रतलाम। अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति स्थापना, प्राण-प्रतिष्ठा में शास्त्र सम्मत परंपरा का पालन होना चाहिए। सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू ही थे। राजनेता तो दांव खेलते रहते हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री कूटनीति में माहिर हैं। उनमें इतना दम तो है कि वे अपने को सनातनी, धार्मिक, हिंदू साबित करने में लगे हैं, शास्त्र सम्मत हो जाएं तो सोने पर सुहागा हो जाएगा।
यह बात मीडिया से चर्चा के दौरान गोवर्द्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कही। राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को लेकर उन्होंने कहा कि वे कार्यक्रम में नहीं जाएंगे। वहां मोदी लोकार्पण करेंगे, राम भगवान की मूर्ति को स्पर्श करेंगे तो मैं वहां क्या ताली बजाकर जय-जय करूंगा।
शंकराचार्य ताली बजाएंगे तो वे अधिक से अधिक नमस्कार कर लेंगे। वे योग करा रहे हैं, योगी हो गए। धार्मिक क्षेत्र में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। मुझे अपने पद की गरिमा का ध्यान है। मुझे मिले निमंत्रण में बताया गया है कि आप चाहें तो एक व्यक्ति को साथ लेकर आ सकते हैं। अगर 100 व्यक्ति के साथ आने का बोलते तो भी नहीं जाता। इससे अयोध्या से मेरा संबंध नहीं टूटेगा, लेकिन इस अवसर पर मेरा जाना उचित नहीं है।
मक्का मक्केश्वर महादेव है
शंकराचार्य ने कहा कि मक्का भी मक्केश्वर महादेव है। ताजमहल का नाम तेजो महादेव है। वर्तमान में तीर्थस्थल को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। इससे वे भोगस्थली बन रहे हैं। धर्म की सीमा में ही राजनीति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गोरक्षक हैं, गाय को चारा खिलाते हैं, लेकिन गो हत्यारों का आदर्श भी बनना चाहते हैं। उनको समझना कठिन है।