आभा शुक्ला
सुन भाई ज्योतिरादित्य….!
झांसी की रानी के विरुद्ध जब अंग्रेजों के सेनापति सिंधिया बन गए और तो अपने महाराज को सेनापति बना देख सिंधिया की सेना ने देश के लिए लड़ने वालों का साथ छोड़ दिया. जब जयाजीराव अंग्रेजी सैनिकों के साथ ही रानी से लड़ने आया तब अपने महाराज को सामने खड़ा देख कर ग्वालियर की बागी सेनाओं ने रानी को अकेला छोड़ दिया…! रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों और सिंधिया की मिली जुली सेना ने घेर लिया….जिन से लड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई.
रानी लक्ष्मी बाई की मौत के दो दिन बाद जयजीराव सिंधिया महाराज ने इस जीत की खुशी में जनरल रोज और सर रॉबर्ट हैमिल्टन के सम्मान में ग्वालियर में समारोह आयोजित किया. अंग्रेजों ने सिंधिया को ग्वालियर का महाराज घोषित कर उसे अपना गुलाम बना दिया.
और आज उन्हीं का खानदानी ज्योतिरादित्य बात कर रहा है गद्दारी और देशद्रोही की…!
अच्छा ये छोड़ो..! ये बताओ कि 9 एमएम स्वचालित बेरेटा जिसका सीरियल नंबर 606824 था, जिससे नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या की थी, ये पिस्तौल नाथूराम के पास कैसे पहुंची….? जबकि इटली से ये पिस्तौल जीवाजी राव सिंधिया के सैनिक परिसहाय वी. पी. जोशी के साथ ग्वालियर आई थी….?
मतलब सूप बाजे तो बाजे 72 छेद वाली चलनी भी बाजे….! सिंधिया का खानदान किस मुंह से बात करेगा गद्दारी और देशभक्ति की…? जरा भी शर्म है तुम्हें या नहीं है ज्योतिरादित्य सिंधिया….? भाजपा में जाकर बिलकुल घुटे मंजे बेशर्म हो चुके हो क्या ज्योति….?
शर्म करो…!
#इसको_एक_डिबेट_में_हमारे_साथ_बैठाया_जाए !