नई दिल्लीयूपी और उत्तराखंड की सत्ता में वापसी से खुश बीजेपी अपने दो दिग्गजों के हार जाने से उलझन में पड़ गई है। इनमें से एक उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी हैं और दूसरे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य। दोनों की अहमियत समझते हुए उन्हें सरकार में लाने के लिए हाईकमान स्तर पर चर्चा चल रही है। हालांकि, इनकी वापसी आसान नहीं है। कारण कि उनकी वापसी से पार्टी के भीतर सवाल भी उठेंगे और असंतोष भी बढ़ने का खतरा है।
केशव प्रसाद मौर्य पर बीजेपी में सबसे बड़ा संग्राम
बीजेपी में सबसे बड़ा संग्राम डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर चल रहा है। बीजेपी में एक धड़ा यह चाह रहा है कि मौर्य को फिर से डिप्टी सीएम बनाया जाए ताकि ओबीसी वर्ग में यह संदेश जाए कि उनके नेता को हारने के बावजूद पार्टी ने तवज्जो दी।
यूपी में नई सरकार को लेकर बुधवार को पीएम संग चर्चा करेंगे योगी आदित्यनाथ।
विरोधी खेमे की ओर से इस पर ऐतराज किया जा रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि अगर मौर्य को फिर से डिप्टी सीएम बनाया गया तो जो हारे हुए 11 मंत्री हैं, उनका क्या होगा? पार्टी उन्हें कहां एडजस्ट करेगी। राज्य स्तर पर इससे एक नई परम्परा शुरू हो जाएगी। इससे भविष्य में बीजेपी के भीतर टकराव बढ़ने की आशंका रहेगी।
कहा जा रहा है कि मौर्य संगठन के व्यक्ति हैं। उन्हें संगठन में किसी बड़े पद पर बैठाकर भी ओबीसी वर्ग को खुश किया जा सकता है।
यूपी के तमाम बड़े नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार को फिर दिल्ली पहुंचेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री और यूपी बीजेपी के ऑब्जर्वर अमित शाह के यहां बड़ी मीटिंग होनी है, जिसमें मंत्रियों और डिप्टी सीएम को लेकर कोई फैसला होने की संभावना है।
मौर्य बने डिप्टी सीएम तो हारे मंत्री कहां होंगे एडजस्ट
गौरतलब है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, गन्ना मंत्री सुरेश राणा समेत 11 मंत्रियों को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इनमें ग्रामीण विकास मंत्री मोती सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सतीश द्विवेदी, खेल एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार उपेंद्र तिवारी, खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह, पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार, लखन सिंह, संगीता बलवंत और आनंद स्वरूप शुक्ला भी शामिल हैं।
दिल्ली में यूपी सदन हुआ फुल
दिल्ली स्थित यूपी सदन इन दिनों नेताओं से भरा हुआ है। जीते हुए बीजेपी विधायक मंत्री बनने के लिए जमावड़ा लगाए हुए हैं। इसके लिए उनकी तरफ से पूरी लॉबिंग चल रही है।
केंद्रीय मंत्रियों से लेकर संगठन से जुड़े बड़े पदाधिकारियों के आवासों पर वे संपर्क कर रहे हैं। हालांकि मंत्री बनाने का अंतिम फैसला पीएम, गृह मंत्री, सीएम योगी और संगठन के स्तर पर होना है।
इसी तरह से उत्तराखंड के विधायकों की ओर से भी लॉबिंग की जा रही है। खासतौर पर वे उत्तराखंड के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क साध रहे हैं।
उत्तराखंड में नए सीएम को लेकर बीजेपी हाईकमान कई विकल्पों पर विचार कर रहा है।
उत्तराखंड में धामी के लिए मशक्कत
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर पार्टी सत्ता में तो पहुंच गई, लेकिन धामी खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए। अब पार्टी के भीतर धामी पर सहमति बनाने को लेकर कशमकश चल रही है। विरोधी खेमा धामी को किसी भी सूरत में फिर से सीएम बनाए जाने के पक्ष में नहीं है।
उनका तर्क है कि धामी को फिर से सीएम बनाया गया तो सवाल उठेगा कि 2017 में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत हुई थी, लेकिन सीएम पद के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे। इसके बाद धूमल को क्यों सीएम नहीं बनाया गया? जीते हुए विधायकों में से ही सीएम का चुनाव हुआ था।
वहीं धामी के समर्थकों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि धामी ने हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया है। हिमाचल और उत्तराखंड के हालात की तुलना नहीं की जा सकती है।
मंगलवार को धामी दिल्ली में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, लेकिन क्या बात हुई, यह बाहर नहीं आई। बाद में धामी बलूनी से उनके आवास पर भी मिले।
कहा जा रहा है कि उत्तराखंड के सीएम को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के स्तर पर होली के बाद ही अंतिम फैसला होगा।
दोबारा सीएम बनने के लिए पुष्कर धामी लगातार दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं।
क्या टूटेगा उत्तराखंड का ये मिथक
- उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से आज तक कोई भी सीएम दूसरे कार्यकाल में सीएम नहीं बन पाया है। केवल बीसी खंडूरी ही दूसरी बार सीएम बने, लेकिन वह भी एक ही कार्यकाल में बन पाए थे।
- अलग राज्य बनने के बाद बीजेपी ने अंतरिम सरकार में नित्यानंद स्वामी को सीएम बनाया था, लेकिन विरोध के कारण उन्हें हटाकर भगत सिंह कोश्यारी को राज्य की कमान दी गई।
- 2002 के चुनाव में बीजेपी हार गई। सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई। पार्टी ने एनडी तिवारी को सीएम बनाया। 2007 में कांग्रेस हारी।
- बीजेपी के जीतने पर बीसी खंडूरी सीएम बने, लेकिन उनकी कार्यशैली का पार्टी में ही भारी विरोध हुआ। ऐसे में बीजेपी ने 2009 में उन्हें हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बनाया।
- 2011 में अन्ना आंदोलन जोरों पर था। राज्य में करप्शन की खबरें आ रही थीं, इसे देखते हुए बीजेपी ने निशंक को हटाकर चार महीने के लिए खंडूरी को फिर से सीएम बना दिया।
- लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में खंडूरी हार गए। सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को सीएम बनाया।
- पौने दो साल बाद बहुगुणा के खिलाफ हरीश रावत ने बगावत कर दी, जिसके बाद पार्टी ने रावत को 2014 के शुरू में सीएम बनाया। पर रावत भी 2017 और 2022 में लगातार दो चुनाव हार गए।
भट्ट, अनिल बलूनी सीएम बने तो कराने होंगे दो उपचुनाव
केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का नाम भी सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि, इनमें से किसी एक को सीएम बनाने की स्थिति में एक नहीं, बल्कि दो उपचुनाव कराने पड़ेंगे।
भट्ट को सीएम बनाने के लिए किसी विधायक से इस्तीफा दिलाना पड़ेगा और भट्ट को उपचुनाव लड़वाना पड़ेगा, जबकि उन्हें लोकसभा से खुद इस्तीफा देना पड़ेगा। इसलिए लोकसभा की एक सीट पर अलग से उपचुनाव कराना पड़ेगा।
इसी तरह बलूनी के लिए राज्यसभा का उपचुनाव कराना पड़ेगा। साथ ही उन्हें खुद भी विधानसभा के लिए चुनाव लड़ना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इससे बचना चाह रही है।