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मुख्यमंत्री को सीधे चुनौती की बात पर भी गुढ़ा मंत्री बने हुए हैं

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एस पी मित्तल,अजमेर

राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया है कि यदि अशोक गहलोत ही कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो अगले चुनाव में कांग्रेस के इतने विधायक ही होंगे जो एक इनोवा कार में आ सके। सब जानते हैं कि इनोवा कार में यदि यात्रियों को ठूंस ठूंस कर बैठाया जाए तो भी दस से ज्यादा नहीं आ सके। गुढा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कांग्रेस को यदि सरकार रिपीट करवानी है तो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पाठकों को याद होगा कि गुजरात में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हार्दिक पटेल ने भी गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा के हवाले से कहा था कि अशोक गहलोत के रहते राजस्थान में कांग्रेस को 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी। रघु शर्मा ने यह बात तब कही, जब अशोक गहलोत की पहल पर ही उन्हें चिकित्सा मंत्री के पद से हटाकर गुजरात का प्रभारी बनाया गया था। उस समय हार्दिक पटेल गुजरात कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष थे। इसलिए दोनों के बीच सामान्य संवाद ही होता रहा था। हालांकि बाद में रघु शर्मा ने हार्दिक पटेल के बयान का खंडन कर दिया था। लेकिन तब रघु शर्मा के इस कथित बयान को लेकर राजस्थान की राजनीति गरमा गई थी, लेकिन राजनीति में अभी रघु शर्मा की जो इमेज है उसे देखते हुए यह माना गया कि रघु शर्मा ऐसी बात कह सकते हैं। रघु शर्मा के खेमे से ही गुजरात कांग्रेस में असंतोष का माहौल बन रहा है। चुनाव के मौके पर ही कांग्रेस के कई विधायक और नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। अशोक गहलोत ने भले ही कांग्रेस को मजबूत करने के लिए रघु शर्मा को गुजरात भेजा हो, लेकिन रघु के जाने के बाद ही कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो रही है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने गुजरात में तेजी से कदम जमाए हैं। गुजरात के मुस्लिम मतदाताओं में भी कांग्रेस से ज्यादा केजरीवाल के प्रति आकर्षण है। हालांकि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को गुजरात का सीनियर आब्र्जवर  बनाया गया है, लेकिन गुजरात में गहलोत के बजाए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सक्रियता ज्यादा नजर आ रही है। केजरीवाल का गुजरात के मुस्लिम वोटरों पर कुछ ज्यादा ही फोकस है। वहीं अशोक गहलोत अपने राजस्थान में ही कांग्रेस के अंतर्विरोध में उलझे हुए हैं। सरकार के अनेक मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं। गहलोत के सीएम पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 

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