△ कियोस्क सेंटर बने दलालों की कमाई का अड्डा, दलाल और कियोस्क संचालक मिलकर कर रहे गुमास्ता लायसेंस बनाने का काला कारोबार
△ गुमास्ता लायसेंस के नाम पर जमकर हो रही कालाबाजारी, जिम्मेदार शिकायतों के इंतजार में, लुटा रहा व्यापारी, व्यवसायी
शहरभर में गुमास्ता लायसेंस बनाने के नाम पर कियोस्क संचालक और दलाल जमकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। क्योंकि ये पूरी प्रक्रिया आनलाइन है और हर किसी को गुमास्ता लायसेंस बनाने के लिए कियोस्क सेंटर जाना पड़ता है। यहां जाते ही भ्रष्ट्राचार की शुरूआत होती है और फिर शुरू होता है गुमास्ता लायसेंस बनाने के नाम पर लूटने का खेल। वैसे ये पूरी प्रक्रिया कहने को तो आनलाइन है। जिसमें पारदर्शिता आनलाइन ही दिखती है, लेकिन असल में इस पारदर्शिता की आड़ में गौरखधंधे की शुरूआत होती है। आनलाइन प्रक्रिया इसलिए शुरू की गई थी कि आवेदक और अधिकारियों को सहजता से आनलाइन सिस्टम के जरिए पारदर्शिता के साथ काम करने और काम कराने का मौका मिले, पर ये देखरेख और निगरानी के अभाव के चलते गुमास्ता लायसेंस की ये प्रक्रिया कालाबाजारी की प्रक्रिया बन चुकी है। इसमें कियोस्क सेंटर के संचालक से लेकर दलालों तक का हिस्सा बंटता है। जिसमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं। जो इस गौरखधंधे में कियोस्क संचालकों व दलालों का साथ देते हैं। ताकि इस पारदर्शी प्रक्रिया में भी उनको कुछ लाभ मिल सकें। गुमास्ता लायसेंस बनाने के इस आनलाइन सिस्टम में ही कियोस्क सेंटरों के जरिए भ्रष्ट्राचार और गड़बड़ियों को बल मिला है। पहले कियोस्क सेंटर के संचालक आवेदक को नियमों के नाम पर गुमराह करते हैं और दलालों के पास जाने के लिए मजबूर करते हैं। आवेदक जानकारी के अभाव में कियोस्क सेंटर के संचालक और दलाल के जाल में
फंस जाता है और तय से दुगुनी राशि लायसेंस बनाने के लिए चुकाता है। यह खेल पिछले कई सालों से चल रहा है, लेकिन आज तक जिम्मेदार श्रम विभाग ने एक बार भी जांच और कार्रवाई नहीं की है। इसका पूरा गलत फायदा कियोस्क सेंटर के संचालक और दलाल उठा रहे हैं। एक माह में लाखों रुपए का भ्रष्ट्राचार हो रहा है। ऐसे में कियोस्क सेंटरों के संचालक, दलालों के साथ श्रम विभाग के जिम्मेदार भी सवालों के घेरे में है। आवेदक का कहना है कि गुमास्ता लायसेंस बनाने के नाम पर खुले तौर पर लूट हो रही तो आखिर क्यों जिम्मेदार विभाग इन पर कार्रवाई नहीं करता है।
जनकारी के मुताबिक गुमास्ता लायसेंस बनाने की पूरी प्रक्रिया आनलाइन है। इसे बनाने में 300 रुपए का खर्च आता है। 80 रुपए जीएसटी लगता है। इस तरह 380 रुपए में गुमास्ता लायसेंस बनकर तैयार हो जाता है।
क्या भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दे रहे अधिकारी
इस पूरे मामले में कुछ माह पहले इन्दौर मेट्रो ने श्रम विभाग के जिम्मेदारों से बात की थी। उन्होंने आफ द रिकार्ड बताया था कि अगर कोई शिकायत करेगा तो कार्रवाई करेंगे। श्रम विभाग के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये से सवाल यह उठता है कि क्या श्रम विभाग के जिम्मेदार शिकायत के इंतजार में बैठे रहेंगे। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अधिकारी गुमास्ता लायसेंस बनवाने के नाम पर कियोस्क संचालकों और दलालों से मिलकर भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
आवेदक को नहीं देते हैं रसीद कियोस्क सेंटर के संचालक आवेदक को गुमास्ता लायसेंस बनाने के लिए लगने वाले
