~ डॉ. श्रेया पाण्डेय
*(अ). हाई और लो ब्लडप्रेसर :*
आयुर्वेद के अनुसार हाई BP की बीमारी ठीक करने के लिए घर में उपलब्ध कुछ दबाईया ये है :
1. दालचीनी :
दालचीनी मसाले के रूप में उपयोग होता है. सिल पर पीसकर पावडर बनाएं. शहद के साथ लें. आधा चम्मच शहद आधा चम्मच दालचीनी.
चाटने के बाद एक कप गरम पानी पीएं.
2.अर्जुन की छाल
अर्जुन वृक्ष की छाल हाई BP को ठीक करती है. CHOLESTEROL को ठीक करती है. TRIGLYCERIDE को ठीक करती है. मोटापा कम करती है. हार्ट में ARTERIES में अगर कोई ब्लोकेज है तो वो ब्लोकेज को भी निकालती है.
छाल को धूप में सुखा कर सिल पर पीसकर पावडर बना लीजिये।
एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण और आधा चम्मच दाल चीनी का चूर्ण एक गिलास पानी में आधा रहने तक उबाले और फिर छान कर चाय की तरह सोने से पहले पी ले।
3. मेथी दाना
मेथी दाना आधा चम्मच लीजिये एक ग्लास गरम पानी में और रात को भिगो दीजिये, रात भर पड़ा रहने दीजिये पानी में और सुबह उठ कर पानी को पि लीजिये और मेथी दाने को चबा के खा लीजिये।
ये बहुत जल्दी आपकी HIGH BP कम कर देगा, देड से दो महीने में एकदम स्वाभाविक कर देगा ।
4. बेल पत्र की पत्ते
पांच बेल पत्र ले कर सिल पर पिस कर उसकी चटनी बनाइये. इस चटनी को एक ग्लास पानी में डाल कर खूब गरम कर लीजिये , इतना गरम करिए के पानी आधा हो जाये , फिर उसको ठंडा करके पी लीजिये।
बेलपत्र SUGAR को भी सामान्य कर देगा। उच्च रक्तचाप और SUGAR दोनों के लिए बेल पत्र बेहतर दवा है।
*निम्न रक्तचाप :*
1. इसके के लिए सबसे उत्तम दवा है गुड. गुड पानी में मिलाके, नमक डालके, नीबू का रस मिलाके पीयें।
एक ग्लास पानी में 25 ग्राम गुड, थोडा नमक नीबू का रस मिलाके दिन में दो तिन बार पिने से लो. BP जल्दी ठीक होगा ।
2. अनार का रस
अगर आपके पास थोड़े पैसे है तो रोज अनार का रस पियो. नमक डालकर. इससे बहुत जल्दी लो BP ठीक हो जाता है.
3. गन्ने/संतरे/अनन्नास का रस
गन्ने का रस पीये नमक डालकर.
संतरे का रस bhiनमक डाल के पीयें.
अनन्नास का रस bhi नमक डाल कर पीया जाता है.
4. दूध में घी
LOW BP कंट्रोल के लिए और एक बढ़िया दवा है दूध में घी मिलाके पीयें.
