बिजनसमैन जिम्मी लाई का कहना है कि आज वह जो कुछ हैं, उसकी एकमात्र वजह हॉन्ग कॉन्ग में मिली आजादी है। इसके बिना वह आज भी गरीब चाइनीज रहते। इस आजादी को बचाने के लिए उन्होंने अरबों डॉलर की दौलत ठुकरा दी और जेल चले गए। इतिहास में ऐसे कम ही उदाहरण देखने को मिलते हैं।
अमीर लोगों के बारे में अक्सर कहा जाता है कि किसी की भी सत्ता हो, उन्हें फर्क नहीं पड़ता है। इसकी वजह यह है कि अधिकांश अमीर लोग सत्ता के सामने बिछ जाते हैं। इसकी एक बड़ी वजह है। वे जानते हैं कि सत्ता को सच का आइना दिखाकर उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ होता है और पाने के लिए बहुत कम। यही वजह है कि वे सत्ता में बैठे लोगों के मुताबिक खुद को ढाल देते हैं। लेकिन हॉन्ग कॉन्ग के बिजनसमैन जिम्मी लाई (Jimmy Lai) ने सत्ता के सामने झुकने के बजाय अपनी अरबों की दौलत ठुकरा दी और खुशी-खुशी जेल चले गए। उन्होंने 2019 में लोकतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। चीन की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। उन्हें बाकी उम्र जेल में काटनी पड़ सकती है। लेकिन उनका कहना था कि मेरे पास जो कुछ भी है वह हॉन्ग कॉन्ग की आजादी की बदौलत है। इसके बगैर में एक गरीब चाइनीज था।
चीन में जब 1949 में माओ सत्ता में आए तो जिम्मी बच्चे थे। उनके परिवार को लैबर कैंप में भेज दिया गया। महज 12 साल की उम्र में उन्हें एक बोट के जरिए स्मगल करके हॉन्ग कॉन्ग लाया गया। उन्होंने वहां एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में काम किया। खूब मेहनत की और पैसे बचाए। इसके बाद उन्होंने खुद की टेक्सटाइल फैक्ट्री शुरू कर दी। 25 साल की उम्र तक वह सफल बिजनसमैन बन चुके थे। वह इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने स्टोर्स की एक रिटेल चेन Giordano की शुरुआत की। यह चेन तेजी से पूरी दुनिया में फैलती गई। इसने चीन, अमेरिका से लेकर यूरोप तक पैर पसारे। यहां तक सब ठीक था। लेकिन एक बार जब वह अमेरिका के दौरे पर गए तो एक वकील दोस्त ने उन्हें Friedrich Hayek की किताब The Road to Serfdom दी। इसने जिम्मी की जिंदगी बदलकर रख दी।
एक किताब ने बदला मकसद
जिम्मी को अचानक पता चला कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक आजादी कैसे एकदूसरे से जुड़ी हुई है और कैसे इसने इंसानों के अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद की है। हॉन्ग कॉन्ग इसका उदाहरण था। 1949 में यह चीन से आए शरणार्थियों का ठिकाना था। हॉन्ग कॉन्ग कोई लोकतंत्र नहीं था बल्कि अंग्रेजों की कॉलोनी थी। लेकिन वहां कानून का राज था, मानवाधिकार और संपत्ति का अधिकार था, फ्री मीडिया, स्वतंत्र पुलिस और जुडिशियरी थी। इस आजादी के साथ चीन से आए लोगों ने कमाल कर दिया था। साल 2000 तक हॉन्ग कॉन्ग की प्रति व्यक्ति आय ब्रिटेन से अधिक हो गई थी।
जब पूर्वी यूरोपीय देशों ने कम्युनिस्ट चोले को उतार फेंका तो जिम्मी बहुत उत्साहित थे। लेकिन 1989 में जब चीन के सरकार ने तियानमन स्क्वायर में छात्रों के आंदोलन को बेरहमी से कुचला तो इस घटना ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया। अकबर इलाहाबादी ने कभी कहा था, ‘खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।’ जिम्मी ने मीडिया के क्षेत्र में उतरकर आजादी के लिए अपना योगदान देने का फैसला किया। उनका कहना था कि मेरे पास जो कुछ भी है वह हॉन्ग कॉन्ग की आजादी की बदौलत है। इसके बगैर में एक गरीब चाइनीज था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में उनकी नेटवर्थ 1.2 अरब डॉलर थी। लेकिन उन्होंने Giordano को बेचकर अपने मिशन पर फोकस किया। उन्होंने Apple Daily और Next Magazine निकाली। जल्दी ही ये चीनी भाषा में सबसे ज्यादा बिकने वाले जनरल बन गए। उनके न्यूजपेपर का स्लोगन था, An Apple a day keeps the liars away.
क्यों हुए गिरफ्तार
जिम्मी 2020 के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट से काफी नाराज थे। इस कानून के तहत सरकार को यह अधिकार दिया गया था कि वह नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार की किसी भी अथॉरिटी को अंडरमाइन करने की कोशिश अपराध माना जाएगा। जिम्मी को भी सरकार की आलोचना से बाज आने को कहा गया था। लेकिन उन्होंने सरकार की आलोचना जारी रखी। वह इसका परिणाम जानते थे लेकिन इससे जरा भी विचलित नहीं हुए। सरकार ने उनके अखबार को बंद कर दिया और उन्हें पिछले साल गिरफ्तार कर लिया।
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के बाद जब विरोध करना जोखिम का काम हो गया तो उनके पास ब्रिटेन जाकर अपनी मुहिम जारी रखने का मौका था। इसकी वजह यह थी कि उनके पास ब्रिटेन की भी नागरिकता थी। लेकिन उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग में ही रहकर लड़ाई जारी रखना मुनासिब समझा। उनका कहना था कि उनकी गिरफ्तारी से दुनिया का ध्यान हॉन्ग कॉन्ग की तरफ होगा। 1997 में जब ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन के हवाले किया था तो चीन के नेता डेंग शियाओपिंग ने कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग का सिविल राइट्स और इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशंस का सिस्टम 50 साल तक बरकरार रहेगा। यह डेंग की वन कंट्री, टू सिस्टम्स पॉलिसी का हिस्सा था। जिम्मी लाई ने चीन की सरकार को डेंग का यही वादा याद दिलाया था।
विरोध प्रदर्शन
चीन के नेता शी जिनपिंग को लगा कि हॉन्ग कॉन्ग का सिस्टम कुछ ज्यादा ही फ्री है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। जब उन्होंने आवाज उठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। हॉन्ग कॉन्ग के लोगों ने एक विरोध प्रदर्शन शुरू किया। हजारों की संख्या में लोग खुला छाता लिए सड़कों पर आ गए। ज्यादातर अखबारों ने चीन की सरकार की लाइन की। लेकिन Apple Daily ने इस विरोध प्रदर्शन का खुलकर समर्थन किया। जिम्मी ने खुद चीन की सरकार के खिलाफ लेख लिखे। चीन सरकार ने उनके अखबार पर दो बार छापे मारे। उसका फंड फ्रीज कर दिया गया। इससे अखबार को बंद करना पड़ा। जब Apple Daily को बंद किया गया तो उसके अंतिम संस्करण में लिखा गया, ‘सेब को जमीन में दफन कर दिया जाता है लेकिन इसके बीजों से एक बड़ा पेड़ निकलता है। इसके बीज ज्यादा बड़े होते हैं और उससे ज्यादा अच्छे सेब निकलते हैं।’