है और स्त्री पुरुष का.  जिसके जो हाथ लगता है लेकर फरार.

    अगर किसी बूढे पुरुष पर कोई महिला फिदा हो रही है तो समझ जाये बूढे के दिन पूरे हो गए हैं. अगर कोई बुढ़ी महिला पर युवक फिदा हो रही है तो उस महिला का अंत निकट.

    100% में से मात्र 1% लोग बुढ़ापे में सहारा ढूंढते है अन्यथा हर कोई माल की फ़िराक़ में साथ रहने का ढोंग करता है. मोका मिलते ही हत्या कर देते हैं या जोर-जबरदस्ती करके प्रॉपर्टी के कागजात अपने नाम करा लेते हैं.

      अगर आप भी किसी लिव इन रिलेशनशिप के बारे में सोच रहे हैं तो सावधान! बड़े धोखे है इस राह में.

   99% पुरुष शादीशुदा होते हैं. सिर्फ मौज के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं. लड़कियां अंकल की संकल बनती हैं क्योंकि वे लड़कों की तुलना में हर तरह से फायदेमंद सावित होते हैं.

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