प्रणव चौधरी
आरएसएस के लोग इन्हें गुरू गोलवलकर के नाम से याद करते हैं।ये लंबे समय तक संघ प्रमुख रहे हैं।मैं इनके बारे में आप सब से कुछ बातें जो इन्हें नफरत का गुरू बनाता है शेयर करता हूं ।और आप सब को ये जानना भी जरूरी है।
1)आजादी के आंदोलन में जहां एक ओर गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे विराट पुरुष ब्रिटिश सरकार से निरंतर संघर्ष कर रहे थे वहीं गोलवलकर अंग्रेजों का साथ दे रहे थे।
2)इन्हीं के काल में देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाए थे।
3)इनकी एक किताब है “we are our nationhood defined “जो संघ में गीता के तरह मानी जाती है उसमें जितनी भी उदाहरण ली गई है सारे के सारे हिटलर और मुसोलिनी काल के जर्मनी और इटली से ली गई है। कहीं भी भारतीय परंपरा और संस्कृति की चर्चा नहीं है।
4)Hindus! Don’t waste your energy fighting the British. Save your energy to fight our internal enemies that are Muslims,Christians and communists. ये कहना था गोलवलकर का और बार बार ऐसा कहकर उन्होंने आंदोलन को कमजोर किया।
5)सरदार पटेल ने एक पत्र लिखकर इनको कहा था कि हिंदुओं की मदद करना कोई गलत बात नहीं है लेकिन हिंदुओं में नफरत फैलाकर हिंसा और दंगे करवाना गलत है।बाकी बहुत सारी बाते हैं जो इनको नफ़रत का गुरू बनाती है। पाठक जरूर इनकी लिखित दो किताब ” बंच ऑफ थाउट्स”और ” नेशनहुड डिफाइन्ड” पढ़ें सारी बातें समझ आएगी।