अग्नि आलोक
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इस जन्म में मुझे हिन्दू होना है, न मुसलमान होना है ,सिर्फ एक इंसान होना है

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बुद्धिलाल पाल

इस जन्म में मुझे
हिन्दू होना है
न मुसलमान होना है
न पिछड़ा होना है
न अगड़ा होना है
सिर्फ एक इंसान होना है

अगले जन्म की
अगले जन्म में देखी जायेगी
जो नही होता है

मुझे स्वर्ग भोगना है
न नर्क भोगना है
न जन्नत भोगना है
न दोज़ख़ भोगना है
जो नही होता है

मुझे अप्सराएं भोगना है
न वहां के वैभव भोगना है
न मुझे हूरें भोगना है
न वहां की रंगीनी भोगना है
जो कि नही होता है

मुझे इंद्र के सजे
किसी दरबार का
न मजे उठाना है
न जन्नत में सजे
किसी दरबार का
लुत्फ उठाना है
जो कि नही होता है

मुझे इनसे न डरना है
न नर्क से डरना है
न दोज़ख़ से डरना है
जो कि मरने के बाद
ऐसा कुछ भी नही होता है

मुझे किसी कल्पवृक्ष
के झांसा में नही आना है
मुझे ईश्वर खुदा के
झांसा में भी नही आना है
जो कि नहीं होते हैं

मुझे राम रहीम ईसा के
किसी पचड़े में नही पड़ना है
इनकी सल्तनत के राजाओं में
इनकी हिंसा कट्टरता दुश्मनी
नफरत रक्तपात में नही पड़ना है
गो कि यह कुछ भी नही होते हैं

मुझे इस जन्म में
न झूठी भक्ति करना है
न झूठी इबादत
जो करते हैं उनका सम्मान
जो न करते हों उनका सम्मान
इस जन्म में ईश्वर मिलेगा न खुदा
क्योंकि कुछ ऐसा होता नही है

यह होते ही नहीं हैं/होते तो
कोई भूखा न सोता
कोई बेरोजगार न होता
कोई अमीर होता न गरीब
कोई अगड़ा होता न पिछड़ा
कोई छूत होता न अछूत
कोई अंधेरगर्दी न होती
कुछेक केंद्र में बाकी सब
हासिया में न होते
कोई गैरबराबरी
कोई गहरी खाई न होती
सबके पास होता रोजगार
सबके पास रोज / छप्पन
व्यंजन का भोज होता
न किसी का उत्पीड़न होता
न किसी के साथ कोई अन्याय
न किसी का शोषण होता
पर ऐसा कुछ नही होता
क्यों कि यह नही होते हैं

गौतम बुद्ध का कहना
इस ब्रम्हांड में कोई ईश्वर नही
सुकरात का कहना
ईश्वर सिर्फ शोषण का नाम
कार्ल मार्क्स का कहना
ईश्वर का जन्म ही
किसी गहरी साजिश से हुआ है
ओशो रजनीश का कहना
ऐसा कोई ईश्वर नही जो
इस ब्रम्हांड को
संचालित कर रहा है
तुम अपने कर्म के
जिम्मेदार स्वयं हो

वाकई हम अपने कर्मों के
खुद जिम्मेदार हैं
हमने दुनिया में इनके नामों से
आपस में बहुत रक्त बहाएं हैं
ईश्वर खुदा की कृपा से
कूपमंडूक अंध भक्त रहकर
शोषित भी रहे उत्पीड़ित भी रहे
सच्चे न्याय से वंचित रहे
रोजगार सम्मान से वंचित रहे
भाईचारा सौहार्दता से वंचित रहे
इन भगवानों खुदाओं की कृपा से
शोषक उत्पीड़क लुटेरों ने
खूब मजे उठाए मजबूत हुए
ईश्वर भी उनका खुदा भी उनका
जो कि नही होते हैं

मुझे झूठ से डर लगता है
ईश्वर खुदा से भी लगता है
क्योंकि यह सब पर्यायवाची हैं
आपस में एक दूसरे के मित्र हैं

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