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विनम्र श्रद्धांजली :नहीं रहे कैप्टन पीसी गुप्ता 

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किर्ति राणा

श्रम शिविर (इंटक कार्यालय) में कुछ दिनों पहले श्याम सुंदर यादव जी का प्रदेश इंटक अध्यक्ष मनोनीत होने पर स्वागत-सत्कार करने अभ्यास मंडल अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता और  शिवाजी मोहिते से मुलाकात में कैप्टन गुप्ता के संबंध में पूछा तो रामेश्वरजी ने बताया था अब कहीं नहीं निकलते, तबीयत ठीक नहीं रहती। उनसे कहा था मैं एक दिन आता हूं उनसे मिलने….वो एक दिन तो आया नहीं कैप्टन गुप्ता अनंत यात्रा पर चले गये।मुझे आज फिर अफसोस हो रहा है कि काश उनसे मुलाकात कर आता।  

कैप्टन पीसी गुप्ता यानी इंदौर की नब्ज पहचानने और रात में यशवंत क्लब में बैठने वाले अधिकारी जिनके कांग्रेस के महेश जोशी हों या भाजपा के श्रीवल्लभ शर्मा, सत्तन जी, निर्भय सिंह पटेल हों सब से दोस्ताना ताल्लुक। तब आड़ा बाजार में कैप्टन गुप्ता और शांति प्रिय डोसी भी रहते थे। शांति दादा के यहां महेश जोशी और उनके निकट साथियों के साथ ही पूर्व न्यायाधीश वीडी ज्ञानी आदि की बैठक जमती थी।

तब कैप्टन गुप्ता और सीएसपी केएल मिश्रा की जोड़ी फेमस थी। मिश्राजी के पास सीएसपी सराफा का चार्ज था जिसके अंडर में सराफा, एमजी रोड थाना भी था। मिश्रा-गुप्ता की जोड़ी के फेमस होने का एक कारण यह भी था कि धरना-प्रदर्शन में मजाल तो है आंदोलनकारी चक्काजाम कर दें।चक्काजाम की सूचना मिलते ही मयफोर्स के मौके पर पहुंचना और जीप से उतरते ही लाठीचार्ज करना पहला काम रहता था। कानून का मजाक उड़ाने वालों के लिये जितने सख्त, दोस्तों के लिये उतने ही विनम्र और रिश्तों को जिंदा रखने वाले भी। 

🔹 मुझे भी शिकार बनाया, फिर माफी भी मांगी 

तब इंदौर दुग्ध संघ मांगलिया के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इनका नेतृत्व करने वाले कर्मचारी नेता-मेरे मित्र उत्सव गुप्ता ने बताया भिया आज शाम को चक्काजाम करेंगे।शाम को आंदोलन स्थल से ही प्रेम बामनिया जो गुजराती कॉलेज में साथ पढ़ा और दुग्ध संघ कर्मचारियों का नेता भी था, उसका फोन आया कि भिया चक्काजाम कर दिया है। 

मैंने कैप्टन गुप्ता को फोन किया कि उन लोगों की मांग जायज है अंधिकारी सुन नहीं रहे हैं चक्काजाम करना पड़ा है। कैप्टन का कहना था कंट्रोल रूम पर तो कोई सूचना नहीं है चक्काजाम की। मैंने कहा, जब मैं कह रहा हूं तो मान लो। कुछ देर बाद ही उनका फोन आया यार तुम सही कह रहे थे, सेट पर मैसेज चल रहा है। मिश्रा जी और मैं मांगलिया जा रहे हैं, तुम चल रहे हो? मैंने कहा मुझे भास्कर से ले लेना।उनकी जीप में सवार होकर मैं भी पहुंच गया। 

इन दोनों ने तो जीप से उतरते से ही लाठियां बरसाना शुरु कर दी। मैं उत्सव, प्रेम और बाकी लोगों से जानकारी ले रहा था कि ये दोनों लपके और भीड़ को तितर-बितर करने के लिये लाठियां बरसानी शुरु कर दी।मुझे भी एक लट्ठ पड़ा। लाठीचार्ज का खौफ था कि आंदोलनकारी भी ठंडे पड़ गए। बाद में प्रबंधन और कर्मचारी प्रतिनिधियों के बीच सुलह चर्चा हुई। कैप्टन गुप्ता-केएल मिश्रा मुझ से कह रहे थे चलो तुम्हें भास्कर छोड़ देंगे। रास्ते में दोनों माफी मांगने के साथ ही मजे लेते रहे-पूछते रहे पाटनर ज्यादा जोर से तो नहीं पड़ी ना। 

उस जमाने में कलेक्टर से ज्यादा धाक कैप्टन गुप्ता जैसे एडीएम की हुआ करती थी। बाद में वो नगर निगम आयुक्त भी रहे। यह भी संयोग ही है कि कैप्टन के बाद उनके भाई रामेश्वर गुप्ता भी एडीएम इंदौर रहे हैं। 

🔹इंदौर में तब दो एडीएम भी रहे हैं

तब कलेक्टर शायद सुधिरंजन मोहंती थे उनके प्रिय अधिकारियों में एडीएम सीबी सिंह और एसडीएम सराफा निर्मल उपाध्याय (जिनका कोराना काल में निधन हो गया) पहचाने जाते थे। उसी दौरान ग्वालियर से इंदौर स्थानांतरित बीएम शर्मा को एडीएम बनाने का पोलिटिकल प्रेशर भी था। मोहंती नहीं चाहते थे कि सीबी सिंह को इस पद से मुक्त करें लिहाजा इंदौर का क्षेत्र बड़ा होने, लॉ एंड ऑर्डर को बेहतर करने जैसा हवाला देकर शहर के थानों को दो हिस्सों में बांटकर सिंह और गुप्ता को एडीएम पश्चिम और एडीएम पूर्वी क्षेत्र पदस्थ कर दिया गया था। 

बाद में सीबी सिंह भी निगमायुक्त रहे। दो एडीएम वाली यह व्यवस्था कुछ समय ही चल पाई। ये दोनों अधिकारी भी विभिन्न जिलों में कलेक्टर, कमिश्नर आदि पदों पर रहने के बाद रिटायर हो गए। 

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