एक ग्लास देशी गाय का दूध और एक चम्मच देशी गाय की घी मिलाके रातको पिने से लो BP बहुत अच्छे से ठीक होगा।
*(ब ). हाई यूरिक एसिड*
यूरिक एसिड एक वेस्ट प्रोडक्ट है जो तब बनता है जब शरीर प्यूरिन को तोड़ता है, जो कुछ खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले यौगिक होते हैं और शरीर द्वारा उत्पादित भी होते हैं। यह मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर होता है।
रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे गाउट, एक प्रकार का गठिया, या किडनी की पथरी। इन समस्याओं से बचने के लिए शरीर में यूरिक एसिड का स्वस्थ संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
प्यूरिन हमारे शरीर में RNA और DNA के रुप में मौजूद होता है। जीवित चीजों में आनुवंशिक जानकारी को स्टोर और स्थानांतरण के लिए प्यूरिन आवश्यक हैं। एडेनिन और गुआनिन डीएनए और आरएनए में पाए जाने वाले दो सबसे प्रसिद्ध प्यूरीन आधार हैं। वे जेनेटिक कोडिंग और प्रोटीन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बढ़े हुए युरिक एसिड को हाइपरयुरिसीमिया कहा जाता है। आम तौर पर, यूरिक एसिड किडनी द्वारा फिल्टर किया जाता है और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है।
जब यूरिक एसिड का स्तर बहुत अधिक हो जाता है और इसे खत्म करने की किडनी की क्षमता भी नहीं होती है, तो हाइपरयुरिसीमिया विकसित हो सकता है।
हाइपरयुरिसीमिया को किसी बीमारी के रूप में नहीं देखा जाता है, लेकिन ये अक्सर अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को पैदा कर सकता है। हाइपरयुरिसीमिया से संबंधित सबसे प्रसिद्ध समस्या गाउट है, एक प्रकार का गठिया जो तब होता है जब यूरिक एसिड क्रिस्टल जोड़ों में जमा हो जाते हैं, जिससे दर्दनाक सूजन हो जाती है।
इसके लिए उत्तरदायी कारणों को जानें, ताकी इनसे बच सकें :
*असंतुलित आहार :*
रेड मीट, ऑर्गन मीट, सी फूड और कुछ नशीले पेय पदार्थ जैसे प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है।
*मोटापा :*
शरीर का अधिक वजन हाइपरयूरिसीमिया और गाउट के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है।
*जेनेटिक समस्याएं :*
कुछ व्यक्तियों में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने का आनुवंशिक कारण भी हो सकता है।
*किडनी का खराब होना :*
किडनी का ठिक तरह से काम न करने से यूरिक एसिड को बाहर निकालन में परेशानी हो सकती है, जो हाइपरयुरिसीमिया में कारण बन सकती है।
यूरिक एसिड को इन तरीकों से नियंत्रित करें :
*1. प्यूरीनयुक्त खाद्य पदार्थ कम करें :*
प्यूरीन विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले प्राकृतिक यौगिक हैं, और शरीर उन्हें यूरिक एसिड में तोड़ता है।
हालांकि यह सच है कि अतिरिक्त यूरिक एसिड गाउट जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में सिमित करने की जरूरत है।
ऑर्गन मीट और कुछ सी फूड जैसे उच्च-प्यूरीन खाद्य पदार्थों को कम करें, और कम प्यूरीन वाले खाद्य पदार्थ जैसे लीन मीट, पोल्ट्री और पौधे-आधारित प्रोटीन का विकल्प चुने।
इसके अतिरिक्त, फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाने से आपके आहार को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
*2. वजन नियंत्रण :*
शरीर का अधिक वजन, मोटापा, हाइपरयुरिसीमिया और गाउट के उच्च जोखिम का कारण हो सकता है। वसा ऊतक यूरिक एसिड के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और किडनी इसको बाहर निकालने में मुश्किलों का सामना कर सकती है।
वजन कम करने से यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
*3. फ्रुक्टोज का सीमित सेवन :*
उच्च फ्रुक्टोज का सेवन, जो अक्सर शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में पाई जाती है, को यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
फ्रुक्टोज युक्त उत्पादों का सेवन कम करना फायदेमंद हो सकता है।
*4 डाइट में पर्याप्त फाइबर :*
फाइबर शरीर से यूरिक एसिड को बाहर करने में सहायता करके यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। जिससे रक्त में इसको कम करने में मदद मिलती है।
फाइबर आपके रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने में भी मदद कर सकता है। यह तृप्ति को बढ़ाता है, जिससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है।
*5. पर्याप्त सेक्स आवश्यक :*
फिजिकल-मेंटल रिलेक्सेशन और इंटर्नल हॉटनेस की बैलेंसिंग के लिए पर्याप्त सेक्स आवश्यक होता है. कम से कम माह में दो बार तो अवश्य ही. भीतरी गर्मी, यौनिक हॉटनेस की कंट्रोलिंग नहीं होना ऐसी और ऐसी ही अन्य समस्याओं का कारण बनता है. कम्प्लीट सेक्स का मतलब है आप पूरी तरह थक कर, स्खलित होकर सिथिल हो जाएँ. व्यक्ति एक ही चुनें, वर्ना समाधान नहीं, समस्याएं ही मिलेंगी. कम्प्लीट सेक्स आपको कई सारी अन्य मानसिक-दैहिक व्याधियों से भी दूर रखता है. आजकल 99 फीसदी फीमेल्स को ऐसा सेक्स देने वाला पार्टनर नहीं मिलता. आप हमारे मिशन से ले सकती हैं, बिना कुछ दिए.
