विजय दलाल
कुछ दिनों पहले की ही बात है डाल्टनगंज – झारखंड में इप्टा सम्मेलन में मैं जब शानदार पोस्टर्स गैलरी में इप्टा के गठन के इतिहास संबंधित पोस्टर्स देख रहा था तो वहां वामपंथी नेता पी सी जोशी का भी पोस्टर देखा।* *मैंने वहीं निश्चय कर लिया था कि मैं गार्गी चक्रवर्ती द्वारा लिखी और नवीन जोशी द्वारा अनुवादित “पी.सी.जोशी -एक जीवनी” जो मेरे संग्रह में है, फिर से अवश्य पढ़ूंगा।*
*देश के हालात भी मुझे उस किताब का जो थोड़ा बहुत मेरी स्मृति में रह गया था पढ़ने को प्रेरित कर रहे थे।*
*अतीक अहमद और उनके बेटे असद की हत्या ने मुझे परसों के दिन का किताब के 70 वे पेज पर 12 मार्च 1961 के “न्यू एज” के में जबलपुर दंगों की रिपोर्ट* *जनसंघी तत्वों के ख़तरों की भविष्यवाणी थी जोशी ने खुद वहां जाकर हालात की जांच पड़ताल की, विभिन्न तबके के लोगों और विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोगों से मिले।*
*उन्होंने पाया कि इस दंगे की मुख्य सूत्रधार थी साम्प्रदायिक ताकतें, खासकर जनसंघ, जिसने*असहाय मुस्लिमों को शिकार बनाया और पुलिस तमाशा देखती रही।*
*उन्होंने पाया कि जनसंघ का हिन्दी दैनिक और अफवाहें फैलाने वालों ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को इतना प्रभावित किया कि वह इन दंगों के बारे में बिल्कुल झूठी खबरें दे रहा था।*
(आज जो मीडिया के हाल हैं और अभी एक सप्ताह पहले ” पांचजन्य” अपने पेपर में मुरादाबाद की एक पुरी झूठी घटना छापी। मुरादाबाद पुलिस ने जिसका खंडन किया कि ऐसी
कोई घटना मुरादाबाद में नहीं घटी)
*जोशी चाहते थे कि धर्मनिरपेक्ष लोग ऐसे दंगों से सबक लें।*
*उन्होंने लिखा :”इतना सब कुछ बेकार नहीं होता अगर हमारे राष्ट्रीय जीवन में सभी देशभक्त एवं धर्मनिरपेक्ष तत्व मात्र यह सत्य निकालें कि मध्यप्रदेश के ये दंगे आगामी आम चुनाव के लिए जनसंघ द्वारा तैयार किया गया राजनीतिक पूर्वाभ्यास था। यह उनकी राजनीतिक चालबाजी का एक हिस्सा है जो वे बहुसंख्यक हिन्दुओं के रक्षक और पाकिस्तान के पांचवें स्तंभ के रूप में अल्पसंख्यक मुस्लिमों को बदनाम कर लोकप्रियता हासिल करने के लिए अपना रहे हैं।”*
*न्यू एज, 12 मार्च 1961*
@इस संपादकीय को लिखे 60 साल से ज्यादा का समय बीत गया है वहीं शक्तियां आज नाम बदले हुए हैं। सारी बातें ऐसा लगता है जैसे पिछले ही कुछ दिनों की लिखी हुई हो!
हम जैसे लोग जो देश के संविधान और कानून में विश्वास करते हैं हमारा मानना है कि अतीक अहमद अपराधी, महागुंडा और बदमाश है तो उसको न्यायालय द्वारा फांसी की सजा दीजिए।
लेकिन किसी आरोपी की किसी के द्वारा हत्या उससे भी बड़ा अपराध है। ये हत्या तो केवल उसके अपराधी होने भर के लिए नहीं है 1.अतीक अहमद का भाजपा विरोधी और सपा समर्थक होना।
2. इस समय प्रमुख मसले एक अडानी समूह प्रकरण और दूसरा मोदी जी की मार्कशीट का मसला
दोनों ने आज मोदी सरकार की जड़ें हिला दी है इनकी ओर से जनता का ध्यान हटाना।
3 . कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा पुलवामा कांड के षड़यंत्र का भंडाफोड़।
इन सबको छुपाने के साथ
4. बीजेपी को चुनावों में फिर से सबसे बड़ा ट्रंपकार्ड हिंदू – मुस्लिम।