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राहुल गांधी 5 मिनट का वक्त नहीं निकाल पाए, बात हो जाती तो इस्तीफा नहीं देता-हार्दिक पटेल

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नई दिल्ली

गुजरात विधानसभा चुनाव इस साल के आखिर में होने वाले हैं और 6 महीने पहले ही उथल-पुथल शुरू हो गई है। पाटीदार आंदोलन से निकले नेता और गुजरात के युवा चेहरे हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। हार्दिक गुजरात कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर थे।एके अखबार के साथ खास बातचीत में हार्दिक ने कांग्रेस की खामियों और अपने आगे के रास्ते पर खुलकर बात की है।

हार्दिक पटेल के साथ इंटरव्यू के सवाल-जवाब

सवाल: हार्दिक, आपने कांग्रेस पार्टी जॉइन की, एक साल में आपको गुजरात कांग्रेस का वर्किंग प्रेसिडेंट बना दिया गया। कांग्रेस ने इतने जल्दी आपको इतना कुछ दिया, फिर भी आपने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया ऐसा क्या हुआ?
जवाब:
 हम आंदोलन के जरिए पैदा हुए लोग हैं। जनहित, समाजहित और राज्यहित के लिए हमने बहुत बड़ा आंदोलन किया। इसके बाद 2015 के पंचायत चुनाव और 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मजबूत विपक्ष के रूप में खड़े होने का मौका मिला।

1985 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस पार्टी को 60 सीटों से ज्यादा मिलीं। उसके बाद मुझे लगा कि हमारी शक्ति और कांग्रेस की शक्ति एक होगी तो प्रदेश में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरकर उनके अधिकारों की लड़ाई को आराम से लड़ा जा सकता है। मेरा कोई राजनीतिक परिवार नहीं है, जनता ने हार्दिक को हार्दिक पटेल बनाया है।

मुझे लगा कि राहुल गांधी हमें समझेंगे, मदद करेंगे। इसलिए हमने राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी। पार्टी जॉइन करने के बाद राज्य की लीडरशिप ने हमें परेशान किया, मॉरल डाउन किया गया, दुखी किया गया।

मैं प्रदेश के साथ पूरे देश में प्रचार करने गया और पार्टी की मजबूती के लिए लगा रहा। एक साल के बाद मुझे कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।

अगर किसी को पद दिए जाने के बाद जिम्मेदारी निभाने का मौका ही नहीं मिलेगा तो फिर वो क्या करेगा। मुझे पौने दो साल तक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए रखा, लेकिन आज तक मेरी जिम्मेदारी तय नहीं की। मेरे जिम्मे कोई काम नहीं सौंपा गया। कार्यकारी अध्यक्ष की फोटो पोस्टर्स में तक नहीं लगाते। कोविड में जब मेरे पिता की मौत हुई तो कांग्रेस राज्य इकाई को नेता मेरे घर बैठने भी नहीं आए।

सवाल- क्या राहुल गांधी ने आपको मिलने का वक्त नहीं दिया?
जवाब: 
मेरे इस्तीफा देने के 5-7 दिन पहले राहुल गांधी दाहोद में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे। उनको 15-20 दिन पहले से ही सारी कहानी पता थी, मुझे उम्मीद थी कि राहुल 5 मिनट का वक्त निकालकर बात करेंगे। राहुल गांधी मेरे लिए 5 मिनट का समय भी नहीं निकाल सके, अगर बात कर ली होती तो आज ये नौबत ना आती। जहां सम्मान ना मिले वहां रहना नहीं चाहिए। हम लोग अपनी मेहनत से पैदा हुए लोग हैं।

सवाल: कांग्रेस लीडरशिप सोनिया और राहुल को आप कैसे देखते हैं? एक-एक करके दिग्गज नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। क्या इसके लिए पार्टी हाईकमान जिम्मेदार नहीं है?
जवाब: 
कांग्रेस से जब कोई नेता छोड़कर जा रहा है तो शीर्ष नेतृत्व उसे समझाना ही नहीं चाह रहा है। हाईकमान के आसपास रहने वाले कुछ लोग हैं, जो बताते रहते हैं कि उसके छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन पार्टी इससे कमजोर होती है। कांग्रेस पार्टी को चिंतन नहीं, चिंता करने की जरूरत है।

