मोदी का जोश, राहुल का मौन के मायने क्या ?
राकेश चौकसे बुरहानपुर
भारत मे चुनावी समर के बूते दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती को और मज़बूत करने के लिए अठाहरवी लोकसभा के गठन के साथ पंद्रहवे प्रधानमंत्री के रूप मे एनडीए अथवा इंडिया गठबंधन से प्रधान मिलना तय है। एनडीए घटक दल के सर्वमान्य नेता के रूप मे नरेंद्र मोदी निर्विवाद चेहरा और नेता बनकर उभर चुके है।
मोदी का जोश खुद की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ घटक दलों मे जोश भर रहा है। इसी जोश के बूते अबकी बार चार सौ पार का नारा दिया गया है इस नारे के पीछे दक्षिण की 132 सीट को भेदने का लक्ष्य रखा गया है । 2019 मे 132 सीटो मे से कर्नाटक और तेलंगाना ने कुल 29 सीट पर फतेह करवा दी थीं। तमिलनाडु,आंध्रप्रदेश, केरल और केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, लक्षदीप से सीट शून्य रही थी।
लोकसभा चुनाव की बिसात 2024 मे बिछने वाली है मोदी 2022 के कुछ पहले या कुछ बाद दक्षिण को साधने निकल गए थे। 400 + परिकल्पना को साकार करने के लिए उत्तर और दक्षिण की धार्मिक संस्कृती दोनो वर्गो के संस्कार को एक जाजम मे बैठाने के साथ वोटो पर सेंधमारी करने के उद्वेश्य को पुरा करने के लिए स्वयं के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी मे काशी तमिल संगमन के बूते तमिलनाडु का सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाया ही है। संसद के नए भवन मे परंपरा गत सेंगोल की स्थापना भी तमिल को साधने वाली कडी के रूप मे देखा जा रहा था ! एम एस स्वामीनाथन को कृषि के क्षेत्र मे देश का सर्वोच्च सम्मान देकर सुधा मूर्ति को राज्यसभा मे मनोनित कर भेजना दक्षिण के उन राज्यो को साधना ही है जहा भाजपा ने अब तक खाता ही नही खोला है, पार्टी को मालूम है इन राज्यों मे सिर्फ़ तमिलनाडु है जहां सीट ली जा सकती है बाकी राज्यों मे भाजपा का जनाधार 2024 मे बन सके संभव ही नही। तमिल मे पार्टी को तमिल मनीला कांग्रेस, स्वर्गीय विजयकांत के नाम पर डीएमडीके का सहारा है। और मुद्दे मे परिवारवाद और सियासत से स्टालिन को घेरा जा रहा है। इस राज्य के सांसद ए.राजा का विवादित बयान भारत देश नही उप महाद्वीप है इसके पीछे भाषा संस्कृति का उदाहरण देकर अपनी निष्ठा और देश भक्तो का अपमान ही किया और श्री राम के साथ श्री राम के नारा लगाने वाले को मूर्ख शब्द से नवाजकर कांग्रेस के श्री राम की काल्पनिक ता को प्रमाणित करने का अपराध ही किया है ! दिसंबर माह की छः तारीख को सनातन की तुलना एचआईवी (एड्स) के कीटाणु से कर सनातनियो को नीचा दिखाया है। इसी राज्य के अन्य नेता उदयनिधि मंत्रीपद का तमगा लेने के बाद भी सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया, कोरोना से कर अपनी विदेशी मूल में गिरवी रखी वैचारिक मानसिकता का परिचय दे चुके है। अन्नामलई के आने के बाद तमिल की कन्या कुमारी, रामनाथपुरम, शिवगंगा, मदुरै, पर विशेष ध्यान दे रही है।2024 मोदी रामनाथपुरम लोकसभा सीट से लड़े तो इसमें आश्चर्य नही होना चाहिए।
पूर्वोत्तर के असम 14 मे से 11 बचे मणिपुर 2 अरुणाचल 2 मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम से की कुल सीटो 22 में से भाजपा के 14 सांसद है। इन राज्यों पर पार्टी का फोकस सीटो को जितना और संख्या मे इजाफा करना है। दक्षिण और पूर्वोत्तर की तकरीबन 262 सीटो के गणित से बाहर निकले तब राहुल यात्रा मे मशगूल है न ये श्री राम की काल्पनिकता से बाहर आना चाहते है। न कांग्रेस मे उत्पन्न डैमेज को कंट्रोल करना ही चाहते है।2024 का चुनावी रथ सजगया है। मोदी क्षेत्रवार दौरा कर अपनी नीतियों का बखान कर आधुनिक भारत की कल्पना को मूर्त रूप देने मे लगे है राहुल अब भी स्टेरिंग सीट पर बैठना ही नही चाहते है।
पूर्वोत्तर और दक्षिण से बाहर निकले तब हरियाणा, गुजरात, सिक्किम, अरुणाचल,उत्तराखंड, राजस्थान सहित दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश मे समूची लोकसभा सीटों पर भाजपा फतेह कर सत्ता के शिखर पर बनी है। इन राज्यों मे सबसे बुजुर्ग पार्टी का खाता भी नही खुलसका था।
जम्मू, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आसाम, बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड, एमपी, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल ऐसे राज्य है भाजपा अब भी मज़बूत दिखाईं दे रही है।
पार्टी को मज़बूत करने मे लगे मोदी, कांग्रेसी नेताओ को ही साध नही पा रहे राहुल,क्या डूबता जहाज बन गईं कांग्रेस ?
2024 का चुनावी शोर मोदी का सुनाई दे रहा है, राहुल का मौन टूट ही नही रहा है। यही कारण है मोदी का जादू मतदाताओं के मन को टटोलते हुए पूर्वोत्तर, दक्षिण, हिंदी भाषी पट्टी पर चलता दिखाईं दे रहा है और पार्टी 400 पार के लक्ष्य को साधते नजर आ रही है। कांग्रेसी नेताओ के बगावती मूड को काबू मे नही किया गया तो 2014 मे मिले परीणाम से निचे कांग्रेस आ जाए इंकार नही किया जा सकता।