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बालों के दुश्मन हैं हेयरडाई और हेयरकलर

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      सोनी तिवारी, मेडिकल स्कॉलर

   अनहेल्दी लाइफ स्टाइल बालों के सफेद होने का मुख्य कारण साबित होता है। सफेद बालों को छुपाने के लिए ज्यादातर लोग हेयर डाई का इस्तेमाल करते हैं।

    ये बात और है कि अब बालों को अलग-अलग रंगों में रंगना भी एक ट्रेंड बन चुका है।   

     कैमिकल से भरपूर ये हेयर डाई देखने में जितने कूल लगते हैं, बालों को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। 

     इन दिनों हेयर कलर खूब ट्रेंड में हैं। मगर बालों को बार-बार डाई करना बालों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे न केवल बालों का टैक्सचर प्रभावित होता है, बल्कि बाल कमजोर होकर टूटने और झड़ने लगते हैं।

    पर्मानेंट कलरिंग में रंग गहराई में जाकर हेयर सॉफ्ट में पहुंचते हैं। इससे बालों को नेचुरल कलर प्रदान करने वाले मेलेनिन तत्व को नुकसान पहुंचता है। हेयर कलरिंग से बचें और ड्राई व रफ दिखने वाले बालों को ऑयलिंग व नेचुरल शैम्पू से मॉइश्चराज़ करें।

     इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कॉस्मेटिक साइंस के अनुसार रूखे बालों को प्रोटेक्ट करने के लिए प्रोटीन आवश्यक है। कलर चाहे पर्मानेंट हो या डीपरमानेंट कलर डाई करने से कैमिकल रिएक्शन होने लगता है। इससे बालों को मिलने वाले प्रोटीन के कार्य में बाधा आने लगती है। इससे बालों का टूटना, झड़ना और पतले होना की संभावना बढ़ने लगती है।

ये हैं हेयर कलर के नुकसान :

     *1. रफ होने लगते हैं बाल :*

बार बार बालों में कलर करवाने से बालों की रफनेस बढ़ने लगती है। इससे बाल रूखे और बेजान लगने लगते है।

     जरनल ऑफ कॉस्मेटिक साइंस के अनुसार पेरोक्साइड से बालों को ब्लीच करने से बालों के क्यूटिकल और कॉर्टेक्स में ऑक्सीडेटिव नुकसान और प्रोटीन की मात्रा कम होने लगती है।

*2. कमजोर होकर बाल टूटने लगते हैं :*

     कलरिंग से बाल कमज़ोर होने लगते हैं जिसाके चलते वे झड़ने लगते हैं। दरअसल, क्युटिकल्स को खोलकर फिर से उसमें रंग भरने से बालों में कमज़ोरी बढ़ने लगती है।

    पेरोक्साइड से भरपूर रंग लंबे वक्त तक बालों में बने रहते हैं, जिससे बालों को नुकसान झेलना पड़ता है।

*3. कम हो जाता बालों का वॉल्यूम :*

     बालों पर कैमिल का प्रभाव बेहद नुकसानदायक साबित होता है। दरअसल, ब्लीच के इस्तेमाल से बाल हल्के दिखने लगते हैं।

    ब्लीच लगाने से बालों में मेलेनिन का प्रभाव कम होने लगता है, जिससे बाल काफी हल्के दिखने लगते हैं।

*4. मॉइश्चर की कमी होने लगती है :*

     कई प्रकार की कैमिकल प्रक्रिया से गुज़रने के बाद हेयर डाई लगाई जाती है। इसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जो एक ऑक्सीकरण एजेंट है।

     इससे बालों में बेहतरीन रंग बढ़ने लगता है, मगर ऑक्सीकरण प्रक्रिया क्यूटिकल्स और रूट्स को नुकसान पहुंचाती है।

अगर आप बालों को कलर करते हैं और उससे होने वाले नुकसान से बचना है, तो इन बातों का ध्यान रखें :

   *1. हेयर केयर रुटीन में ऑयलिंग को करें शामिल :*

     कलर करने के बाद बाल रूखे और बेजान लगने लगते हैं। ऐसे में बालों पर ऑयल मसाज करें।

    कुछ देर की मसाज करने से बालों का टैक्सचर इंप्रूव होता है। हल्का गुनगुना करके नारियल तेल को जड़ों में लगाने से बालों की ग्रोथ बरकरार रही है।

*2. कलर स्कैल्प तक न पहुंचे :*

     हेयर कलरिंग के दौरान बालों की लेंन्थ पर फोकस बनाए रखें। रूट्स से कलर को आरंभ न करें और स्कैल्प पर लगाने से बचें।

    इससे न केवल स्कैल्प की स्किन प्रभावित होती है बल्कि ओवरऑल हेल्थ पर इसका नकारात्मक प्रभाव नज़र आने देता है। हर महीने अगर आप भी कलरिंग करवा रही हैं, तो इससे आपके बालों को टैक्सचा दिनों दिन प्रभावित होने लगता है।

*3. हीटिंग टूल्स का प्रयोग न करें :*

    हेयर स्टाइलिंग से बाल डैमेज होने लगते हैं। हीटिंग टूल्स की हीट से बालों का मॉइश्चर खत्म होने लगता है।

     इससे बाल दिनों दिन बेजान और डल होते हैं। ऐसे में हेयर डरायर, आयरन और कर्लिंग आयरन के प्रयोग से बचें।

*4. बार-बार बालों को डाई करवाने से बचें :*

     असल बालों को छुपाने के लिए लोग लोग बालो में कलरिंग करवाते हैं। वे लोग जो बार बार करवाते हैं, उनके बालों के डैमेज होने का खतरा और भी बढ़ने लगता है।

   एक से दूसरे डाई के बीच कम से कम 6 सप्ताह का अंतराल रखें।

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