अग्नि आलोक
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होनी”मानव निर्मित  है?

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शशिकांत गुप्ते

दुर्घटना हुई यात्री बस नदी में गिरी। दुर्घटना में बहुत से भगवान को प्यारे हो गए। कुछ की स्थिति गंभीर है। कुछ विकलांग भी हो सकते हैं,बहुत से कुछ समय बाद देह त्याग सकते हैं?
बस ओवरलोडिंग थी।
संभवतः बस का चालक भी हाला के सेवन से ओवर होगा और बस के कल पुर्जे भी घिसे-पिटे होने से बेबस होते हुए भी सड़कों पर दौड़ाई जा रही थी।
Over loading का हिंदी में अनुवाद होता है,अति भराई,या अति लदान। भराई और लदान
यह क्रियाओं का प्रयोग माला असबाब के लिए किया जाता है, मानवों के लिए नहीं।
दुर्भाग्य से अतिवाद की मानसिकता से ग्रस्त मानव संवेदनहीन हो जाता है।
अतिवाद या चरमवाद का शाब्दिक अर्थ है,अति तक ले जाना। इस शब्द का प्रयोग धार्मिक,और राजनीतिक विषय में और ऐसी विचारधारा के लिए होता है,जो मुख्यधारा समाज के नजरिए में स्वीकार्य नहीं हैं।
आज इसी कारण वश अपराधी बेखौफ है,आमजन खौफजदा है।
उपर्युक्त मुद्दे पर सोलवी सदी के भक्तिरस के कवि रहीम (अब्दुलर्रहीम खानखाना)
रचित इस दोहे का स्मरण होता है।
कनक (सोना) कनक(धतुरा) ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय।

हर क्षेत्र में बढ़ रहे अतिवाद के लिए उक्त दोहा एक अच्छी नसीहत है।
दुर्भाग्य से नसीहत सिर्फ पुस्तकों में कैद होकर रह जाती है।
हर बार की तरह इस बार भी जांच होगी, दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा की रिकार्ड बजेगी।
प्रशासन चार दिनों तक चुस्ती दिखाए गा।
पश्चात ये कहावत ही चरितार्थ होगी।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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