चंडीगढ़: कहते हैं कि पैसा बड़ी चीज नहीं होती है. अगर आपके पास सरस्वती हो यानी कि आपमें टेलैंट है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. उसमें भी अगर आप दूसरे की भलाई के लिए कुछ बड़ा करने की सोचते हो तो आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. ऐसा ही चंडीगढ़ के मोहित निझावन ने कर दिखाया है.
जानिए कौन हैं मोहित निझावन: मोहित निझावन चंडीगढ़ के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई चंडीगढ़ में पूरी की. साइंस के स्टूडेंट होने के कारण उन्होंने फार्मा कंपनी में 22 सालों तक काम किया. यहां वो 90 लाख का सालाना पैकेज लेते थे. साल 2020 में अपनी नौकरी छोड़कर माइक्रोग्रीन्स उगाने का फैसला लिया. उन्होंने माइक्रोग्रीन्स की शुरुआत अपने घर के दूसरे फ्लोर से की थी. आज यही फसल वे 500 वर्ग गज की जगह में कर रहे हैं. उनके पास 70 से ज्यादा पौधों की वैरायटी है.

क्या है माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग: माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसके लिए आपको खेत की जरूरत नहीं पड़ती. आप घर के किसी भी रूम में इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं. सबसे पहले आप बीज चुने. बीज को पानी में भिगोएं. एक कंटेनर या बेकिंग डिश में रखें. बीज को फैला दें. कसकर ढंककर खिड़की के पास रखें, जब तक कि बीज अंकुरित न हो जाएं. 2-3 दिन तक इंतजार करें. इसके बाद माइक्रोग्रीन्स रोपण के लगभग 2-3 सप्ताह बाद कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे. तैयारी के संकेत के रूप में “असली पत्तियों” के पहले सेट को देखें. फिर अपनी कैंची लें और मिट्टी की रेखा के ठीक ऊपर से साग को काट लें. माइक्रोग्रीन्स को उगाने के लिए ट्रे टाइप का प्लास्टिक होना चाहिए. अक्सर मिट्टी, कोको कॉयर, मिट्टी रहित मिश्रण, पीट मॉस या इनमें से कुछ मिश्रण का उपयोग करते हैं.
ट्रे में पानी डालकर उगाई जाने वाली फसल से कारोबार: मोहित द्वारा उगाई गई चेरी टोमेटो उनके ग्राहकों को बेहद पसंद है. चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली,नोएडा, गुड़गांव, मुंबई के बड़े-बड़े होटल-रेस्टोरेंट में मोहित निझावन के माइक्रोग्रीन्स का इस्तेमाल किया जाता है. बगैर खेत, बगैर जमीन के इन्होंने ट्रे में पानी डालकर उगाई जाने वाली इस फसल से कारोबार को शुरू किया. अब ये सालाना 1.44 करोड़ रुपये तक कमाई कर रहे हैं. खास बात ये है कि मोहित ने माइक्रोग्रीन्स स्टार्टअप आईडिया को घर-घर पहुंचाने का काम किया है.

जानिए कौन हैं मोहित निझावन (ETV Bharat)
नौकरी छोड़ शुरू किया माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग: मोहित पहले फार्मा सेक्टर में काम करते थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि कैंसर के मरीजों की संख्या काफी अधिक है. इसका इलाज भी महंगा है. अपने परिवार में भी इस बीमारी का सामना कर रहे लोगों को देख उन्होंने महसूस किया कि खराब खानपान और जीवनशैली इसकी बड़ी वजह हैं. फिर क्या था. साल 2020 में उन्होंने नौकरी छोड़ी और अपने ही छत पर ब्रोकली, फूलगोभी, सरसों, मेथी और मूली सहित 21 तरह के बीजों से माइक्रोग्रीन्स उगाने लगे. इस बीच परिवार के लोगों की नाराजगी का उनको सामना करना पड़ा. इसके बाद मोहित ने अपनी खुद की कंपनी बनाई. मोहित अब किसानों को भी माइक्रोग्रीन्स की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

