अग्नि आलोक
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अदब(दरिंदगी के बरक्स ज़िंदगी-4)

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धर्मांध लड़ाकों के प्रवक्ता ने फ़रमान जारी किया ,औरतें घरों में रहें, क्योंकि हमारे लड़ाके औरतों का अदब करना नहीं जानते। 

        एक औरत उस प्रवक्ता के सामने जाकर खड़ी हुई और कहा, “अगर तुम्हारे लड़ाके औरतों का अदब करना नहीं जानते तो उन्हें अदब करना सिखाइए। उनके कुसूर की सज़ा औरतों को क्यों ? ”       

  “गुस्ताख़ औरत,तुम्हारी यह हिम्मत ! ” प्रवक्ता ने उसकी तरफ़ बंदूक तान दी।   

      “आ गए न अपनी औक़ात पर ! मारो गोली, मैं तैयार हूँ। दरअसल तुम धर्मांध लोग इतने बदसूरत, इतने घृणित हो कि किसी भी तरह की ख़ूबसूरती को बर्दाश्त ही नहीं कर सकते। ”              सभार-हरभगवान चावला,      संपर्क-93545 45440,

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