शशिकांत गुप्ते
जासूसी धारावाहिक के निर्माता इस अद्भुत नए विषय पर धारावाहिक बना सकते हैं।
किस्सा इहलोक से परलोक पहुंचाने वाली कुएं और बावड़ियों का।
धारावाहिक की शुरुआत Bore well नलकूप के खड्डे में गिरने अबोध बालक से कर सकते हैं।
यह Scene अर्थात दृश्य से कर सकते हैं। इस दृश्य के फुटेज समाचार माध्यमों की फाइल में मिल जाएंगे।
इस दृश्य के प्रायोजक बिस्कुट और चॉकलेट बनाने उद्योग हो सकते है, जिन्होंने अबोध बालक को बोर वेल में चाकलेट पहुंचाए थे।
विज्ञापन एक गरीब अबोध बालक ने पहली बार कीमती चॉकलेट और बिस्कुट का स्वाद चखा
अबोध बालकों के बोर वेल में गिरने के और भी दृश्य मिल जाएंगे। सात आठ एपिसोड तो सहज दर्शाए का सकतें हैं।
बोर वेल के बाद कुएं और बावड़ियों के दृश्य दर्शाए जा सकतें हैं।
सी आई डी धारावाहिक में एक दया नाम का किरदार है। यह किरदार दरवाजा तोड़ किरदार के नाम से प्रसिद्ध है।
वास्तविक अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए ऐसा कोई दया नाम का किरदार पैदा नही हुआ है,जो कानून तोड़ने वालों पर शिकंजा कसें?
उल्टा अपने तो अपने होते हैं।ऐसा कहने वाले रसूखदार तो आरोपियों पर दया करते हैं इसलिए वे अपराधी घोषित होते ही नहीं हैं।
बावड़ियों और कुओं के बहुत से दृश्य तो अहिल्या बाई की पावन कहलाने वाली नगरी में ही मिल जाएंगे।
राम नवमी के दिन अमानवीय निर्मित दर्दनाक हादसे के बाद आए दिन समाचारों में कुओं और बावड़ियों पर अतिक्रमण के शृंखला बद्ध समाचार उपलब्ध हो रहें हैं।
लगभग बावन एपिसोड तो बन सकते हैं।
सी आई डी धारावाहिक में पुलिस का कभी कभार Role मतलब भूमिका दर्शाई जाती है।
वास्तविक हादसों में पुलिस की भूमिका इंग्लिश के Manipulation के अनुवाद से तय होती है। अपराध की गंभीरता के Calculation से नहीं की जाती है।
अपराधियो में यदि अपने हो तो
Removable gang के पहियों को थमने का अदृश्य आदेश प्राप्त हो जाता है। जो अपना नहीं है उसका आवास निवास बुलडोजर जमीदोज कर देता है।
ऐसे हादसों में जान गवाने वालों के परिजन फिल्मी गीत की ये पंक्तियां गुनगुनाते रह जाते हैं।
किस काम की ये दुनिया जो जिंदगी से खेले रे
फिर हेराफेरी और गोलमाल नंबर 2,3,4 ऐसे अनवरत फिल्मे निर्मित होते ही रहेगी।
seriously यथार्थ दर्शाने वाले
serial कभी निर्मित होंगे?
शशिकांत गुप्ते इंदौर