शुल्क की रसीद नहीं देते हैं। क्योंकि इसमें लायसेंस बनाने संबंधित राशि का उल्लेख होता है। शिकायत से बचने के लिए ही कियोस्क संचालक आवेदक को रसीद नहीं देते हैं। क्योंकि रसीद पर लिखे शुल्क से कई ज्यादा राशि आवेदकों से वसूली जाती है। आवेदक के पास किसी तरह का प्रमाण नहीं
एक पासवर्ड पर चल रहे तीन से चार सेंटर
कियोस्क सेंटर संचालक कई तरह से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि कियोस्क सेंटर संचालक अपने एक पासवर्ड पर तीन से चार सेंटर चला रहे हैं। कियोस्क सेंटरों का रिकार्ड भी जिम्मेदार विभाग के पास नहीं है। कियोस्क सेंटरों पर किस काम के लिए कितना शुल्क लगता है इसकी सूची भी चस्पा नहीं की गई है। संचालक अपने हिसाब से पैसे लेते हैं। आमजन को मजबूरी में मांगे गए रुपए देने पड़ते हैं।
भी लिखी होती है। बस सही आवेदकों को गुमराह करने का खेल शुरू हो जाता है। पहले तो कियोस्क सेंटर संचालक मनमाने तरीके से
700 से 1500 रुपए तक वसूल लेते हैं। इसमें दलाल भी शामिल होता है। कियोस्क सेंटर पर आने वाले आवेदक को पहले कियोस्क संचालक नियमों की गुत्थी में उलझा देता है। इसके बाद आवेदक को आसानी से लायसेंस बनाने के लिए दलाल का रास्ता बताता है। आवेदक दलाल के पास जाता है और लायसेंस कम समय में और बिना किसी उलझन के बनाने के लिए रुपयों की डिमांड करता है। पूरा खर्च आवेदक को बताता है। जानकारी के अभाव में आवेदक दलाल और कियोस्क संचालक की मुंह मांगी रकम देने के लिए तैयार हो जाता है। एक माह में सैकड़ो लोगों को गुमास्ता लायसेंस बनाने के नाम पर ठगा जा रहा है। इस तरह महीने में यह राशि लाखों में पहुंच जाती है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कियोस्क संचालक और दलालकितनी बड़ी कालाबाजारी कर रहे हैं।
शिकायत करें तो होगी कार्रवाई
होने के कारण भी वह शिकायत नहीं कर पाता हैं। इन सबके पीछे जिम्मेदार विभाग जिम्मेदार है। गुमास्ता लायसेंस बनाने के लिए labour.mponline वेबसाइट है। इस पर गुमास्ता बनाने की पूरी प्रक्रिया है। आवेदक साइट पर दी गई जानकारी को पढ़कर आसानी से आवेदन कर सकता है, लेकिन कुछ ऑप्शन में आवेदक भ्रमित हो जाता है। इसलिए कियोस्क सेंटर पर जाता है। इसी का फायदा कियोस्क सेंटर के संचालक उठाते हैं और फर्जीवाड़ा करते है। हालांकि आवेदक यूट्यूवब पर गुमास्ता लायसेंस बनाने के वीडियो देखकर भी लायसेंस बना सकता है।
इस मामले में जिम्मेदार श्रम विभाग गैर जिम्मेदाराना जवाब दे रहा है। श्रम विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इस तरह की शिकायतों के लिए आवेदक एमपी आनलाइन के दूरभाष क्रमांक 0755-6720200 पर शिकायत कर सकता है, लेकिन लोगों को यह नंबर नहीं बताया जाता है। उपर से श्रम विभाग के जिम्मेदार यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि कोई शिकायत करेगा तो कार्रवाई करेंगे। इसका मतलब ये हुआ कि जिसकी मजबूरी है या जिसे जरूरत है वो शिकायत करें। विभाग इसमें कुछ नहीं करेगा। विभाग को कियोस्क संचालकों और दलालों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े से कोई लेना-देना नहीं है। चाहेआवेदक को कियोस्क वाले और दलाल चूनालगाते रहे।
गिरोह बनाकर कर रहे काम
गुमास्ता लायसेंस बनाने के लिए अवैध वसूली करने वाले गिरोह बनाकर काम कर रहे हैं। पूरे शहर में किसी भी कियोस्क सेंटर पर जाने पर हर जगह आवेदक को गुमराह किया जाता है और रुपयों की डिमांड रखी जाती है। जैसा व्यक्ति, वैसा पैसा की तर्ज पर कियोस्क संचालक और दलाल वसूली करते हैं। कियोस्क से लायसेंस बनाने का ना कोई दस्तावेज होता है और ना ही कोई रिकॉर्ड।