रोबोर्न मनीष
आप, याने आप। जो एक आम आदमी है। और जिसके आदमी से झुनझुना बनने की यात्रा के भागीरथ स्वयं केजरीवाल बने थे।
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2 जी और कोयला “घोटाले” के नाम पर खड़ा किया गया भौकाल, खगोलीय ऊंचाइयों तक की धनराशि के गबन के खिलाफ खड़ा आंदोलन.. जिसे अन्ना आंदोलन कहते है।
किसी को पता नही की राशि किसने दी, किसने ली। कोई मनी ट्रेल नही। शुबहा था, कि कुछ लोगो के फेवर में पॉलिसी तोड़ी मोड़ी गई। कुछ लोगो को लाभ हुआ।
यह लाभ, करप्शन का सबूत था। सारे पोलिसिमेकर्स को जेल डाल देना चाहिए। इसके लिए जज, ज्यूरी, हैंग मैन नियुक्त होना चाहिए।
ऐसा स्ट्रीट जस्टिस, लोकपाल था।
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टूजी और कोयला के घोटाले में लाइसेंस और खदानें, सस्ते बेचने के आरोप थे। इससे सरकारी खजाने को घाटा हुआ।
इस घोटाले का दूसरा पहलू ये था, कि कोयला सस्ता पड़ा। तो बिजली सस्ते में बनी, बिकी भी सस्ते में। घोटाले से हुए अन्याय को दूर करने के लिए नई सरकार ने एलॉटमेंट वापस लिए।
दोबारा महंगी दरों पर बेचा। नतीजा आज, बिजली चार गुनी महंगी है।
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इस नाते जिनसे एलॉटमेंट, अचानक वापस लिया गया। वे कम्पनियां डूब गई। उनपे बैंकों कर्ज डूब गया।
खरबों के एनपीए हुए। फिर बैंकों का वो घाटा भी आपसे भरवाया गया। महज एक दिन अन्ना टोपी पहनकर नारा लगाना इतना महंगा पड़ेगा, किसे अंदाजा था??
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टूजी, थ्रीजी, जीजाजी, तमाम घोटाले में यही हाल रहा। कोई मनी ट्रेल न मिली, सारे मुकदमे खत्म हो गए। घोटाले के राजा, ए राजा, जेल से निकल, फिर माननीय सांसद हैं। सारे आरोपी बरी हो गए।
और जनता जेल भेज दी गयी। एक खुली जेल, एक तानाशाह सरकार, एक पुलिस स्टेट। खाने, चलने, जीने के हर पहलू पर पहरेदारी।
जेल भला और किसे कहते हैं।
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जब लोकतन्त्र था, रामलीला मैदान पर खूब तमाशा किया गया। इंडिया गेट पर मोमबत्तियां जलाई।
अब तो रामलीला मैदान तक जाने के लिए किलो, कांटेदार तारों, कंक्रीट के बुर्ज, रैपिड एक्शन फोर्स, खाइयों, और उनमे तैरते एंकर-एंकरानियो से पार जाने की चुनौती होती है।
रालेगण सिद्धि से रामलीला मैदान की दूरी, अब पार करना सम्भव नही।
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एक हंसते खेलते देश को आत्मघात की राह पर ले जाने वाले केजरीवाल, प्रकृति के पोयटिक जस्टिस के शिकार हुए है।
आज उनकी भी एक पॉलिसी से किसी को लाभ होने का आरोप मढ़कर, सर्वशक्तिमान ईडीपाल ने, जेल पहुँचा दिया गया है।
यही उनके ख्वाबों का लोकपाल था। व्यक्ति किसी भी पद पर हो, करप्शन की शंका होते ही, लोकपाल उसे पकड़कर जेल भेज दे।
जहां, जब तक खुद को निर्दोष न साबित कर डाले, दोषी ही माना जाए।
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मनी ट्रेल केजरीवाल के मामले में भी मिलना मुश्किल है। एप्रूवर ( वायदा माफ गवाह) के बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
ऐसा वायदा माफ गवाह, जो एजेंसी के संरक्षण में है। वह तो केजरीवाल पर दो चार कत्ल, बलात्कार, मुर्गी चोरी के भी इल्जाम लगा देते। लेकिन सिर्फ पैसे खाने का आरोप लगाया है, यह उनकी भलमनसी है।
लेकिन मनी ट्रेल के बगैर, किसी का भी कोई बयान, मनी लांड्रिंग के केस में बेमतलब है। तो, केजरीवाल कुछ दिनों, या वर्षों में बरी हो ही जाएंगे।
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जिस दिन वे जेल से छूटेंगे, हीरो बनेंगे। सत्ता का रास्ता जेल होकर गुजरता है। तो छूटकर वे फिर शपथ लेंगे। नेता हैं, राज ही भोगेंगे।
आपका क्या होगा, जनाबे आली..
आप, जो इस तमाशे में सबकुछ गंवा बैठे। अपनी आजादी, अपनी जुबान, अपना लोकतन्त्र, एक जीने लायक समाज, आने वाली पीढ़ियों का एक सुनहरा भविष्य..
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इस एडवेंचर में जो हाथ लगा, वो ढाई सौ लाख करोड़ का कर्ज है। भय, भूख, और अनहद भ्रस्टाचार है।
लेकिन सबसे बड़ी सजा यह, कि सड़क पर खड़ा कोई दो कौड़ी का शोहदा, आपके रोटी-रोजगार के सवाल पर –
“अबकी बार 400 पार” थूक कर चला जाता है।
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क्योकि अब उसका राज है, आपका नही। ये 400 वह आपके बगैर लाएगा। आपकी छाती पर चढ़कर लाएगा।
मोदी नही, भाजपा नही। अब सड़क पर नंगा नाच करता, वो शोहदा आपका राजा है।
आप उसकी मजबूर प्रजा हैं। वो शक्तिशाली है, निर्लज्ज, अपराजेय है। ये ताकत उसे, आपने ही सौंपी है।
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आप मन मसोसकर, कुर्ते के छोर से, मुंह पर पड़ी थूक पोंछते हैं। थूक पुंछ जाती है, दुर्गंध बनी रहती है।
ये बेबसी, ये लाचारगी.. आपके आदमी से झुनझुना बनने की यात्रा के भागीरथ, स्वयं केजरीवाल बने थे।
मुझे केजरीवाल से सहानुभूति नही।
आपसे है।