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*भाईचारे और सर्वधर्म समभाव की रक्षा नहीं की गई तो देश भी नहीं बचेगा* 

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*राष्ट्र सेवा दल के संस्थापक साने गुरुजी के 125 में जन्म जयंती के मौके पर आयोजित विचार व्याख्यान में बोले नितिन वेद्य*

इंदौर। गांधी जी के बाद देश को जोड़ने ,भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भाव और सर्वधर्म समभाव के लिए सबसे ज्यादा प्रयास करने वाले साने गुरुजी ने अपने जीवन पर्यंत भाई चारे सर्वधर्म समभाव और सांप्रदायिक राजनीति का विरोध किया। उनके बताए मार्ग पर ही चलकर आज देश को बचाया जा सकता है । यदि भाईचारे और सर्वधर्म समभाव  की रक्षा नहीं की गई तो देश भी नहीं बचेगा । यह कहना था राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कई फिल्मों के एवं सत्यमेव जयते सहित ताई कई टीवी सीरियल के निर्माता नितिन वैद्य का ।

वे साने गुरु जी की 125 वीं  जन्म जयंती के मौके पर इंदौर में आयोजित विचार व्याख्यान में बोले रहे थे। कार्यक्रम को नर्मदा बचाओ आंदोलन तथा एन ए पी एम की नेता मेधा पाटकर ने भी संबोधित किया  वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं लोहिया विचार मंच मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल ने अध्यक्षता की । 

श्री नितिन वैद्य ने गुरुजी के जीवन, लेखन और काम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश का पहला मजदूर आंदोलन साने गुरुजी के नेतृत्व में हुआ, वहीं दलितों के मंदिर प्रवेश के लिए भी उनके नेतृत्व में ही पहला सफल आंदोलन हुआ । 1935-36 में जब अंबेडकर ने नासिक के कालाराम मंदिर में दलित प्रवेश के लिए आंदोलन किया तो वह उसमें सफल नहीं हो पाए, जबकि उसके बाद साने गुरुजी ने  पंढरपुर के मंदिर में दलितों के प्रवेश के लिए 10 दिन का अनशन किया तो आखिरकार मंदिर के पंडों को पंढरपुर मंदिर के दरवाजे दलितों के लिए खोलने पड़े 

उन्होंने कहा कि साने गुरुजी ने 80 से ज्यादा किताबें लिखी और हर किताब के कई संस्करण छप चुके हैं । यह किताबें नर नारी क्षमता, किशोर और युवा किस तरह से जीवन जीए, बालिकाओं और किशोर के किस तरह के संबंध हो इन सब पर प्रकाश डालते हैं तथा उनके सामने एक आदर्श प्रस्तुत करती है ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि साने गुरुजी के 125 में जन्म जयंती के मौके पर देश भर में कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी के तहत मध्य प्रदेश में भी आयोजन हो रहा है । सवा सौ साल बाद साने गुरुजी को याद करना अपने आप में महत्वपूर्ण है ।उन्होंने किसानों मजदूरों की लड़ाई तो लड़ी ही, साथ ही देश को एकजूट करने तथा छात्रों नौजवानों को मार्गदर्शन करने के लिए भी साहित्य की रचना की। उनका साहित्य आज की स्थिति में जब सांप्रदायिक राजनीति का खतरा बढ़ गया है तब ज्यादा मार्गदर्शक है ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि साने गुरुजी की 80 से ज्यादा किताबों में से 70 किताबों का पुनर प्रकाशन हुआ है और उनके   द्वारा कार्ल मार्क्स, लेनीन,  गांधी सहित देश और दुनिया के महापुरुषों पर लिखी गई जीवनिया निश्चित रूप से नौजवानों को और छात्रों को मार्गदर्शन करती है । इस अवसर पर साने गुरुजी के जीवन पर तैयार एक फोल्डर का भी विमोचन किया गया।

अतिथियों का स्वागत बबलू जाधव ,चंदन सिंह बड़वाया, शैलेंद्र पटेल, अरविंद पोरवाल आदि ने किया। प्रमोद नामदेव ने क्रांति गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अनिल त्रिवेदी ,प्रवीण मल्होत्रा, प्रवीण खारीवाल, अरविंद पोरवाल, विवेक मेहता ,चुन्नीलाल वाधवानी, रुद्रपाल यादव, बबलू जाधव, शैलेंद्र पटेल, मोहम्मद अली सिद्दीकी, एस के जैन,चंदन सिंह बड़वाया, जीवन मंडलेचा, शशिकांत गुप्ते, एडवोकेट अंजुम पारेख, इकबाल हुसैन प्रमोद नामदेव सहित बड़ी संख्या में राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। 

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