क्या है माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग
बीमारियों का कारण हमारी दिनचर्या: इस बारे में ईटीवी भारत ने मोहित से खास बातचीत की. मोहित ने कहा, ” मैं पिछले 20 साल से मुंबई से चंडीगढ़ का सफर कर रहा हूं. इस दौरान मैंने मेट्रोपॉलिटन सिटी के रहन-सहन को लेकर कई तरह की समस्या देखी. मैंने देखा कि लोगों की लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसमें कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज और PCOD जैसी बीमारियां किसी वजह से नहीं बल्कि हमारी खुद की वजह से हो रही है. घर में पहुंचने वाली सब्जियां बहुत लंबा सफर तय करके आती है, जिससे सब्जी का न्यूट्रिशन कम हो जाता है. इस दौरान सब्जियों में पानी और फाइबर के अलावा कुछ नहीं बचता. जिससे शरीर को ज्यादा फायदा नहीं होता.”
पार्टनर ने दिया धोखा: मोहित निझावन ने आगे कहा, “वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की मानें तो रोजाना के खाने में 50 फीसद सब्जियां और फल होनी चाहिए, जबकि 50 प्रतिशत आप गेहूं, चावल आदि का सेवन कर सकते हैं. इस ट्रिक के साथ अगर हम चलें तो बीमारियों से हम कोसों दूर रह सकते हैं. अपने करीबियों को कैंसर से जूझता देख मैंने दिसंबर 2020 में माइक्रोग्रीन्स पर काम करते हुए एक कंपनी की शुरुआत की. इस काम में मेरा एक पार्टनर भी था. हालांकि साल भर बाद पार्टनर ने मुझे धोखा दे दिया. इसके बाद बहुत बड़ी चुनौती मेरे सामने थी. इन चुनौतियों ने मुझे काफी कुछ सीखाया. धोखा खाने के बाद मैंने माइक्रोग्रीन्स के बिजनेस को दोबारा से शुरू किया. आज इसे एक प्रॉफिटेबल कंपनी के तौर में चला रहा हूं. उत्तर भारत के अलावा मुंबई में भी हमारी कंपनी काम कर रही है. मेरी कंपनी के लिए 90 लोगों की टीम काम कर रही है.”
“मेरी सास और साली की कैंसर से मौत हो गई. मेरे भाई को किडनी संबंधी बीमारी है. इसके अलावा कई करीबी कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे. ये देखते हुए मैंने माइक्रोग्रीन्स पर रिसर्च किया और इसे बढ़ाने का फैसला किया. शुरुआत में मैंने कई एग्रीकल्चर वर्कशॉप में जाकर अनुभव हासिल किया. सैकड़ों किसानों के साथ बातचीत भी की.” -मोहित निझावन, प्रगतिशील किसान
डॉक्टर दोस्तों ने की मदद: मोहित ने कहा, ” बिजनेस में मिले धोखे के बाद मैं पूरी तरह से टूट चुका था. इसी दौरान मेरे कुछ डॉक्टर्स दोस्तों ने मेरी मदद की. मेरी पहचान के एक डॉक्टर ने अपने मरीज की सेहत बिगड़ती देख मेरी तैयार की हुई माइक्रोग्रीन्स भोजन में उसे देने का फैसला लिया. वो व्यक्ति केरल में हेल्दी लाइफ जी रहा है. ये घटना मेरे जीवन का सबसे बड़ा अचीवमेंट था. इसके बाद मेरा मनोबल भी बढ़ा और मैंने माइक्रोग्रीन्स आईडिया पर काम करना जारी रखा.”
माइक्रोग्रीन्स को घर पर लगाना आसान: मोहित ने आगे बताया कि, “माइक्रोग्रीन्स को लेकर मैं 3000 से अधिक किसानों को ट्रेनिंग दे चुका हूं. माइक्रोग्रीन्स को घर में लगाना बहुत ही आसान है. वह एक हफ्ते के अंदर तैयार हो जाता है. वहीं, जब वे चार उंगलियों के बराबर हो जाते हैं, उसी समय उसे काटकर खाना चाहिए. इस समय उन प्लांट्स में पूरा न्यूट्रीशन होता है, जो हमारे शरीर में होने वाली समस्या को समय रहते ठीक कर सकता है.”
लोगों की बीमारी देख करते हैं माइक्रोगीन्स का प्लान: मोहित ने आगे कहा, “हमारी वेबसाइट भी है, जो मरीज की समस्या को देखते हुए माइक्रोग्रीन्स का प्लान करती है. ऐसे में जिन लोगों को जिस तरह की समस्या होती है, हम उनसे उस तरह की जानकारी लेने के बाद उनके घर में माइक्रो प्लांट्स को डिलीवर करते हैं. आज के समय में चंडीगढ़, दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा जैसे बड़े शहरों में हमारे प्रोडक्ट पहुंच रहे हैं. लोगों को इसका लाभ भी मिल रहा है. यही कारण है कि लोगों में इसकी डिमांड बढ़ी है.”
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