मैं सोनिया जी से एक ही बार मिला हूं, उन्होंने मुझे बहुत अच्छे से सुना था। अभी फिलहाल जिम्मेदारी राहुल गांधी के पास है, मैं सब कुछ राहुल को बताता रहता था।

राहुल गांधी को जो स्टैंड हम जैसे युवाओं के लिए लेना था, वो उन्होंने नहीं लिया। मुझे दिल्ली की राजनीति का अंदाजा नहीं है, क्योंकि वहां मेरा कोई गॉडफादर नहीं है। मेरी बात बिल्कुल स्पष्ट है। गुजरात में कांग्रेस को मजबूत विपक्ष की भूमिका का मौका मिला था, कांग्रेस उसका ऋण चुकाने का मौका तैयार नहीं कर सकी।

सवाल: आपने कहा है कि कांग्रेस पार्टी विरोध की पार्टी है, बल्कि उसे विकल्प देने वाली पार्टी होना चाहिए? क्या आपने इसे लेकर पार्टी के अंदर बात की थी और क्या रिस्पॉन्स रहा?
जवाब: 
गुजरात में कुछ दिन पहले चिंतन शिविर था। मेरे डिस्कशन टेबल पर युवा और शिक्षा का मुद्दा था। हमने तय किया कि हमें किसी भी हालत में विरोध की राजनीति को बढ़ावा नहीं देना है, बल्कि समाधान की राजनीति करना है।

हमने तय किया कि पेपर लीक की घटना रोकने के लिए एक कानून बनाया जाए कि जिस विभाग में पेपर लीक होगा उस अधिकारी पर केस दर्ज कर उसे जेल के हवाले किया जाए। तब जाकर दूसरे विभाग के अधिकारी भी डरेंगे। बेरोजगारी के मुद्दे पर हमने तय किया कि सबसे पहले सरकारी खाली पद भरे जाएं। बेरोजगारी भगवान राम के शाप के कारण पैदा नहीं हुई है, सरकारें ये कर सकती हैं। गुजरात में प्राइवेट कंपनियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।

कांग्रेस पार्टी पिछले 10 साल में कोई ऐसा बड़ा आंदोलन नहीं कर पाई, जिसमें कोई कांग्रेस का नेता 10 दिन जेल गया हो। कांग्रेस को इस बात की चिंता और चिंतन करने की जरूरत है। जब हम इस तरह की बात करना चाहते थे, तो हमें इसमें किसी भी तरह की मदद नहीं मिली।

सवाल: कांग्रेस पार्टी पिछले दिनों में दो बड़े ईवेंट की वजह से चर्चा में रही, पहला प्रशांत किशोर का प्रेजेंटेशन और दूसरा चिंतन शिविर। खबरों के मुताबिक प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया कि सोनिया कांग्रेस प्रेसिडेंट बनें। एक वर्किंग प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट गांधी परिवार से बाहर का होना चाहिए। गांधी परिवार का कांग्रेस पर एकाधिकार क्या टूटने की जरूरत है? आपको क्या लगता है?
जवाब: 
उदयपुर के चिंतन शिविर में वन फैमिली- वन टिकट का फॉर्मूला तय हुआ और जो 3-4 बार हारा है उसे भी टिकट नहीं दिया जाएगा। ये फॉर्मूला गुजरात में भी 2012 और 2017 में लागू किया गया था, लेकिन 5 नेताओं को सेट करने के लिए टिकट दे दिए गए थे। ये सब दिखाने की बात है, इस फैसले का कोई असर नहीं होगा।

अगर किसी परिवार में कोई राजनीति करना चाहता है और उसमें टैलेंट है तो उसे आगे आना चाहिए, लेकिन अगर किसी को सिर्फ नेता का बेटा होने का फायदा मिल रहा है, तो मुझे ये सबसे दुखद लगता है। सबसे बड़ा इसका उदाहरण है यूथ कांग्रेस का चुनाव। कांग्रेस अपनी गलती नहीं सुधारेगी तो लोग उसे विपक्ष में भी देखना पसंद नहीं करेंगे। अमित शाह और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं को गाली देने भर से काम नहीं चलेगा।

