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यूनेस्को की सूची में शामिल होने इंदौर की गेर Vs ब्रज की होली…

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इंदौर की ऐतिहासिक रंगपंचमी की गेर को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने के प्रयासों को इस बार कड़ी चुनौती मिलने जा रही है। सूची में गेर को शामिल कराने के लिए इंदौर जिला प्रशासन गत कई वर्षों से प्रयासरत है। इस बार भी प्रस्ताव भेजा जाएगा, लेकिन इस बार संस्कृति मंत्रालय मथुरा, वृंदावन और बरसाना की प्रसिद्ध होली को भी इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजने वाला है।इंदौर की ऐतिहासिक रंगपंचमी की गेरको यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने के प्रयासों को इस बार कड़ी चुनौती मिलने जा रही है। ब्रज की होली को भी इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

ऐसे में सांस्कृतिक श्रेणी में केवल एक परंपरा को ही स्थान मिल सकता है, इसलिए इंदौर की गेर और ब्रज की होली के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। होली पूरे देश में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है। इसमें मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली का इतिहास वर्षों पुराना है, जबकि इंदौर में रंगपंचमी पर गेर की परंपरा 70-75 साल पहले शुरू हुई थी।

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बरसाना में खेली जाती है लठमार होली

बरसाना में लठमार होली खेली जाती है। जबकि वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली प्रसिद्ध है। इंदौर के राजवाड़ा पर होलकर राजवंश के शासनकाल से ही होली और रंगपंचमी पर एकत्रित होकर रंग-गुलाल लगाया जाता रहा है, लेकिन संगठित रूप से गेर निकालने की परंपरा बाद में शुरू हुई।

तिहासिक मान्यता दिलाने के प्रयास जारी

करीब पांच साल पहले इंदौर की गेर को यूनेस्को की सूची में शामिल करने के प्रयास शुरू हुए। जिला प्रशासन द्वारा विशेष वीडियोग्राफी और दस्तावेजीकरण किया गया और यूनेस्को को भेजे गए थे। इस बार भी इस आयोजन को ऐतिहासिक मान्यता दिलाने के प्रयास जारी हैं। ऐसे में ब्रज की होली की मजबूत दावेदारी के बीच इंदौर की गेर को अपनी विशिष्टता साबित करनी होगी।

यूनेस्को में शामिल होने के मायने

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से किसी परंपरा या स्थल को वैश्विक मान्यता मिल जाती है, जिससे उसकी पहचान और महत्व बढ़ जाता है। इसके साथ ही पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। यूनेस्को की सूची में इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर शामिल होती है तो उससे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

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दो साल पहले गुजरात का गरबा हुआ शामिल

वर्ष 2023 में इंदौर की गेर को यूनेस्को की सूची में शामिल करने के लिए सबसे अधिक प्रयास हुए थे, लेकिन अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) सूची में गुजरात का पारंपरिक गरबा नृत्य शामिल कर लिया गया और इंदौर का दावा कमजोर हो गया। वहीं 2024 में सांस्कृतिक विरासत श्रेणी से किसी को शामिल नहीं किए जाने से इंदौर को स्थान नहीं मिला।

भारत की दर्जनभर विरासतें शामिल

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की सूची में करीब 145 देशों की 730 से अधिक अमूर्त विरासतें शामिल हैं। इसमें कोलकाता की दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, छऊ नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया लोक गीत व नृत्य और गरबा सहित भारत की करीब दर्जनभर अमूर्त विरासतें शामिल हैं।

पहले भी प्रशासन ने दिल्ली तक भेजा था प्रस्ताव

दिल्ली में संस्कृति मंत्री से मुलाकात कर ऐतिहासिक गेर के संबंध में चर्चा की जाएगी, ताकि इंदौर की ऐतिहासिक गेर को भी यूनेस्को की सूची में शामिल करने के प्रयास तेज हो सकें। पहले भी प्रशासन के माध्यम से प्रस्ताव दिल्ली तक आया था, लेकिन किसी कारणवश सूची में शामिल नहीं हो सका। – शंकर लालवानी, सांसद इंदौर

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