हिमांशु कुमार
अभी सर्वोदय वालों की संस्था पर भाजपा सरकार ने बुलडोजर चलाया और जमीन पर कब्जा कर लिया, बहुत कम लोगों को यह याद होगा कि यह सर्वोदय वाले ही बीजेपी वालों को सत्ता में लाने के लिए जिम्मेदार हैं
आज अगर फासिस्ट सत्ता में है तो उसके लिए जिम्मेदार समाजवादी और यह सर्वोदय वाले हैं
समाजवादी लोहिया ने भी गैर कांग्रेसवाद के प्रयोग के समय जनसंघ के विधायकों को सत्ता में शामिल किया था
जयप्रकाश नारायण समाजवादी आंदोलन छोड़कर सर्वोदय में शामिल हो गए
1972 में इंदिरा गांधी दो तिहाई बहुमत से चुनाव जीती
तब तक पुराने राजाओं को प्रीवीपर्स भत्ता दिया जाता था
भूतपूर्व राजा इस पैसे से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ की मदद करते थे
भाजपा का पुराना नाम जनसंघ है
पहले बैंक भी पुराने राजाओं और पूंजीपतियों के होते थे
इंदिरा गांधी ने चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बनने के बाद राजाओं का यह प्रीवीपर्स भत्ता बंद कर दिया और प्राइवेट बैंक सरकारी कर दिए
आरएसएस और जनसंघ इंदिरा गांधी के इन फैसलों से चिढ़ गए
इन लोगों ने इंदिरा गांधी के खिलाफ गुजरात में आंदोलन शुरू कर दिया उसका नाम नवनिर्माण आंदोलन था
बाद में यह आंदोलन बिहार पहुंचा
जयप्रकाश नारायण अपने आपको नेहरू के बाद दूसरे नंबर का नेता मानते थे
वे इस बात से खफा थे कि इंदिरा गांधी मुझे महत्व क्यों नहीं देती
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जयप्रकाश नारायण का इस्तेमाल किया
उन्होंने कहा आप आंदोलन का नेतृत्व करिए
जयप्रकाश नारायण अपनी उपेक्षा से परेशान थे
वे इंदिरा गांधी को सबक सिखाने के लिए इस आंदोलन में शामिल हो गए
इस आंदोलन का नाम संपूर्ण क्रांति आंदोलन रख दिया गया
जयप्रकाश नारायण की छवि सर्वोदय नेता की थी
सर्वोदय आंदोलन समाज को बदलने का बहुत मजबूत और बड़ा आंदोलन था
लाखों सर्वोदय कार्यकर्ता पूरे देश में गांव-गांव में जातिवाद सांप्रदायिकता दहेज गरीबों के शोषण के खिलाफ काम कर रहे थे
सर्वोदय के एक धड़े ने जयप्रकाश नारायण को समझाया कि आप सत्ता बदलने की इस लड़ाई में शामिल मत होइए
सर्वोदय का काम ज्यादा बड़ा है हमें समाज को बदलना है भारत का समाज राजनीति को खुद बदल देगा
लेकिन जयप्रकाश नारायण ने अपने साथियों की सलाह नहीं मानी
जयप्रकाश नारायण को इस आंदोलन में शामिल होने से रोकने की कोशिश करने वाले धड़े के महत्वपूर्ण सदस्य मेरे पिताजी भी थे
जयप्रकाश नारायण से कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फासिस्ट है
जयप्रकाश नारायण का मशहूर जवाब है कि अगर आरएसएस फासिस्ट है तो मैं भी फासिस्ट हूं
इंदिरा गांधी के खिलाफ होने वाले आंदोलन में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की महत्वपूर्ण भूमिका थी वहां से पैसा और मार्गदर्शन दोनों आ रहा था
इंदिरा गांधी को यह सब रोकने के लिए आपातकाल लगाना पड़ा और आंदोलनकारी नेताओं को जेल में डालना पड़ा
ठीक समय पर इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा की
इस आंदोलन में शामिल लोगों से मैं पूछता हूं कि उस आंदोलन की क्या जरूरत थी तो वे कहते हैं इंदिरा गांधी तानाशाह हो गई थी
मैं पूछता हूं आंदोलन शुरू होने से पहले इंदिरा गांधी ने तानाशाही वाला कौन सा काम किया था?
तो वे कोई जवाब नहीं दे पाते
बहरहाल इंदिरा गांधी ने 77 में चुनावों में अपनी हार स्वीकार की
पूंजीवादी मनोवृति के मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया
आरएसएस कोटे से अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और सिकंदर बख्त को आजादी के बाद पहली बार भारत की केंद्रीय सत्ता में शामिल होने का मौका मिला
ढाई साल में यह सरकार अंदरूनी झगड़ों से गिर गई
1980 में इंदिरा गांधी फिर से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बन गईं
अगला चुनाव आने से पहले1984 में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई
तब तक आरएसएस सत्ता से जुड़ने के कारण इतना मजबूत हो गया था कि उसने बाबरी मस्जिद के खिलाफ आंदोलन को पूरे देश में फैला दिया
और धीरे-धीरे सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते हुए आज यह लोग भारत की केंद्रीय सत्ता पर पूरी तरह काबिज़ है
आज अगर गांधीवादी संस्थानों पर यह आरएसएस के लोग बुलडोजर चला रहे हैं तो इन गांधीवादियों को खुद से पूछना चाहिए कि इन आरएसएस वालों को सत्ता तक किसने पहुंचाया था?
संसार बहुत निर्मम है
अगर आप ईमानदारी से खुद की गलतियों की समीक्षा नहीं करेंगे तो संसार आपको निर्ममतापूर्वक समाप्त कर देगा क्योंकि आप बार-बार गलतियां करेंगे।
(हिमांशु कुमार गांधीवादी कार्यकर्ता हैं।)