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बच्चा न हो पाने का दर्द! कैसे आएं

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रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा से बाहर 

      डॉ. नेहा, नई दिल्ली 

 reproductive trauma एक बहुत ही संवेदनशील विषय है जिस पर आज मैं बात करने जा रही हूँ। कई लोगों के लिए इस पर खुल कर बात करना काफी मुश्किल हो सकता है। मगर यह बहुत सारी महिलाओं के जीवन का सच है। 

    संख्या कम है, मगर पुरुषों को भी इस तरह की भावनाओं का अनुभव करना पड़ता है। प्रजनन संबंधी किसी भी समस्या से गुजरने वाले जोड़ों को बहुत सारे टैबूज का सामना करना पड़ता है। 

    बिन मांगी सलाहें, झाेला छाप हैक्स और ताने रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा का कारण बन जाते हैं। यह न केवल किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य कमजोर करता है, बल्कि उसके वैवाहिक जीवन और सेहत को भी प्रभावित करता है।इसलिए इस पर बात करना, इसके बारे में जानना सभी के लिए जरूरी है।

*रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा क्या है?*

 रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा किसी भी तरह के फर्टिलिटी समस्या से गुजरना होता है। जो लोग माता-पिता बनाने की चाह रखते हैं और किसी तरह की प्रजनन समस्या के कारण वे इसे हासिल नहीं कर पा रहें है, उसे बताने के लिए रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

   रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं :

~बांझपन 

~मरे हुए बच्चे का जन्म 

~गर्भपात

~गर्भावस्था की जटिलताएं 

~मीसकैरेज 

~डीलिवरी में समस्या 

~पोस्टपार्टम डिप्रेशन 

आप ट्रीटमेंट कराएं. भूत-भभूत वाले चक्करों और नॉन-स्पेस्लिस्ट डॉक्टरों से बचें. निर्धन हैं या डॉक्टर्स ने निर्धन बना दिया है या निराश हो चुकी हैं तो एकरात हमारे डॉ. मानवश्री की स्प्रिचुअल सेक्सथेरेपी ले. प्रेग्नेंट होकर घर जाएं. विशेष सेचुएशन मे ही तीन रात उनको लेना पड़ता है. मैक्सिमम तीन रात ही. यह हवाई बात नही प्रयोगिक हक़ीक़त है, चाहे तो एग्रीमेंट पहले करा लें.

     रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा में, यह संभव है कि ट्रॉमा स्वयं ही दिल के दर्द और पीड़ा के दूसरे रूप को जन्म दे। 

    अगर किसी ने गर्भपात का अनुभव किया है, तो वे माता-पिता न बन पाने से जुड़े दर्द से भी जूझ रहे हो सकते हैं।

    हो सकता है कि उन्होंने मानसिक रूप से बच्चे को जन्म देने के लिए खुद को तैयार कर लिया हो और अपने घर में अपने अजन्मे बच्चे के लिए एक विशेष स्थान बना लिया हो – जिसके परिणामस्वरूप उनका सपना टूट सकता है। 

ये हैं रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा से उबरने में सहायक हमारे टिप्स :

   *1 समझें कि आप अकेले नहीं हैं*

    रिप्रोडक्टिव ट्रॉमा से निपटना मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह अस्पष्ट हो सकता है। जब आप नहीं जानते कि इसे कैसे करना है, तो ट्रॉमा को स्वीकार करना या उससे निपटना कठिन होता है, और यह बेहद अकेलापन महसूस करा सकता है।

     लेकिन, ऐसे समय में आपको खुद को याद दिलाना चाहिए कि आप अकेले नहीं हैं। जितना अधिक आप इसके बारे में बात करेंगे, उतना ही अधिक सांत्वना और शोक आप अनुभव कर पाएंगे।

    इसके लिए यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति या लोगों को ढुंढेंगे जो आपको समझ सकते है वो अमूल्य होगा। आपको खुद के प्रति ही सहानुभूति रखनी चाहिए।

*2 अपनी भावनाओं को समझे*

    जब एक पार्टनर दूसरे की भावनाओं को मान्य करता है, तो यह उन्हें “ठीक” करने या “समाधान” करने की कोशिश करने से ज़्यादा प्रभावी होता है। अगर आप रिश्ते में निकटता का अनुभव करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है दर्द में साथ बैठना। आप उन्हें इस तरह की बाते कह सकते है जैसे ये बहुत मुश्किल है, मैं आपका दर्द देख सकता हूं।

   अगर आप बाहरी लोगों की सलाह सुनते हैं, तो याद रखें कि उनमें से सभी मददगार नहीं होंगी।

  *3. बाहरी लोगों की राय को अपने ऊपर हावी न होने दें :*

    लोगों का आपको सलाह या मार्गदर्शन देना स्वाभाविक है। लेकिन सिर्फ़ इसलिए कि हर किसी की अपनी राय होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे सही या मान्य हैं।

     अगर आप बाहरी लोगों की सलाह सुनते हैं, तो याद रखें कि उनमें से सभी मददगार नहीं होंगी। 

     माता-पिता बनने के बारे में हर किसी को अपने विचार और भावनाएं रखने की अनुमति है, लेकिन सिर्फ़ आप ही जानते हैं कि आपका ट्रॉमा कैसा लगता है।

    ऐसे समय में, अपने पार्टनर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेना आपके लिए सबसे अच्छी बात हो सकती है।

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