*कलौंजी के पानी से यूरिक एसिड कंट्रोलिंग :*
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कलौंजी के बीज में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंटस पाए जाते हैं। इससे शरीर में डायबिटीज, कैंसर, मोटापा और हृदय रोगों का खतरा कम होने लगता है। कलौंजी को पानी में मिलाकर पीने डाइजेस्टिव एंजाइम्स का प्रोडक्शन बढ़ जाता है, जिससे डाइजेशन बूस्ट होता है।
इसके सेवन से शरीर को जिंक, कॉपर, कैल्शियम, नियासिन और फाइटोकेमिकल्स की प्राप्ति होती है।
मानसून के दिनों में कलौंजी के पानी का सेवन करने से बैक्टीरियल इंफेक्शन से राहत मिलती है। इसके अलावा पाचनतंत्र मज़बूत बनता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा कलौजी में एंटी डायबीटिक और एंटी यूरिक एसिड प्रॉपर्टीज़ भी पाई जाती है, जिससे किडनी संबधी समस्याएं हल हो जाती हैं।
कलौंजी में मौजूद अमीनो एसिड किडनी के फंक्शन का रेगुलेट करने में मदद करते है। इसे पानी में मिलाकर पीने और विटामिन सी से भरपूर नींबू को एड करने से सीरम क्रिएटिनिन और ब्लड यूरिया लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
एनआईएच की रिसर्च के अनुसार यूरिक एसिड को किडनी की मदद से फ़िल्टर करके यूरिन के ज़रिए शरीर से बाहर निकाला जाता है। कई कारणों से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इसमें मौजूद सल्फर की मात्रा शरीर में मौजूद यूरिक एसिड को डिटॉक्स करके ब्लड को प्यूरीफाई करता है।
इसके सेवन से शरीर में बढ़ने वाली डाइजेस्टिव एंजाइम्स की मात्रा डाइजेस्टिव सिस्टम को रेगुलेट करके शरीर को कब्ज और ब्लोटिंग के खतरे से बचाती है। सुबह उठकर खाली पेट कलौंजी का पानी पीने से बॉवल मूवमेंट नियमित रहता है और एसिडिटी से भी मुक्ति मिल जाती है। कलौंजी में मौजूद एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से फूड पॉइज़निंग का खतरा भी कम हो जाता है। इससे पाचनतंत्र मज़बूत बनता है और बार बार भूख लगने की समस्या से भी बचा जा सकता है।
सुबह खाली पेट कलौंजी के पानी को पीने से शरीर में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर को हृदय रोगो के खतरे से बचा या जा सकता है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन नियमित रहने से हाई ब्लड प्रैशर के खतरे से भी बचा जा सकता है।
मौसम में आने वाले बदलाव के साथ ही फीवर और फ्लू का खतरा मंडराने लगता है। ऐसे में कलौंजी जैसे सुपरफूड के सेवन से साज़नल फ्लू, बुखार और हेपेटाइटिस सी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है, जिससे शरीर पाल्यूटेंटस के प्रभाव से दूर रहता है।
*ऐसे करें कलौंजी के पानी का सेवन :*
एक गिलास पानी में आधा चम्मच कलौजी के सीड्स को डालकर ओवरनाइट सोक होने के लिए रख दें। अब अगले दिन सुबह पानी को छालकर खाली पेट उसका सेवन कर लें। आप चाहें, तो उस पानी में काला नमक और नींबू का रस भी शामिल कर सकते हैं।
सप्ताह में 2 से 3 बार इसका सेवन लाभकारी साबित होता है। इसके बाद बचे हुए कलौंजी के सीड्स को अचारी सब्जियों में प्रयोग किया जा सकता है। वे लोग जिन्हें कलौंजी से एलर्जी है, उन्हें एक्सपर्ट की सलाह से ही इसे डाइट में शामिल करना चाहिए। (चेतना विकास मिशन).