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रीट परीक्षा को रद्द करने के लिए गहलोत सरकार को पेपर लीक के और कितने सबूत चाहिए?

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राजस्थान में 31 हजार युवाओं को शिक्षक पद की नौकरी देने के लिए गत 26 सितंबर को शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) प्रदेशभर में ली गई थी। इस परीक्षा में करीब 15 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट करने का ठेका 100  करोड़ रुपए में हुआ है, इस आशय की खबर परीक्षा से एक माह पहले ही देश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर में छप गई थी। यानी अपराधी तत्वों ने अभ्यर्थियों को परीक्षा से पूर्व प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाने की योजना बना ली थी। इसी आधार पर एसओजी ने मामला भी दर्ज कर लिया। 12 अक्टूबर को अखबारों में भी छपा है कि रीट का प्रश्न पत्र परीक्षा से पूर्व ही हजारों परीक्षार्थियों के पास पहुंच गया। एसओजी के एडीजी अशोक कुमार राठौड़ ने स्वयं माना है कि 26 सितंबर को सुबह चार बजे प्रश्न पत्र आउट हो गया था, जबकि परीक्षा सुबह दस बजे होनी थी।

यहां यह बात खास तौर पर उल्लेखनीय है कि सरकार के निर्देशों के मुताबिक प्रश्न पत्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने के लिए सुबह पांच बजे जिला कोषागार खोले जाने थे, लेकिन चार बजे प्रश्न पत्र का आउट होने के सबूत से जाहिर है कि प्रश्न पत्र एक दिन पहले ही अपराधी तत्वों तक पहुंच गया। पेपर लीक करने वाला गिरोह इतना संगठित था कि उसने अभ्यर्थियों को एक प्राइवेट स्कूल में बुलाया और सामूहिक तौर पर प्रश्न और उसके उत्तर बता दिए। रीट परीक्षार्थियों को ओएमआर शीट पर ए,बी,सी,डी पर निशाना लगाने थे, इसलिए पेपर आउट का काम फटाफट हो गया। पेपर मोबाइल पर वायरल होने के सबूत भी एसओजी के पास है। अभ्यर्थियों से पांच लाख से 15 लाख रुपए तक लेकर पेपर उपलब्ध करवाए गए। रीट के परिणाम के आधार पर ही शिक्षक की नौकरी मिलनी है, इसलिए अभ्यर्थियों ने मुंह मांगी रकम दी। सरकार माने या नहीं लेकिन रीट परीक्षा में अब वो ही अभ्यर्थी उत्तीर्ण होंगे जिन्हें पेपर लीक मिला। मेहनत करने वाले अभ्यर्थी पिछड़ जााएंगे। रीट परीक्षा का पेपर तब लीक हुआ है, जब मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने स्वयं परीक्षा के इंतजामों की निगरानी की थी। परीक्षा लेने वाली राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली तो खुद संदेह के घेरे में है। आरोप है कि जारोली ने अपने चहेते सेवानिवृत्त अधिकारी जीके माथुर को अजमेर में समन्वयक बनाया तो जयपुर जिले में भी अपने दो चहेतों को समन्वयक बना दिया। रिटायर और गैर सरकारी व्यक्तियों को प्रश्न पत्र की रखवाली को काम दिया गया। इस कमजोर कड़ी का फायदा ही अपराधी तत्वों ने उठाया। रीट का पेपर लीक करने में कोई 50-100 व्यक्ति शामिल नहीं है, बल्कि कई गैंग शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। डीपी जारोली के नेतृत्व वाला शिक्षा बोर्ड तो परीक्षा करवाने में पूरी तरह विफल रहा है। यह माना कि रीट परीक्षा रद्द होने से लाखों अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों को परेशानी होगी, लेकिन परीक्षा की निष्पक्षता भी जरूरी है। यदि योग्य अभ्यर्थी के मुकाबले अयोग्य व्यक्ति का चयन होगा तो योग्यता को मायूस होना पड़ेगा। इसका प्रभाव शिक्षा की नींव पर भी पड़ेगा। यदि अयोग्य व्यक्ति शिक्षक बनता है तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का अंदाजा लगाया जा सकता है। रीट परीक्षा का मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। पेपर लीक के इतने सबूत उजागर हो गए है कि हाईकोर्ट ही रीट परीक्षा को रद्द कर देगा। 

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