सवाल: पाटीदार आंदोलन के दौरान पाटीदार समाज के कई युवाओं की आंदोलन में मौत हुई थी। 27 अगस्त 2018 को आपने गृह मंत्री अमित शाह को जनरल डायर कहा था, क्या अमित शाह आज भी आपके लिए जनरल डायर हैं। उन 10 युवाओं का परिवार आपसे ये सवाल पूछेगा?
जवाब: 
2015 में हमारा आंदोलन सत्ता के खिलाफ था। जब सत्ता के खिलाफ आंदोलन होता है तो स्वाभाविक रूप से जवानी के जोश में हम सत्ता के खिलाफ मन में जो आता है वो बोलते हैं। अपने अधिकारों के लिए सत्ता से लड़ना पड़ता है, हम लड़े और सरकार ने हमारी बातें मानीं। एक आंदोलनकारी के रूप लोगों की मांगों के लिए लड़ना मेरा कर्तव्य है, सत्ता अपना काम करती है।

सवाल: अगस्त 2015 में आपका बयान है कि- हम राजनेता नहीं हैं और ना ही बनना चाहते हैं, मैं मर जाऊंगा, लेकिन राजनीति में नहीं आऊंगा। तीन साल पहले जब आपने पार्टी जॉइन की तो कहा कि राहुल गांधी जितना ईमानदार कोई नहीं है। अब 2022 में पार्टी छोड़ते हुए आपने राहुल गांधी पर निशाना साधा है। अगर आपके इन तीनों बयानों का विश्लेषण करें तो साफ दिखता है कि आप एक स्थिर राजनेता नहीं हैं। आपका रुख बदलता रहता है। ऐसे में पाटीदार समाज का युवा आप पर कैसे भरोसा करे?
जवाब: 
हमने वादा किया था कि जब तक आंदोलन की पूरी भूमिका खत्म नहीं हो जाती, तब तक हम राजनीति में नहीं जाएंगे। जब हमारी मांगें पूरी हो गईं, तब मार्च 2019 में मैंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की। कांग्रेस के अंदर जाने पर पता चला कि पार्टी में सिर्फ जातिवाद की राजनीति चलती है। जो मेहनती हैं और काम करना चाहते हैं, उनको संभालने की नीति नहीं है।

मैं तो कांग्रेस पार्टी में भरोसे के साथ आया था, मेरा तो कोई गॉडफादर नहीं था। अगर मैं अस्थिर राजनेता होता तो आंदोलन बीच में छोड़कर चला गया होता। मैंने 9 महीने जेल में नहीं बिताए होते, 6 महीने गुजरात के बाहर नहीं रहे होते, हम पर 32 केस नहीं लगे होते।

सवाल- जैसे ही आपने पार्टी छोड़ी तब से आप राम मंदिर और धारा 370 हटाए जाने की जमकर तारीफ कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी का इन मुद्दों पर अलग स्टैंड रहा है। अगर आपको ये मुद्दे खटकते थे तो पहले ही क्यों नहीं छोड़ दी पार्टी?
जवाब: 
राम मंदिर बनाने का काम शुरू हुआ तो मैंने कांग्रेस में रहते हुए अपनी तरफ से 21 हजार रुपए दान दिया। जब कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तो मैंने खुलकर कहा था कि एक भारत में एक विधान होना चाहिए, भारत में सभी राज्यों को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन मैं दूसरी तरफ ये बात भी स्वीकार करता हूं कि इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे।

जवाहर लाल नेहरू ने IIT और IIM बनाया है, हमें ये भी स्वीकारना होगा। हम किसी भी पार्टी में रहें, जो सही है उसे सही कहेंगे और जो गलत है उसे गलत कहेंगे। कांग्रेस जब तक सही और गलत के बीच फर्क नहीं कर पाएगी तब तक उसे नुकसान होना तय है।

