अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जातीय जनगणना और पेगासस पर बीजेपी के ‘दोस्त’ और ‘दुश्मन’ हो रहे गोलबंद, कैसे देंगे जवाब मोदी और शाह ?

Share

पटना
पेगासस के बाद जातीय जनगणना का जिन्न एक बार फिर से देश की राजनीति में अपने रंग दिखा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस वक्त जातीय जनणना राष्ट्रीय मुद्दा बनता दिख रहा है। इस मुद्दे को लेकर ना केवल बीजेपी विरोधी बल्कि एनडीए के घटक दल भी एकजुट होते दिख रहे हैं। यूं कह सकते हैं कि बीजेपी के राजनीतिक दोस्त और दुश्मन इस मुद्दे पर गोलबंद हो रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जातीय जनगणना पर बीजेपी क्या स्टैंड लेती है।

बीजेपी के ‘दोस्त’ ने जातीय जनगणना और पेगासस मुद्दे को दी हवा
जातीय जनगणना का मुद्दा बेहद पुराना है, आरजेडी, डीएमके, सपा, बसपा जैसे दल हमेशा से इसका समर्थन करते रहे हैं। इस बार भी ये दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे, लेकिन जैसे ही जेडीयू ने इस मुद्दे को सपोर्ट किया वैसे ही यह मुद्दा गरमा गया है। जेडीयू एनडीए का हिस्सा है। साथ ही ये भी माना जाता है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच अच्छे रिश्ते हैं। इसके बाद भी जेडीयू खुलकर जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही है। इतना ही नहीं, जेडीयू ने बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत तमाम विपक्षी नेताओं की सलाह पर फैसला लिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जातीय जनगणना कराने की मांग करेंगे।

इसके अलावा सीएम नीतीश कुमार ने पेगासस कांड में भी बीजेपी से अलग जाकर स्टैंड लिया है और उन्होंने विपक्षी दलों की तरह पूरे मामले की जांच कराने की मांग कर दी है।

चौटाला-नीतीश की भेंट और मुलायम-लालू की मुलाकात से हलचल तेज
हाल ही में चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। वहीं इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला भी शिक्षक भर्ती मामले में सजा काटकर जेल से बाहर आए हैं। दोनों वरिष्ठ नेता इस वक्त दिल्ली में ही हैं। माना जा रहा है कि ये दोनों नेता दिल्ली में बैठकर किसान आंदोलन और जातीय जनगणना के मुद्दे पर समान विचारधारा वाले दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश में हैं। जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को घेरने के लिए ये सभी दल मिलकर माहौल बनाने में जुटे हैं।
पेगासस मामले में नीतीश कुमार ने की जांच की मांग, कहा- जो भी सच्चाई हो सामने आ जाए
इसी कड़ी में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ओपी चौटाला से मुलाकात की है। इस मुलाकात को नीतीश कुमार ने भले ही अनौपचारिक बताया है, लेकिन ओपी चौटाला ने कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता केंद्र की ‘जनविरोधी’ और ‘किसान विरोधी’ सरकार से मुक्ति पाने की है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह 25 सितंबर को देवीलाल की जयंती से पहले विपक्ष के नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे और उनसे एक मंच पर आने का आग्रह करेंगे।
Bihar News : नीतीश को उपेंद्र कुशवाहा ने बताया पीएम मैटेरियल, बिहार के सीएम ने मुस्कुराते हुए ये दिया जवाब
लालू-मुलायम की मुलाकात
इधर, दिल्ली में ही सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान जातीय जनगणना और किसान आंदोलन को लेकर दोनों वरिष्ठ नेताओं ने बातचीत की। इससे पहले लालू यादव कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मीरा कुमार से भी भेंट कर चुके हैं।

lalu

ममता बनर्जी और शरद पवार भी विपक्षी एका कराने की कोशिशों में जुटे
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात कीं। ममता ने कहा कि वह अब लगातार दिल्ली आएंगी। इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर भी कई विपक्षी दलों के नेता जुट चुके हैं।

इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए ये तो स्पष्ट है कि विभिन्न विपक्षी पार्टियां एनडीए के कुछ घटक दलों को भी अपने साथ लाकर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर माहौल बनाने की तैयारी में है।


जातीय जनगणना का समर्थन कर रहे तमाम दल ये भी माहौल बनाने की कोशिश में हैं कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का इस मुद्दे को सपोर्ट है, लेकिन पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। जेडीयू की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि बतौर केंद्र सरकार के मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि वह जातीय जनगणना कराएंगे। ऐसे में सरकार का इससे मुकरना गलत होगा।

राजनाथ सिंह पर हमेशा से सॉफ्ट रहा है विपक्ष
यहां गौर करने वाली बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने से पहले किसी को अनुमान नहीं था कि देश की जनता इस कदर पीएम मोदी को सपोर्ट करेगी। उस दौर में बीजेपी की तरफ से राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज समेत कई ऐसे चेहरे थे जो पीएम पद की रेस में थे। लेकिन पीएम मोदी के चेहरे पर एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलने पर सारे कयासों को विराम लग गया था।

वाजपेयी युग के नेता राजनाथ सिंह के बारे में कहा जाता है कि इस वक्त सरकार में वह ऐसा चेहरा हैं जिनके राजनीतिक रिश्ते विरोधी दलों के नेताओं से भी काफी अच्छे हैं। हालांकि राजनाथ सिंह ने सार्वजिनक मंचों से इस बात पर कभी भी सहमति नहीं जताई है। जातीय जनगणना के मुद्दे पर विरोधी दल राजनाथ सिंह के नाम को आगे रखकर अपनी बात रख रहे हैं।

modi-saha

पीएम मोदी और अमित शाह कैसे देंगे जवाब
2014 के बाद हमेशा राष्ट्रीय मुद्दों पर जब भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है तब-तब पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जोरदार तरीके से पलटवार किया है। ज्यादातर मौकों पर मोदी-शाह को जीत भी मिली है। ऐसे इस बार देखना दिलचस्प होगा कि जातीय जनगणना और पेगासस के मुद्दे पर मोदी-शाह कैसे विपक्षी दलों को धराशायी करते हैं। इस बार मामला थोड़ा अलग इसलिए भी है क्योंकि इस बार एनडीए की मुख्य घटक दल जेडीयू भी इन दोनों मुद्दों पर उनके साथ नहीं है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें