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क्या अकेले पड़ गए हैं थरूर,  नाम का रह गया कांग्रेस अध्‍यक्ष का चुनाव

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नई दिल्‍ली: कांग्रेस अध्‍यक्ष का चुनाव (Congress President Election) अब सिर्फ रस्‍मी रह गया है। चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के उतर आने के बाद सबकुछ बदल गया है। अगला कांग्रेस अध्‍यक्ष बनने का उनका रास्‍ता साफ है। खड़गे को कांग्रेस का भीष्‍म पितामह कहा जाता है। वह गांधी परिवार की पसंद हैं। पार्टी के नेताओं से जिस तरह का समर्थन उन्‍हें मिला है, वह इस ओर साफ इशारा करता है। शशि थरूर (Shashi Tharoor) खड़गे को कोई चुनौती पेश कर पाएंगे, इसकी संभावना बहुत कम है। इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि जी-23 के कई नेताओं ने भी खड़गे को सपोर्ट किया है। यह वही गुट है जिसने आलाकमान पर सवाल खड़े किए थे। संगठन में बदलाव की मांग की थी। थरूर भी इस ग्रुप में शामिल थे। गांधी परिवार से लेकर जी-23 के नेताओं तक का समर्थन खड़गे के साथ होने के बाद थरूर शायद अकेले पड़ गए हैं। हालांकि, यह भी सच है कि वह पहले भी फेवरेट नहीं थे। जब उनके सामने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की चुनौती थी तब भी राजस्‍थान के सीएम का ही पलड़ा भारी था। इसका सबसे बड़ा कारण गांधी परिवार (Gandhi Family) का उनके साथ होना था।

मुकाबला थरूर बनाम खड़गे
कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के चुनाव को लेकर अब तस्‍वीर काफी कुछ साफ हो चुकी है। यह टक्‍कर शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच होगी। दोनों सीनियर नेताओं ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल कर दिया। यह और बात है कि खड़गे के चुनावी रेस में उतर आने से यह मुकाबला सिर्फ कहने का है। कांग्रेस के भीष्‍म पितामह के सामने थरूर की चुनौती सिर्फ रस्‍मी होगी। इस बात को सीनियर लीडर्स के बयानों से समझ सकते हैं। मैदान में खड़गे के उतरते ही दिग्विजय स‍िंंह ने धनुष-बाण नीचे रख दिया। खड़गे के नामांकन दाखिल करने से पहले मध्‍यप्रदेश के पूर्व सीएम ने इस दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया। इसकी वजह भी उन्‍होंने साफ तौर पर बता दी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह खड़गे जैसे सीनियर नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे अभी राज्‍यसभा में विपक्ष के नेता हैं। तकरीबन उन सभी सीनियर नेताओं ने खड़गे की दावेदारी का समर्थन किया है जिनके नाम अध्‍यक्ष पद की दौड़ में चल रहे थे। इनमें दिग्विजय सिंह के साथ ही अशोक गहलोत, अंबिका सोनी, अजय माकन, एके एंटनी शामिल हैं। कांग्रेस के 30 सीनियर कांग्रेस नेताओं ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्‍ताव किया है।

जी-23 के नेता भी खड़गे के साथ
थरूर का पलड़ा कितना हल्‍का है यह बात जी-23 के नेताओं के रुख से भी जान सकते हैं। खड़गे के नामांकन का समर्थन करने वालों में मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पृथ्‍वीराज चव्‍हाण और भूपिंदर सिंह हुड्डा का भी नाम है। इन सभी ने थरूर के बजाय मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम को प्रपोज किया है। ये नेता उसी समूह के हैं जिन्‍होंने कभी आलाकमान को चुनौती दी थी। 2020 में इस समूह के नेताओं ने कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर संगठन में बदलाव की पैरवी की थी। यही नहीं, नेतृत्‍व पर भी सवाल खड़े किए थे। थरूर भी उन्‍हीं नेताओं में थे। थरूर को छोड़ खड़गे के साथ खड़े होना दिखाता है कि थरूर की दावेदारी कितनी कमजोर है।

ऐन मौके पर खड़गे की एंट्री और गांधी कनेक्‍शन
20 साल बाद यह पहला कांग्रेस अध्‍यक्ष का चुनाव है जिसमें गांधी परिवार नहीं होगा। गांधी परिवार ने ऐसा करके सीनियर नेताओं के लिए पार्टी का नेतृत्‍व करने का रास्‍ता साफ कर दिया है। हालांकि, वह यह कभी नहीं चाहेगा कि पार्टी का चीफ कोई ऐसा बने जिस पर उसका कंट्रोल नहीं हो। पहले अशोक गहलोत को इसी वजह से मैदान में रखा गया था। वह गांधी परिवार के वफादार रहे हैं। हालांकि, मैदान में उनके हट जाने के बाद फिर किसी लॉयलिस्‍ट की तलाश थी। खड़गे इस मामले में खरे उतरते हैं। एक बात तो यह है कि वह बहुत वरिष्‍ठ हैं। दूसरा यह है कि गांधी परिवार के प्रति उनकी वफादारी पर कोई सवाल नहीं खड़े कर सकता है। यह बात थरूर के लिए नहीं कही जा सकती है। वह अपनी धारा के नेता हैं। थरूर उन नेताओं में हैं जो अपनी मर्जी की बात कहते और करते हैं। फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने कौन है। गांधी परिवार के लिए उन्‍हें काबू में रखा पाना शायद मुश्किल होगा।

ऐन मौके पर खड़गे को शायद इसीलिए उतारा गया। खबरों के मुताबिक इस बारे में एक अहम बैठक हुई। इसमें कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने खड़गे को कहा कि लीडरशिप चाहती है कि वह चुनाव में हिस्‍सा लें। यह और बात है कि गांधी परिवार कह चुका है कि वह न्‍यूट्रल रहेगा। इस बात की भी संभावना है कि इस न्‍यूट्रलिटी को बनाए रखने के लिए गांधी परिवार चुनाव में वोटिंग में हिस्‍सा नहीं ले।

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