सवाल- आपके बयानों से ऐसा लग रहा है कि आप BJP में एंट्री के लिए आतुर हैं? आपकी BJP में शामिल होने की बातचीत कहां तक पहुंची है? क्या आप बीजेपी से किसी तरह के पद या वादे की उम्मीद कर रहे हैं?
जवाब: 
हमारे प्रदेश की जनता जिस पार्टी के साथ जुड़ी हुई है और उसे आगे भी सत्ता में देखना चाहती है। मैं उसी जनता के हिसाब से फैसला लेने वाला हूं।

सवाल: तो क्या इसका ये मतलब है कि जनता बीजेपी को फिर से जिताने का मन बना चुकी है?
जवाब: 
2017 में कांग्रेस पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका मिलने के बाद भी अगर कांग्रेस पार्टी जनता का आभार व्यक्त ना कर सके तो मेरा ये मानना है कि गुजरात में कांग्रेस सत्ता को भूमिका के रूप में तो दूर विपक्ष की भूमिका में भी लोग पसंद नहीं करेंगे।

सवाल: आपने कहा है कि मेरी मेज पर नरेंद्र मोदी की फोटो हो सकती है इसके क्या मायने हैं?
जवाब:
 उन्होंने राम मंदिर बनवाया है और देश से धारा 370 हटा कर अच्छा काम किया है, तो उनकी तस्वीर जरूर लगाएंगे।

सवाल: क्या आपकी बीजेपी से पार्टी में शामिल होने को लेकर क्या बात हो रही है?
जवाब: 
मेरी अभी किसी से बात नहीं हो रही है। मेरी किताब बहुत खुली है। जब मेरी सेक्स सीडी आई थी तब भी मैंने मीडिया में आकर कहा था कि मैं यंग हूं, ये मेरी दोस्त, गर्लफ्रेंड भी हो सकती है। जिस दिन भी मैं फैसला करूंगा, जनता और मीडिया के सामने फैसला करूंगा। मैं उस दिन ये भी बताऊंगा कि मैं इस फैसले तक क्यों पहुंचा।

सवाल: आम आदमी पार्टी भी गुजरात चुनाव में कोशिश करने वाली है। अगर आपकी किसी वजह से बीजेपी में एंट्री नहीं हो पाती है तो क्या आम आदमी पार्टी आपके लिए विकल्प रहेगी?
जवाब:
 लोकतंत्र में हर पार्टी को किसी भी राज्य में जाकर चुनाव लड़ने का पूरा अधिकार है। ऐसा होगा तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। लोकतंत्र में हमेशा सत्ता और विपक्ष दोनों होने चाहिए। गुजरात में 5 महीने के बाद चुनाव हैं, 5 महीने बाद तय हो जाएगा कि गुजरात की जनता ने किसका साथ दिया और किसे हटाया।

सवाल: जो लोग आपके कारण कांग्रेस में आए, जैसे कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी अब वह कहां रहेंगे?
जवाब: 
उनका मुझे नहीं पता कि वे क्या फैसला लेंगे, लेकिन भगवान करे जो मेरे साथ हुआ वह उनके साथ ना हो।

सवाल: गुजरात के लिए चुनाव में सबसे बड़े मुद्दे कौन रहने वाले हैं, जिन्हें बीजेपी इतने लंबे सत्ता में रहने के बाद भी डिलीवर नहीं कर पाई?
जवाब: 
गुजरात में बीजेपी ने इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास को लेकर अच्छा काम किया है। इस वक्त गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य को और बेहतर बनाए जाने की जरूरत महसूस होती है। इस पर अभी काफी काम किया जा सकता है।

सवाल: आप यूथ लीडर हैं। क्या आपको बेरोजगारी बड़ा मुद्दा नहीं लगता? अगर आप बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो इस मुद्दे पर कैसे काम करेंगे?
जवाब: 
मैंने पहले भी कहा है कि सबसे पहले सरकारी पदों को भरा जाए और दूसरा प्राइवेट कंपनियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाए। अगर इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे तो बेरोजगारी की समस्या से निपटा जा सकता है।

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